शिमला: केंद्र सरकार द्वारा सदन में व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के जिक्र के बाद हिमाचल के लोगों में भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी का ऐलान करते हुए यह जरूर कहा कि हमने सभी वाहन निर्माताओं को स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट होने पर नया वाहन बेचते समय 5 फीसदी की छूट देने की सलाह जारी कर दी है, लेकिन प्रदेश के वाहन मालिकों और प्राइवेट व्हीकल ऑपरेटरों का चिंता फिर भी यही है कि उनको स्क्रैप व्हीकल का उचित दाम मिलना चाहिए. जिससे नए वाहन की खरीद में आसानी हो सके.
स्क्रैप व्हीकल का मिले उचित दाम
वाहन मालिकों ने स्क्रैप पॉलिसी लाने के निर्णय की सराहना की है और कहा कि इससे प्रदूषण नियंत्रण में सहायता मिलेगी और शहरों में पार्किंग की समस्या भी हल होगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल के शहरों के अंदर और आसपास सैंकड़ों पुराने वाहन खड़े जो बेकार हैं, लेकिन कोई स्क्रैप पॉलिसी नहीं होने के कारण सड़कों के किनारे ही जंग खा रहे हैं.
अब इस व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के आने से उम्मीद है कि इन वाहनों को सड़क किनारे से हटाने में सहायता मिलेगी. वाहन मालिकों का कहना है कि स्क्रैप व्हीकल का उचित दाम भी मिलना चाहिए. केवल मध्यम वर्ग का व्यक्ति ही 15 साल पुराना वाहन चलाता है. ऐसा व्यक्ति जो नया वाहन नहीं खरीद सकता अगर उसका पुराना वाहन भी सरकार की किसी नीति के कारण स्क्रैप कर दिया जाता है तो उसके बदले में नया वाहन खरीदने के लिए सरकार द्वारा कुछ छूट और आर्थिक मदद भी मिलनी चाहिए.
छोटे कारोबारियों और पुराने वाहन डीलरों को व्यवसाय प्रभावित होने का डर
छोटे टैक्सी चालकों को व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने से बिजनेस प्रभावित होने का डर है. छोटे टैक्सी कारोबारियों का कहना है कि हिमाचल में अधिकतर छोटे शहर हैं. इनमें बिजनेस इतना अधिक नहीं होता जिससे वाहन कम चलते हैं और लंबे समय तक पुरानों वाहनों को चलाया जा सकता है.
ऐसे में अगर स्क्रैप पॉलिसी के कारण 15 साल पुरानी टैक्सियां हटाई जाती हैं तो कठिनाई जरूर होगी. छोटे टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार को टैक्सी स्क्रैप करने पर इसकी इंश्योरेंस वैल्यू के हिसाब से राशि अदा करनी चाहिए, ताकि नई टैक्सी खरीदी जा सके.
ट्रांसपोर्ट विभाग ने तैयारियां की शुरू
डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट अनुपम कश्यप ने कहा कि भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार प्रदेश सरकार से ऑब्जेक्शन मांगे गए हैं. जिसके तहत प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सभी विभागों के अलावा इनसे जुड़े संस्थानों में प्रयोग होने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन 15 वर्ष के बाद नहीं किया जाएगा.
इस अधिसूचना के तहत कहा गया है कि ये सभी विभाग सीधे केंद्र सरकार को या फिर राज्य ट्रांसपोर्ट विभाग को भी अपनी आपत्तियां भेज सकते हैं. जिन पर फिर केंद्र सरकार विचार करेगी. राज्य सरकार को प्राप्त अधिसूचना के अनुसार ऐसे 15 वर्ष बीत जाने वाहनों के पंजीकरण प्रमाण-पत्र का नवीकरण नहीं किया जाएगा.
फिलहाल सरकारी वाहनों पर ही अनिवार्य रूप से लागू
प्राप्त अधिसूचना के अनुसार फिलहाल यह नियम केवल सरकारी वाहनों पर ही अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा. जिन विभाग पर यह नियम अनिवार्य रूप से लागू होगा उनमें केंद्र सरकार और इसके विभाग और प्रदेश सरकार और इसके विभाग हैं. इसके अलावा हैं स्थानीय सरकारी संस्थान, नगर निगम, नगर पालिका, पंचायतें आदि राज्य परिवहन उपक्रम (एचआरटीसी) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमकेंद्र सरकार और राज्य सरकार के स्वायत्तशासी संस्थान.
वाहन को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा
दरअसल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बहुप्रतीक्षित नई वाहन कबाड़ नीति (व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी) का ऐलान किया. नई व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के मुख्य अंश इस प्रकार हैं. नई वाहन कबाड़ नीति स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति के तहत वाहन का पंजीकरण खत्म होते ही वाहन को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा.
इस नीति के अनुसार व्यक्तिगत या निजी वाहनों का 20 साल में और वाणिज्यिक वाहनों का 15 साल में फिटनेस टेस्ट होगा. यदि कोई वाहन फिटनेस टेस्ट पास करने में नाकाम रहता है, तो उसका जीवन खत्म समझा जाएगा. पुराने वाहनों को चलाने से लोगों को हतोत्साहित करने के लिए पुराने वाहनों के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) के नवीनीकरण शुल्क (रिन्यूअल फीस) को बढ़ाया जाएगा.
वाहन मालिकों को मिलेंगे ये फायदे
यदि वाहन मालिक पुराने वाहन को स्क्रैप करने का विकल्प चुनते हैं तो 4 से 6 फीसदी तक वाहन का एक स्क्रैप मूल्य वाहन मालिक को दिया जाएगा. रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट दी जाएगी. वहीं, स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र दिखाने पर वाहन निर्माताओं को नए वाहनों पर 5 फीसदी छूट देने की सलाह सरकार की तरफ से दी जाएगी.
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