शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाओं में जिन शिक्षकों ने खराब परिणाम दिया है वह शिक्षक अब परिणाम खराब होने के पीछे तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं.
शिक्षक खराब परिणाम आने पर होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए जो भी तर्क उन्हें सही लग रहा है वहीं लिख कर शिक्षा निदेशालय को भेज रहे हैं.
निदेशालय के कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद शिक्षकों के जो जवाब आ रहे है उसमें कुछ शिक्षकों ने तो यह तर्क दे दिया कि वह इस स्कूल में छह महीने पहले ही आए हैं. वहीं, कुछ महिला शिक्षकों ने अपने मातृत्व अवकाश को खराब परिणाम आने का कारण बताया है.उनका कहना है कि मातृत्व अवकाश के चलते वो छात्रों को अधिक समय पढ़ा नहीं पाई. जिसकी वजह से छात्र परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं.
कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि वो दूसरे विभागीय कार्यों में ही इतना उलझे है कि कक्षाओं में कम समय लगा पा रहे हैं. यह भी एक वजह है कि छात्रों का परिणाम खराब आ रहा है.
बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के घोषित किए गए परिणामों में जिन शिक्षकों का परिणाम 50 और 25 फीसदी से कम रहा है उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.
हर साल प्रदेश के स्कूलों में जमा दो और दसवीं का परिणाम कम होता जा रहा है. इस वर्ष प्रदेश शिक्षा बोर्ड का जमा दो का परिणाम 62.01 फीसदी रहा है तो वहीं दसवीं का परिणाम 67.9 फीसदी रहा है. जो कि बीते तीन सालों में सबसे कम है.