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मंडी के नसलोह स्कूल का रिजल्ट तीन सालों से जीरो, इस साल एक भी बच्चा नहीं हुआ पास

मंडी जिला मुख्यालय से मात्र 8 किमी की दूरी पर द्रंग विधानसभा क्षेत्र में स्थित नसलोह स्कूल का 10वीं कक्षा का एक भी बच्चा पास नहीं हो सका है और वार्षिक रिजल्ट जीरो रहा है. 2019-20 में एक बार फिर से स्कूल का रिजल्ट ज़ीरो रहा है. दसवीं कक्षा में 23 बच्चे थे, जिनमें से 16 पूरी तरह से फेल हैं और 7 को कम्पार्टमेंट आई है. सभी बच्चे मैथ में फेल हुए हैं.

Nasloh School remain zero percent
Nasloh School remain zero percent
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Published : Jul 3, 2020, 5:02 PM IST

मंडी: आज हम आपको मंडी जिला के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताएंगे, जहां पिछले तीन वर्षों से 10वीं का वार्षिक रिजल्ट लगभग जीरो रह रहा है. पिछले साल यहां कुछ बच्चे जैसे-तैसे पास हो गए थे, लेकिन उससे पिछले साल और अबकी बार एक भी बच्चा पास नहीं हो सका है.

अब अभिभावकों ने यहां के सारे स्टाफ को बदलने की मांग उठाई है. टेक्नोलॉजी के इस युग में जब दसवीं और बाहरवीं का रिजल्ट आता है तो हर अभिभावक अपने बच्चों की मार्कशीट सोशल मीडिया पर शान-ओ-शौकत के साथ शेयर करते हैं, लेकिन नसलोह स्कूल के अभिभावक वार्षिक रिजल्ट आते ही लोगों से मुहं चुराने लग जाते हैं.

वीडियो.

इसका कारण स्कूल के बच्चों का लगातार फेल होना हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नसलोह में 10वीं कक्षा का एक भी बच्चा पास नहीं हो सका है और वार्षिक रिजल्ट जीरो रहा है.

16 बच्चे फेल और 7 की कम्पार्टमेंट

यह स्कूल मंडी जिला मुख्यालय से मात्र 8 किमी की दूरी पर द्रंग विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. शैक्षणिक सत्र 2017-18 में स्कूल की 10वीं कक्षा का रिजल्ट जीरो रहा. 2018-19 में मात्र 23 प्रतिशत बच्चे ही जैसे-तैसे पास हो सके. अब 2019-20 में एक बार फिर से स्कूल का रिजल्ट जीरो रहा है.

दसवीं कक्षा में 23 बच्चे थे, जिनमें से 16 पूरी तरह से फेल हैं और 7 को कम्पार्टमेंट आई है. सभी बच्चे मैथ में फेल हुए हैं और कम्पार्टमेंट भी इसी विषय में आई है, जो बच्चे पूरी तरह से फेल हुए हैं. वह मैथ के अलावा अंग्रेजी, साईंस, सोशल साईंस, संस्कृत और ड्राईंग जैसे आसान विषयों में भी फेल हुए हैं.

वहीं, 12वीं कक्षा में स्कूल में 6 बच्चे थे, जिसमें से सिर्फ 2 ही पास हो पाए हैं जबकि 1 को कम्पार्टमेंट आई है और एक ने परीक्षा ही नहीं दी है. अभिभावक कृष्ण कुमार और लाल सिंह ठाकुर ने इसके लिए स्कूल प्रबंधन को पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराया है.

स्कूल प्रबंधन समिति प्रधान ने स्टाफ बदलने की उठाई मांग

ऐसा भी नहीं कि स्कूल में अध्यापकों की कमी है. स्कूल में सिर्फ संस्कृत के अध्यापक का पद खाली है जबकि बाकी पद भरे हुए हैं, लेकिन स्कूल का वार्षिक रिजल्ट इस तरह से रहने पर अब स्टाफ पर ही सवाल उठना शुरू हो गए हैं. स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान भिंदर सिंह ने विभाग और सरकार से स्कूल का सारा स्टाफ बदलने की मांग उठाई है.

क्या कहती है उच्च शिक्षा उपनिदेशिका

वहीं, जब इस बारे में उच्च शिक्षा उपनिदेशिका वीना धीमान अत्री से बात की गई तो उन्होंने माना कि स्कूल में 10वीं का वार्षिक रिजल्ट ज़ीरो रहा है और 12वीं का रिजल्ट भी संतोषजनक नहीं है. उन्होंने बताया कि सारी डिटेल उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी और वहां से जो आदेश प्राप्त होंगे उसी आधार पर आगामी कार्रवाई अम्ल में लाई जाएगी.

