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परीक्षाओं में खराब परिणाम को लेकर शिक्षा निदेशालय गंभीर, कारण बताओ नोटिस जारी कर मांगा जवाब

प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर को देखते हुए शिक्षा निदेशालय काफी गंभीर नजर आ रहा है. जिसके लिए विभाग ने शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर दिया है.

शिक्षा निदेशालय
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Published : Aug 8, 2019, 11:03 AM IST

शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाओं में जिन शिक्षकों ने खराब परिणाम दिया है वह शिक्षक अब परिणाम खराब होने के पीछे तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं.


शिक्षक खराब परिणाम आने पर होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए जो भी तर्क उन्हें सही लग रहा है वहीं लिख कर शिक्षा निदेशालय को भेज रहे हैं.


निदेशालय के कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद शिक्षकों के जो जवाब आ रहे है उसमें कुछ शिक्षकों ने तो यह तर्क दे दिया कि वह इस स्कूल में छह महीने पहले ही आए हैं. वहीं, कुछ महिला शिक्षकों ने अपने मातृत्व अवकाश को खराब परिणाम आने का कारण बताया है.उनका कहना है कि मातृत्व अवकाश के चलते वो छात्रों को अधिक समय पढ़ा नहीं पाई. जिसकी वजह से छात्र परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं.


कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि वो दूसरे विभागीय कार्यों में ही इतना उलझे है कि कक्षाओं में कम समय लगा पा रहे हैं. यह भी एक वजह है कि छात्रों का परिणाम खराब आ रहा है.


बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के घोषित किए गए परिणामों में जिन शिक्षकों का परिणाम 50 और 25 फीसदी से कम रहा है उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.


हर साल प्रदेश के स्कूलों में जमा दो और दसवीं का परिणाम कम होता जा रहा है. इस वर्ष प्रदेश शिक्षा बोर्ड का जमा दो का परिणाम 62.01 फीसदी रहा है तो वहीं दसवीं का परिणाम 67.9 फीसदी रहा है. जो कि बीते तीन सालों में सबसे कम है.

शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाओं में जिन शिक्षकों ने खराब परिणाम दिया है वह शिक्षक अब परिणाम खराब होने के पीछे तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं.


शिक्षक खराब परिणाम आने पर होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए जो भी तर्क उन्हें सही लग रहा है वहीं लिख कर शिक्षा निदेशालय को भेज रहे हैं.


निदेशालय के कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद शिक्षकों के जो जवाब आ रहे है उसमें कुछ शिक्षकों ने तो यह तर्क दे दिया कि वह इस स्कूल में छह महीने पहले ही आए हैं. वहीं, कुछ महिला शिक्षकों ने अपने मातृत्व अवकाश को खराब परिणाम आने का कारण बताया है.उनका कहना है कि मातृत्व अवकाश के चलते वो छात्रों को अधिक समय पढ़ा नहीं पाई. जिसकी वजह से छात्र परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं.


कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि वो दूसरे विभागीय कार्यों में ही इतना उलझे है कि कक्षाओं में कम समय लगा पा रहे हैं. यह भी एक वजह है कि छात्रों का परिणाम खराब आ रहा है.


बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के घोषित किए गए परिणामों में जिन शिक्षकों का परिणाम 50 और 25 फीसदी से कम रहा है उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.


हर साल प्रदेश के स्कूलों में जमा दो और दसवीं का परिणाम कम होता जा रहा है. इस वर्ष प्रदेश शिक्षा बोर्ड का जमा दो का परिणाम 62.01 फीसदी रहा है तो वहीं दसवीं का परिणाम 67.9 फीसदी रहा है. जो कि बीते तीन सालों में सबसे कम है.

Intro:प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाओं में जिन शिक्षकों का परिणाम तय मानकों से कम रहा है यानी जिन शिक्षकों ने खराब परिणाम दिया है वह शिक्षक अब परिणाम खराब होने के पीछे तरह तरह के तर्क दे रहे है। शिक्षक खराब परिणाम आने पर होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए जो भी तर्क उन्हें सही लग रहा है वही लिख कर शिक्षा निदेशालय को भेज रहे है। निदेशालय के पास कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद जो जवाब शिक्षकों के आ रहे है उसमें कुछ शिक्षकों ने तो यह तर्क दे कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की है कि वह इस स्कूल में छह माह पहले ही आए है। तो वहीं कुछ महिला शिक्षकों ने अपने मातृत्व अवकाश को खराब परिणाम आने का कारण बताया है। उनका कहना है कि मातृत्व अवकाश के चलते वो छात्रों को अधिक समय पढ़ा नहीं सकी जिसकी वजह से छात्र परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए है।


Body:वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि वो दूसरे विभागीय कार्यों में ही इतना उलझे है कि कक्षाओं में कम समय लगा पा रहे है। यह भी एक वजह है कि छात्रों का परिणाम खराब आ रहा है। हालांकि अभी मात्र ऊना ओर सिरमौर जिला से ही कारण बताओ नोटिस पर यह जवाब शिक्षकों के निदेशालय को मिले है जब अन्य जिलों से भी यह रिपोर्ट आ जाएगी तो उसके बाद शिक्षकों के क्या कारण खराब परीक्षा परिणाम आने का बताया है यह विभाग देखेगा। बता दे की शिक्षा विभाग की ओर से बोर्ड के कक्षा 10वीं ओर 12 वीं के घोषित किए गए परिणाम में जिन शिक्षकों का परिणाम 50 ओर 25 फीसदी से कम रहा है उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। विभाग ने शिक्षकों से पूछा है कि खराब परिणाम आने के पीछे वजह क्या है। अब जब विभाग ने यह पूछा है तो शिक्षक अपनी खामियां ना मानते हुए इसके लिए अन्य तर्क ही ढूढ़ते जा रहे है।


Conclusion:शिक्षा निदेशालय के पास अभी जिन दो जिलों की रिपोर्ट आई है उसमें ऊना जिला के 67 मैट्रिक के शिक्षकों और 34 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों ने कम रिजल्ट आने पर जवाब भेजा है। वहीं सिरमौर से 16 शिक्षक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के ओर 23 शिक्षक जो मैट्रिक स्कूलों के है उन्होंने कम रिजल्ट आने पर यह तर्क या कारण विभाग को भेजें है । अब विभाग जो कारण शिक्षकों की ओर से दिए गए है वह सही है भी या नहीं इसकी पुष्टि स्कूलों के प्रिंसिपलों से भी करेगा जिसके बाद ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हर साल प्रदेश के स्कूलों में जमा दो और दसवीं का परिणाम कम होता जा रहा है। इस वर्ष प्रदेश शिक्षा बोर्ड का जमा दो का परिणाम 62.01 फीसदी रहा है तो वहीं दसवीं का परिणाम 67.9 फ़ीसदी रहा है जो कि बीते तीन सालों में सबसे कम है। ऐसे में जिन शिक्षकों के विषयों का परिणाम ख़राब आया है उन्हें कारण बताओ नोटिस विभाग ने जारी किए है। अब विभाग को सभी जिलों से शिक्षकों के जवाब का इंतजार है जिसके बाद नियमों के तहत कार्रवाई उन शिक्षकों पर की जाएगी जिनके जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं होगा।
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