ETV Bharat / state

अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर रहा हिमाचल, प्रीणी गांव में बनवाया था आशियाना, जानिए देवभूमि से कैसा था उनका रिश्ता? - ATAL VAJPAYEE BIRTH ANNIVERSARY

हिमाचल प्रदेश से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा. आज भी प्रीणी गांव में उनका घर स्थित है.

अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर रहा हिमाचल
अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर रहा हिमाचल (FILE)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 13 hours ago

कुल्लू: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है. ये तो सभी को पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे. अटल जी जब प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार कुल्लू आए थे तो उन्होंने ढालपुर में रैली के दौरान हिमाचल को विशेष पैकेज दिया था. उनका प्रेम हमेशा हिमाचल के लोगों के लिए बना रहा. वाजपेयी का पर्यटन नगरी मनाली से भी साथ खास लगाव था.

प्रीणी गांव में अटल जी ने बनवाया था घर

हिमाचल के कुल्लू जिले के प्रीणी गांव में अटल जी ने अपना घर बनवाया था. यहां पर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहानी और कविताओं का लेखन भी किया. प्रधानमंत्री रहते भी वाजपेयी ने पर्वतारोहण संस्थान में कई बार कविता संगोष्ठी भी की. अटल जी द्वारा लिखी गई 'कविता मनाली मत आओ गोरी' सहित अन्य कवितायें आज भी कई लोगों की जुबान पर हैं.

वाजपेयी ने निभाया हिमाचल के लिए अभिभावक की भूमिका

अटल बिहारी वाजपेयी बेशक देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे हमेशा एक बड़े बुजुर्ग की भूमिका में ही रहे. सक्रिय राजनीति छोड़ने के बाद भी जब अटल जी बतौर प्रधानमंत्री कुल्लू आते थे तो ज्यादातर यही पर रहना पसंद करते थे. साल 2003 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो वह वापस प्रीणी गांव में अपने घर रहने आए. इससे पहले भी वह ग्रामीणों से मिलते थे और प्रीणी स्कूल में भी बच्चों से मुलाकात करते थे.

प्रीणी स्कूल में छात्रों से मिलते अटल बिहारी वाजपेयी
प्रीणी स्कूल में छात्रों से मिलते अटल बिहारी वाजपेयी (FILE)

हिमाचल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष गोविंद ठाकुर ने कहा, "जब भी अटल बिहारी वाजपेयी प्रीणी गांव में अपने घर आते तो ग्रामीणों से अवश्य मुलाकात करते थे. इसके अलावा वे स्कूल का भी दौरा करते. यहां पर अटल जी कविताओं का भी लेखन करते थे".

अटल जी से जुड़ी कहानियां

उनसे जुड़ी कई कहानियां आज भी लोगों की जेहन में हैं. इन्हीं में एक वाक्या है कि जब वे चुनाव हार कर प्रीणी स्कूल पहुंचे तो स्कूली बच्चों ने भी उनके समक्ष कुछ मांगे रखी. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने स्कूल के बच्चों को ₹5000 देते हुए यह कहा था कि अब तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई है. ऐसे में फिलहाल उनके पास अभी यह ₹5000 ही देने को है.

अटल जी का हिमाचल के लोगों से खास लगाव था. मनाली अटल जी की पसंदीदा जगह थी. वाजपेयी जब भी मनाली आते तो वह ग्रामीणों से मिलते थे. वहीं, स्थानीय ग्रामीण भी उन्हें अपने खेतों व बगीचे में लगे फल सब्जियां देने उनके घर जाते थे. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ भी उनका प्रेम किसी से छुपा हुआ नहीं है. इसके अलावा ट्राउट फिश के भी वाजपेयी काफी दीवाने रहे.

हिमाचल दौरे पर ग्रामीणों से मुलाकात करते अटल जी
हिमाचल दौरे पर ग्रामीणों से मुलाकात करते अटल जी (FILE)

आपकों बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमित भट्टाचार्य की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई है. रंजन भट्टाचार्य हिमाचल के रहने वाले हैं. रंजन के माता-पिता डॉक्टर होने के चलते कई साल हिमाचल रहे और उनके पास बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र था. वही, रंजन एक फाइव स्टार होटल श्रृंखला में काम करते थे, उनका होटल भी मनाली में था. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रीणी गांव में अपनी बेटी के नाम पर भी घर बनाया और प्रधानमंत्री रहते हुए भी कई बार यहां आए.

