शिमला: हिमाचल के पूर्व डीजीपी, सीबीआई के पूर्व निदेशक और नागालैंड के राज्यपाल रहे अश्विनी कुमार ने शिमला में आत्महत्या कर ली. उन्होंने शिमला में अपने आवास पर फंदे लगा लिया. मौके से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है.
बताया जा रहा है कि अश्विनी कुमार पार्किंसंस नामक रोग से भी परेशान थे. डीजीपी संजय कुंडू का कहना है कि अश्विनी कुमार अपनी बीमारी से तंग आ गए थे. कहा जा रहा है कि सुसाइड नोट में उन्होंने इसका जिक्र किया है और लिखा है कि वे परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहते. सुसाइड नोट में लिखा है कि वे अपने जीवन से तंग आकर आगे की यात्रा के लिए निकल रहे हैं. ये भी बताया जा रहा है कि उन्होंने अंगदान की इच्छा भी जाहिर की है. फिलहाल, पुलिस जांच कर रही है.
सिरमौर जिला में जन्मे अश्विनी कुमार सीनियर आईपीएस
ऑफिसर थे. उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही डीजीपी हिमाचल प्रदेश संजय कुंडू औप शिमला के एसपी मोहित चावला टीम के साथ मौके पर पहुंचे. अश्विनी कुमार ने अपने अपने प्रोफेशनल जीवन में सफलता के कई आयाम हासिल किए. 70 वर्षीय अश्विनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था. वह 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल के डीजीपी रहे. इसके साथ ही सीबीआई व एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे. राजीव गांधी की सुरक्षा में भी अश्विनी कुमार तैनात थे.
मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. रिटायरमेंट के बाद वे नागालैंड के राज्यपाल बनाए गए तो काफी विवाद भी हुआ था. हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी.