शिमला: आजादी के बाद से भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का काफी विस्तार हुआ है. सफेद पोशाक की गरिमा को नए आयाम दे रहे डॉक्टर्स देश की जनता को बीमारी की बेड़ियों से आजाद करवा रहे हैं. ये जानना गर्व की बात है कि छोटा सा पहाड़ी राज्य हिमाचल देश की सेहत संभालने में बड़ा योगदान दे रहा है. आबादी के लिहाज से सत्तर लाख की जनसंख्या वाले राज्य हिमाचल से संबंध रखने वाले चिकित्सकों ने देश की सेहत रूपी नब्ज पर अपना कुशल हाथ रखा है.
कोरोना वायरस से जूझ रहे संसार को भारत ने बेहत प्रभावशाली वैक्सीन की तोहफा दिया है. भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम से हिमाचल के एक कुशल डॉक्टर जुड़े हैं. इनका नाम डॉ. विनोद कुमार पॉल है. डॉ. पॉल नीति आयोग के सदस्य हैं और दुनिया भर में विख्यात बालरोग विशेषज्ञ हैं. डॉ. पॉल नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख हैं और कोरोना से निपटने के लिए अलग-अलग स्तरों पर रणनीति तैयार करने में उनकी भूमिका रही है.
देवभूमि हिमाचल के डॉक्टर्स का डंका
इसके अलावा देश में मेडिकल एजुकेशन को रेगुलेट करने के लिए नए सिरे से गठित नेशनल मेडिकल कमीशन में भी देवभूमि हिमाचल के डॉक्टर्स का डंका बजा है. देश में मेडिकल एजुकेशन व चिकित्सा से संबंधित सभी नीतियां नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी तैयार करता है. इस कमीशन में हिमाचल के प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप, प्रोफेसर डॉ. राजबहादुर, प्रोफेसर डॉ. जगत राम व प्रोफेसर डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित डेंटल चिकित्सा में विख्यात नाम शामिल किए गए हैं.
हिमाचल के डॉ. के पास बड़े स्वास्थ्य संस्थानों की कमान
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रोफेसर डॉ. विनोद पॉल भी हिमाचल से ही हैं. तस्वीर का दूसरा पहलू देखें तो देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थानों की कमान भी हिमाचल के डॉक्टर्स के पास ही है. भारत में इलाज की सबसे बड़ी उम्मीद एम्स दिल्ली व पीजीआई चंडीगढ़ सहित कई अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में हिमाचल के डॉक्टर्स अहम पदों पर हैं. सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के अलावा प्राइवेट सेक्टर के बड़े अस्पतालों में भी हिमाचल के डॉक्टर्स बड़े पदों पर हैं.
एम्स के मुखिया डॉ. रणदीप गुलेरिया
सबसे पहले एम्स दिल्ली की बात करें तो यहां के निदेशक प्रोफेसर डॉ. रणदीप गुलेरिया देवभूमि हिमाचल के रहने वाले हैं. डॉ. गुलेरिया पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निजी चिकित्सक रहे हैं. एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया पल्मोनरी मेडिसिन के नामी विशेषज्ञ हैं. पदमश्री व डॉ. बीसी रॉय सम्मान से नवाजे जा चुके डॉ. रणदीप गुलेरिया कई देशों में इंटरनेशनल हेल्थ सेमीनारों में शामिल हो चुके हैं.
डॉ. संदीप गुलेरिया
भाजपा के दिग्गज नेता स्व. अरुण जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली टीम का मार्गदर्शन भी हिमाचल के डॉक्टर संदीप गुलेरिया ने किया था. संदीप गुलेरिया डॉ. रणदीप गुलेरिया के भाई हैं. वे पहले एम्स दिल्ली में सेवाएं दे रहे थे और फिर एम्स से इंद्रप्रस्थ अपोलो दिल्ली में सेवारत हैं. यहां दिलचस्प बात ये है कि उनके पिता डॉ. जेएस गुलेरिया भी दिल्ली एम्स के डीन रहे हैं.
पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. जगतराम
देश के उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल सहित राजस्थान के कई हिस्सों की सेवा में योगदान देने वाला चंडीगढ़ का पीजीआईएमआर देश के नामी मेडिकल कॉलेज अस्पताल व रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में जाना जाता है. यहां के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम भी हिमाचल के सिरमौर जिला के रहने वाले हैं. डॉ. जगतराम दुनिया भर में मशहूर आई सर्जन हैं. डॉ. जगतराम इंटरनेशनल ऑप्थेमोलॉजी अकादमी के सदस्य हैं. मेडिकल साइंस में देश और विदेश के 24 बड़े अवार्ड डॉ. जगतराम के खाते में दर्ज हैं. वे पीजीआईएमआर चंडीगढ़ के एडवांस्ड आई सेंटर के हैड रहे हैं.