वाजपेयी ने किया था जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन

इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1999 में पार्वती जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन करने के लिए कुल्लू के मणिकर्ण आए थे. उस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे. प्रेम कुमार धूमल प्रधानमंत्री को रिसीव कर चंडीगढ़ से कुल्लू लाए. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि वह हिमाचल के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करें तो इससे हिमाचल के विकास को काफी मदद मिलेगी. धूमल के आग्रह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने हिमाचल के लिए 400 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की. हालांकि, चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पंजाब और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी पैकेज मांगा था. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें जवाब दिया था कि हिमाचल तो मेरा अपना घर है, तुम किसी और मुद्दे पर बात करो.

अटल बिहारी वाजपेयी से मिलते प्रेम कुमार धूमल
अटल बिहारी वाजपेयी से मिलते प्रेम कुमार धूमल (FILE)

अटल बिहारी वाजपेयी 1968 पर पहली बार मनाली आए थे और साल 1992 के बाद वे मनाली के ही होकर रह गए. अटल जी 19 मार्च 1999 से 2003 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी हर साल जून महीने में एक सप्ताह तक मनाली से ही देश का संचालन करते थे और प्रीणी का घर प्रधानमंत्री के कार्यालय में तब्दील हो जाता था. स्थानीय ग्रामीण भी उन्हें चाचा मामा की उपाधि से पुकारते थे. वहीं, प्रधानमंत्री भी उनके सुख-दुख में साझेदार होते थे. वाजपेयी ने प्रीणी स्कूल में साल 2004 में देवदार का पौधा रोपण किया था. स्थानीय ग्रामीण और स्कूल के छात्र आज भी इस पेड़ का रखरखाव करते हैं.

प्रीणी स्कूल में वाजपेयी ने किया था पौधारोपण
प्रीणी स्कूल में वाजपेयी ने किया था पौधारोपण (FILE)

प्रीणी गांव के ग्रामीण कुंदन ठाकुर और ठाकर दास ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर प्रीणी गांव आते थे. जब भी वो गांव आते तो ग्रामीणों से अवश्य मुलाकात करते थे. अटल जी प्रीणी गांव में स्कूली छात्रों से मिलते और उनसे बातें करते थे. आज भी उनकी याद में हर साल उनकी पुण्यतिथि और जयंती पर अटल जी की आत्मा की शांति के लिए ग्रामीण हवन पाठ करते हैं और अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाए गए आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं.

बता दें कि साल 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री का एम्स दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया. अंतिम संस्कार के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां मनाली के कंचनीकूट में उनकी नातिन निहारिका और उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने ब्यास नदी में प्रवाहित की थी.

ये भी पढ़ें: दोस्त की 'पीड़ा' सुनकर वाजपेयी ने दिया था मदद का 'अटल वचन', फिर रखी हिमाचल में इस टनल की नींव, जो बन गई दोस्ती की मिसाल

कुल्लू: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है. ये तो सभी को पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे. अटल जी जब प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार कुल्लू आए थे तो उन्होंने ढालपुर में रैली के दौरान हिमाचल को विशेष पैकेज दिया था. उनका प्रेम हमेशा हिमाचल के लोगों के लिए बना रहा. वाजपेयी का पर्यटन नगरी मनाली से भी साथ खास लगाव था.

प्रीणी गांव में अटल जी ने बनवाया था घर

हिमाचल के कुल्लू जिले के प्रीणी गांव में अटल जी ने अपना घर बनवाया था. यहां पर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहानी और कविताओं का लेखन भी किया. प्रधानमंत्री रहते भी वाजपेयी ने पर्वतारोहण संस्थान में कई बार कविता संगोष्ठी भी की. अटल जी द्वारा लिखी गई 'कविता मनाली मत आओ गोरी' सहित अन्य कवितायें आज भी कई लोगों की जुबान पर हैं.

वाजपेयी ने निभाया हिमाचल के लिए अभिभावक की भूमिका

अटल बिहारी वाजपेयी बेशक देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे हमेशा एक बड़े बुजुर्ग की भूमिका में ही रहे. सक्रिय राजनीति छोड़ने के बाद भी जब अटल जी बतौर प्रधानमंत्री कुल्लू आते थे तो ज्यादातर यही पर रहना पसंद करते थे. साल 2003 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो वह वापस प्रीणी गांव में अपने घर रहने आए. इससे पहले भी वह ग्रामीणों से मिलते थे और प्रीणी स्कूल में भी बच्चों से मुलाकात करते थे.

