शिमला: निजी स्कूल्स प्रशासन की मनामानी के खिलाफ आंदोलनरत छात्र, अभिभावक मंच ने रविवार को भी शिमला कालीबाड़ी हॉल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. रविवार को कालीबाड़ी हॉल में अंदर प्रदेश के निजी स्कूल्स की बैठक चल रही थी और बाहर छात्र, अभिभावक मंच अपना प्रदर्शन कर रहा था.
दरअसल, छात्र अभिभावक मंच की मांग है कि निजी स्कूल्स की मनामानी को खत्म किया जाए. इसके लिए प्रदेश सरकार स्कूल्स में फीस वसूलने को लेकर कड़े नियम बनाए. मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूल मनमर्जी से फीसों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. निजी स्कूल्स की इस मनमानी को रोकने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए.
मंच संयोजक ने बताया कि स्कूली फीस को लेकर1997 में एक्ट बने और उसके तहत 2003 में नियम बने, 2009 में शिक्षा का अधिकार काननू बना, 2005 में सीबीएसई की गाइडलाइन्स आने के साथ ही 2014 में एमएचआरडी की गाइडलाइन्स आई और इसके बाद 2016 में निजी स्कूलों को लेकर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया, जिसमें निजी स्कूल्स की मनमानी को देखते हुए उस पर रोक लगाने की बात कही. यहां तक कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए निर्णय लिया. ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए बनाए नियमों को लागू किया जाए.
अभिभावकों की शिकायत है कि शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक के बाद शिक्षा विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि निजी स्कूल्स की फीस नियमों के तहत ली जाएगी. पीटीए का गठन किया जाएगा और टूअर के नाम पर पैसों की वसूली स्कूल नहीं करेंगे, लेकिन इसके बाद भी एक प्रतिष्ठित स्कूल ने छात्रों को कुफरी टूअर पर ले जाने के लिए 3200 रुपये अभिभावकों से वसूल लिए है. इससे पहले जहां टूअर के नाम पर 35 हजार रुपये अभिभावकों से वसूले गए, जिससे यह सपष्ट है कि नियमों की अनदेखी हो रही है औरर आदेश कागजों तक ही सीमित है.
बता दें कि छात्र, अभिभावक मंच अपनी शिकायतों को लेकर अब शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मुलाकात करेगा. अभिभावकों का कहना है कि अगर शिक्षा मंत्री निजी स्कूल्स की मनमानी पर रोक लगाने के लिए आगे नहीं आते, तो आंदोलन और उग्र होगा.
छात्र अभिभावक मंच की ओर से अपने इस दूसरे चरण के आंदोलन को प्राइवेट स्कूल्स द्वारा भारी फीसों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय चलो का नाम दिया गया है, जिसका समापन 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय के बाहर आंदोलन कर होगा. मंच ने स्पष्ट किया है कि आंदोलन की बदौलत ही दो स्कूल्स ने अपनी फीस को घटा दी है, जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि निजी स्कूल छात्रों से अधिक फीस वसूल रहे हैं. ऐसे में जब तक अन्य स्कूल भी फीसों में कटौती नहीं करते, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.