डॉ. राजबहादुर दुनिया के नामी आर्थोपेडिक सर्जन
पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस के वाइस चांसलर हिमाचल के ऊना जिला के रहने वाले डॉ. राजबहादुर हैं. डॉ. राजबहादुर दुनिया के नामी आर्थोपेडिक सर्जन हैं. उनके पास यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित अन्य देशों की फैलोशिप है. चार दशक का रिसर्च अनुभव रखने वाले डॉ. राजबहादुर पूर्व में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंडीगढ़ के भी प्रमुख रहे हैं.
हिमाचल के युवा डॉक्टर्स भी बेमिसाल
हिमाचल के युवा डॉक्टर्स भी बेमिसाल हैं. हिमाचल के हमीरपुर के रहने वाले डॉ. अरुण शर्मा भारत के पहले डॉक्टर हैं, जिन्होंने कार्डियोवस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इंटरवेंशन यानी सीवीआर एंड ईआई में डीएम की डिग्री हासिल की है. पहले ये डिग्री विदेश के चिकित्सा संस्थानों में ही करवाई जाती थी. सबसे पहले एम्स दिल्ली में जब ये डीएम डिग्री शुरू की गई तो समूचे देश से डॉक्टर अरुण शर्मा ही सिलेक्ट हुए. कुछ समय एम्स दिल्ली में सेवाएं देने के बाद वे अब पीजीआईएमआर चंडीगढ़ में तैनात हैं.
इसी तरह हिमाचल के डॉक्टर सुरजीत भारद्वाज भी एम्स दिल्ली में बालरोग विभाग में सेवाएं देने के बाद अब अपने गृह प्रदेश हिमाचल में तैनात हैं. उन्होंने न्यूनेटल पीडियाट्रिक्स में डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की है. दिलचस्प ये है कि डॉ. अरुण शर्मा व डॉ. सुरजीत भारद्वाज ने जब पीजीआई चंडीगढ़ से अपने-अपने विभाग में पीजी एंट्रेस की प्रवेश परीक्षा दी तो वे जीडीओ कैटेगरी में देश के टॉपर रहे हैं. एमडी की डिग्री लेने के बाद दोनों ने डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की और डॉ. अरुण तो अपनी फील्ड में डीएम करने वाले देश के पहले डॉक्टर हैं.
निजी स्वास्थ्य संस्थानों में दबदबा
भारत में यदि निजी सेक्टर के संस्थानों को देखें तो देश के नामी स्वास्थ्य संस्थान सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन भी हिमाचल के डॉक्टर डीएस राणा हैं. नेफरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. डीएस राणा पदमश्री से अलंकृत हैं और क्लीवलैंड क्लीनिक ओहियो अमेरिका के इंटरनेशन स्कॉलर हैं. करनाल के कल्पना चावला मेडिकल इंस्टीट्यूट के निदेशक भी हिमाचल के डॉक्टर प्रोफेसर सुरेंद्र कश्यप रहे हैं. शिमला जिला के रहने वाले डॉ. कश्यप भी देश के माने हुए पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ हैं. अब वे हिमाचल प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं और नेशनल मेडिकल कमीशन में नियुक्त हुए हैं.
विश्वविख्यात हार्ट सर्जन डॉ. टीएस महंत
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के कार्डियोवस्कुलर सर्जरी के एग्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर डॉ. टीएस महंत भी हिमाचल के मंडी जिला के हैं. नामी हार्ट सर्जन डॉ. टीएस महंत विदेशी संस्थानों के बुलावे पर जटिलतम हार्ट सर्जरी के लिए जाते रहे हैं. वे गर्भस्थ शिशु से लेकर 90 साल के बुजुर्ग पेशेंट्स की हार्ट सर्जरी करने में माहिर हैं. इसी तरह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. जेआर ठाकुर भी हिमाचल के मंडी जिला के हैं और मुलाना में महर्षि मर्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज के मुखिया हैं.
पदमश्री डॉ. भारती ने रैबीज के खौफ को किया परास्त
दुनिया में रैबीज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय देने वाले डॉ. ओमेश भारती भी हिमाचल से हैं. उनके रैबीज इलाज के प्रोटोकॉल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रूव किया है. अब पूरी दुनिया में यही प्रोटोकॉल लागू है. डॉ. भारती को मानवता की इस सेवा के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. इन दिनों डॉ. भारती सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. डॉ. भारती को विश्व के कई देशों के बड़े सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है.
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