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मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष, सरकार से निजी स्कूल्स में ज्यादा फीस वसूली रोकने की लगाई गुहार

मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष सरकार से निजी स्कूल्स में ज्यादा फीस वसूली रोकने की लगाई गुहार मांगे न मामने पर दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष
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Published : Mar 24, 2019, 5:40 PM IST

शिमला: निजी स्कूल्स प्रशासन की मनामानी के खिलाफ आंदोलनरत छात्र, अभिभावक मंच ने रविवार को भी शिमला कालीबाड़ी हॉल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. रविवार को कालीबाड़ी हॉल में अंदर प्रदेश के निजी स्कूल्स की बैठक चल रही थी और बाहर छात्र, अभिभावक मंच अपना प्रदर्शन कर रहा था.

मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष

दरअसल, छात्र अभिभावक मंच की मांग है कि निजी स्कूल्स की मनामानी को खत्म किया जाए. इसके लिए प्रदेश सरकार स्कूल्स में फीस वसूलने को लेकर कड़े नियम बनाए. मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूल मनमर्जी से फीसों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. निजी स्कूल्स की इस मनमानी को रोकने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए.

मंच संयोजक ने बताया कि स्कूली फीस को लेकर1997 में एक्ट बने और उसके तहत 2003 में नियम बने, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना, 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन्स आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन्स आई और इसके बाद 2016 में निजी स्कूलों को लेकर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया, जिसमें निजी स्कूल्स की मनमानी को देखते हुए उस पर रोक लगाने की बात कही. यहां तक कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए निर्णय लिया. ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए बनाए नियमों को लागू किया जाए.

kalibadi temple
मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष

अभिभावकों की शिकायत है कि शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक के बाद शिक्षा विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि निजी स्कूल्स की फीस नियमों के तहत ली जाएगी. पीटीए का गठन किया जाएगा और टूअर के नाम पर पैसों की वसूली स्कूल नहीं करेंगे, लेकिन इसके बाद भी एक प्रतिष्ठित स्कूल ने छात्रों को कुफरी टूअर पर ले जाने के लिए 3200 रुपये अभिभावकों से वसूल लिए है. इससे पहले जहां टूअर के नाम पर 35 हजार रुपये अभिभावकों से वसूले गए, जिससे यह सपष्ट है कि नियमों की अनदेखी हो रही है औरर आदेश कागजों तक ही सीमित है.

बता दें कि छात्र, अभिभावक मंच अपनी शिकायतों को लेकर अब शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मुलाकात करेगा. अभिभावकों का कहना है कि अगर शिक्षा मंत्री निजी स्कूल्स की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आगे नहीं आते, तो आंदोलन और उग्र होगा.

छात्र अभिभावक मंच की ओर से अपने इस दूसरे चरण के आंदोलन को प्राइवेट स्कूल्स द्वारा भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है, जिसका समापन 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय के बाहर आंदोलन कर होगा. मंच ने स्पष्ट किया है कि आंदोलन की बदौलत ही दो स्कूल्स ने अपनी फीस को घटा दी है, जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि निजी स्कूल छात्रों से अधिक फीस वसूल रहे हैं. ऐसे में जब तक अन्य स्कूल भी फीसों में कटौती नहीं करते, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

शिमला: निजी स्कूल्स प्रशासन की मनामानी के खिलाफ आंदोलनरत छात्र, अभिभावक मंच ने रविवार को भी शिमला कालीबाड़ी हॉल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. रविवार को कालीबाड़ी हॉल में अंदर प्रदेश के निजी स्कूल्स की बैठक चल रही थी और बाहर छात्र, अभिभावक मंच अपना प्रदर्शन कर रहा था.

मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष

दरअसल, छात्र अभिभावक मंच की मांग है कि निजी स्कूल्स की मनामानी को खत्म किया जाए. इसके लिए प्रदेश सरकार स्कूल्स में फीस वसूलने को लेकर कड़े नियम बनाए. मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूल मनमर्जी से फीसों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. निजी स्कूल्स की इस मनमानी को रोकने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए.

मंच संयोजक ने बताया कि स्कूली फीस को लेकर1997 में एक्ट बने और उसके तहत 2003 में नियम बने, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना, 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन्स आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन्स आई और इसके बाद 2016 में निजी स्कूलों को लेकर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया, जिसमें निजी स्कूल्स की मनमानी को देखते हुए उस पर रोक लगाने की बात कही. यहां तक कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए निर्णय लिया. ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए बनाए नियमों को लागू किया जाए.