सरकार को स्कूल के बारे में सोचना होगा

सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय पर गहन मंथन करना होगा कि आखिर कहां पर कमी रह रही है. बच्चों को सही शिक्षा देने का दायित्व अध्यापक और अभिभावक दोनों का है. ऐसे में विभाग को यह भी देखना होगा कि कहीं तालमेल में कोई कमी तो नहीं रह रही अन्यथा वो दिन दूर नहीं होगा जब लोग इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने से कतराने लगेंगे.

मंडी: आज हम आपको मंडी जिला के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताएंगे, जहां पिछले तीन वर्षों से 10वीं का वार्षिक रिजल्ट लगभग जीरो रह रहा है. पिछले साल यहां कुछ बच्चे जैसे-तैसे पास हो गए थे, लेकिन उससे पिछले साल और अबकी बार एक भी बच्चा पास नहीं हो सका है.

अब अभिभावकों ने यहां के सारे स्टाफ को बदलने की मांग उठाई है. टेक्नोलॉजी के इस युग में जब दसवीं और बाहरवीं का रिजल्ट आता है तो हर अभिभावक अपने बच्चों की मार्कशीट सोशल मीडिया पर शान-ओ-शौकत के साथ शेयर करते हैं, लेकिन नसलोह स्कूल के अभिभावक वार्षिक रिजल्ट आते ही लोगों से मुहं चुराने लग जाते हैं.

वीडियो.

इसका कारण स्कूल के बच्चों का लगातार फेल होना हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नसलोह में 10वीं कक्षा का एक भी बच्चा पास नहीं हो सका है और वार्षिक रिजल्ट जीरो रहा है.

16 बच्चे फेल और 7 की कम्पार्टमेंट

यह स्कूल मंडी जिला मुख्यालय से मात्र 8 किमी की दूरी पर द्रंग विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. शैक्षणिक सत्र 2017-18 में स्कूल की 10वीं कक्षा का रिजल्ट जीरो रहा. 2018-19 में मात्र 23 प्रतिशत बच्चे ही जैसे-तैसे पास हो सके. अब 2019-20 में एक बार फिर से स्कूल का रिजल्ट जीरो रहा है.

दसवीं कक्षा में 23 बच्चे थे, जिनमें से 16 पूरी तरह से फेल हैं और 7 को कम्पार्टमेंट आई है. सभी बच्चे मैथ में फेल हुए हैं और कम्पार्टमेंट भी इसी विषय में आई है, जो बच्चे पूरी तरह से फेल हुए हैं. वह मैथ के अलावा अंग्रेजी, साईंस, सोशल साईंस, संस्कृत और ड्राईंग जैसे आसान विषयों में भी फेल हुए हैं.

वहीं, 12वीं कक्षा में स्कूल में 6 बच्चे थे, जिसमें से सिर्फ 2 ही पास हो पाए हैं जबकि 1 को कम्पार्टमेंट आई है और एक ने परीक्षा ही नहीं दी है. अभिभावक कृष्ण कुमार और लाल सिंह ठाकुर ने इसके लिए स्कूल प्रबंधन को पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराया है.

स्कूल प्रबंधन समिति प्रधान ने स्टाफ बदलने की उठाई मांग

ऐसा भी नहीं कि स्कूल में अध्यापकों की कमी है. स्कूल में सिर्फ संस्कृत के अध्यापक का पद खाली है जबकि बाकी पद भरे हुए हैं, लेकिन स्कूल का वार्षिक रिजल्ट इस तरह से रहने पर अब स्टाफ पर ही सवाल उठना शुरू हो गए हैं. स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान भिंदर सिंह ने विभाग और सरकार से स्कूल का सारा स्टाफ बदलने की मांग उठाई है.

क्या कहती है उच्च शिक्षा उपनिदेशिका

वहीं, जब इस बारे में उच्च शिक्षा उपनिदेशिका वीना धीमान अत्री से बात की गई तो उन्होंने माना कि स्कूल में 10वीं का वार्षिक रिजल्ट ज़ीरो रहा है और 12वीं का रिजल्ट भी संतोषजनक नहीं है. उन्होंने बताया कि सारी डिटेल उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी और वहां से जो आदेश प्राप्त होंगे उसी आधार पर आगामी कार्रवाई अम्ल में लाई जाएगी.

सरकार को स्कूल के बारे में सोचना होगा

सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय पर गहन मंथन करना होगा कि आखिर कहां पर कमी रह रही है. बच्चों को सही शिक्षा देने का दायित्व अध्यापक और अभिभावक दोनों का है. ऐसे में विभाग को यह भी देखना होगा कि कहीं तालमेल में कोई कमी तो नहीं रह रही अन्यथा वो दिन दूर नहीं होगा जब लोग इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने से कतराने लगेंगे.

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