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मौन प्रदर्शन कर अभिभावकों ने जताया रोष

अभिभावकों की शिकायत है कि शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक के बाद शिक्षा विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि निजी स्कूल्स की फीस नियमों के तहत ली जाएगी. पीटीए का गठन किया जाएगा और टूअर के नाम पर पैसों की वसूली स्कूल नहीं करेंगे, लेकिन इसके बाद भी एक प्रतिष्ठित स्कूल ने छात्रों को कुफरी टूअर पर ले जाने के लिए 3200 रुपये अभिभावकों से वसूल लिए है. इससे पहले जहां टूअर के नाम पर 35 हजार रुपये अभिभावकों से वसूले गए, जिससे यह सपष्ट है कि नियमों की अनदेखी हो रही है औरर आदेश कागजों तक ही सीमित है.

बता दें कि छात्र, अभिभावक मंच अपनी शिकायतों को लेकर अब शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मुलाकात करेगा. अभिभावकों का कहना है कि अगर शिक्षा मंत्री निजी स्कूल्स की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आगे नहीं आते, तो आंदोलन और उग्र होगा.

छात्र अभिभावक मंच की ओर से अपने इस दूसरे चरण के आंदोलन को प्राइवेट स्कूल्स द्वारा भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है, जिसका समापन 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय के बाहर आंदोलन कर होगा. मंच ने स्पष्ट किया है कि आंदोलन की बदौलत ही दो स्कूल्स ने अपनी फीस को घटा दी है, जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि निजी स्कूल छात्रों से अधिक फीस वसूल रहे हैं. ऐसे में जब तक अन्य स्कूल भी फीसों में कटौती नहीं करते, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

Intro:निजी स्कूलों की मनामानी के खिलाफ आंदोलनरत छात्र,अभिभावक मंच ने रविवार को भी शिमला कालीबाड़ी हॉल के बाहर मौन प्रदर्शन किया। कालीबाड़ी हॉल में जहां अंदर प्रदेश के निजी स्कूलों की बैठक चल रही थी वहीं बाहर निजी स्कूलों की मनामानी के खिलाफ छात्र,अभिभावक मंच अपना प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र अभिभावक मंच की एक ही मांग है कि निजी स्कूलों की मनामानी को खत्म किया जाए ओर इनके लिए नियम प्रदेश सरकार बनाए जिससे कि यह स्कूल उन्ही नियमों के तहत फीस वसूले जो सही हो।


Body:मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मंच की मांग है कि निजी स्कूल जो अपनी मनमर्जी से ही फीसों में बढ़ोतरी कर रहे है उन पर रोक लगाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जिस मांग को लेकर हो रहा है उसमें 1997 में बने एक्ट ओर उसके तहत 2003 में बने नियम, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना और 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन आई और इसके बाद 2016 में हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला निजी स्कूलों को लेकर आया जिसमें उन्होंने भी निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए उस पर रोक लगाने की बात कही। यहां तक कि 2018 सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए निर्णय दिया ऐसे में जो यह अनेकों निर्णय निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए लिए गए उन्हें लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक के बाद शिक्षाविभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए है कि निजी स्कूलों की फीस नियमों के तहत ली जाएगी। पीटीए का गठन किया जाएगा और टूअर के नाम पर पैसों की वसूली स्कूल नहीं करेंगे लेकिन इसके बाद भी एक प्रतिष्ठित स्कूल ने छात्रों को कुफरी टूअर पर ले जाने के लिए 3200 रुपये अभिभावकों से वसूल लिए है। इससे पहले जहां टूअर के नाम पर 35 हजार रुपए अभिभावकों से वसूले गए है जिससे यह सपष्ट है कि नियमों की अनदेखी हो रही है ओर आदेश कागजों तक ही सीमित है।


Conclusion:अब निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए शिक्षा मंत्री से मंच मुलाकात करेगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की इसी मनामानी के खिलाफ यह आंदोलन है और अभी यह आंदोलन स्कूलों के बाहर हो रहा है अगर सरकार शिक्षा मंत्री इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आगे नहीं आते है तो यह आंदोलन और उग्र होगा। छात्र अभिभावक मंच की ओर से अपने इस दूसरे चरण के आंदोलन को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है जिसका समापन 8 अप्रैल को शिक्षानिदेशालय के बाहर आंदोलन कर होगा। मंच ने स्पष्ट किया है की मंच के आंदोलन की बदौलत ही दो स्कूलों ने अपनी फीस को घटा दिया है जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि निजी स्कूल अधिक फीस छात्रों से वसूल रहे है । ऐसे में जब तक अन्य स्कूल भी फीसों में कटौती नहीं करते तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

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