प्रीणी स्कूल में छात्रों से मिलते अटल बिहारी वाजपेयी
प्रीणी स्कूल में छात्रों से मिलते अटल बिहारी वाजपेयी (FILE)

हिमाचल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष गोविंद ठाकुर ने कहा, "जब भी अटल बिहारी वाजपेयी प्रीणी गांव में अपने घर आते तो ग्रामीणों से अवश्य मुलाकात करते थे. इसके अलावा वे स्कूल का भी दौरा करते. यहां पर अटल जी कविताओं का भी लेखन करते थे".

अटल जी से जुड़ी कहानियां

उनसे जुड़ी कई कहानियां आज भी लोगों की जेहन में हैं. इन्हीं में एक वाक्या है कि जब वे चुनाव हार कर प्रीणी स्कूल पहुंचे तो स्कूली बच्चों ने भी उनके समक्ष कुछ मांगे रखी. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने स्कूल के बच्चों को ₹5000 देते हुए यह कहा था कि अब तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई है. ऐसे में फिलहाल उनके पास अभी यह ₹5000 ही देने को है.

अटल जी का हिमाचल के लोगों से खास लगाव था. मनाली अटल जी की पसंदीदा जगह थी. वाजपेयी जब भी मनाली आते तो वह ग्रामीणों से मिलते थे. वहीं, स्थानीय ग्रामीण भी उन्हें अपने खेतों व बगीचे में लगे फल सब्जियां देने उनके घर जाते थे. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ भी उनका प्रेम किसी से छुपा हुआ नहीं है. इसके अलावा ट्राउट फिश के भी वाजपेयी काफी दीवाने रहे.

हिमाचल दौरे पर ग्रामीणों से मुलाकात करते अटल जी
हिमाचल दौरे पर ग्रामीणों से मुलाकात करते अटल जी (FILE)

आपकों बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमित भट्टाचार्य की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई है. रंजन भट्टाचार्य हिमाचल के रहने वाले हैं. रंजन के माता-पिता डॉक्टर होने के चलते कई साल हिमाचल रहे और उनके पास बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण पत्र था. वही, रंजन एक फाइव स्टार होटल श्रृंखला में काम करते थे, उनका होटल भी मनाली में था. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रीणी गांव में अपनी बेटी के नाम पर भी घर बनाया और प्रधानमंत्री रहते हुए भी कई बार यहां आए.

वाजपेयी ने किया था जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन

इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1999 में पार्वती जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन करने के लिए कुल्लू के मणिकर्ण आए थे. उस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे. प्रेम कुमार धूमल प्रधानमंत्री को रिसीव कर चंडीगढ़ से कुल्लू लाए. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि वह हिमाचल के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करें तो इससे हिमाचल के विकास को काफी मदद मिलेगी. धूमल के आग्रह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने हिमाचल के लिए 400 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की. हालांकि, चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पंजाब और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी पैकेज मांगा था. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें जवाब दिया था कि हिमाचल तो मेरा अपना घर है, तुम किसी और मुद्दे पर बात करो.

अटल बिहारी वाजपेयी से मिलते प्रेम कुमार धूमल
अटल बिहारी वाजपेयी से मिलते प्रेम कुमार धूमल (FILE)

अटल बिहारी वाजपेयी 1968 पर पहली बार मनाली आए थे और साल 1992 के बाद वे मनाली के ही होकर रह गए. अटल जी 19 मार्च 1999 से 2003 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी हर साल जून महीने में एक सप्ताह तक मनाली से ही देश का संचालन करते थे और प्रीणी का घर प्रधानमंत्री के कार्यालय में तब्दील हो जाता था. स्थानीय ग्रामीण भी उन्हें चाचा मामा की उपाधि से पुकारते थे. वहीं, प्रधानमंत्री भी उनके सुख-दुख में साझेदार होते थे. वाजपेयी ने प्रीणी स्कूल में साल 2004 में देवदार का पौधा रोपण किया था. स्थानीय ग्रामीण और स्कूल के छात्र आज भी इस पेड़ का रखरखाव करते हैं.

प्रीणी स्कूल में वाजपेयी ने किया था पौधारोपण
प्रीणी स्कूल में वाजपेयी ने किया था पौधारोपण (FILE)

प्रीणी गांव के ग्रामीण कुंदन ठाकुर और ठाकर दास ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर प्रीणी गांव आते थे. जब भी वो गांव आते तो ग्रामीणों से अवश्य मुलाकात करते थे. अटल जी प्रीणी गांव में स्कूली छात्रों से मिलते और उनसे बातें करते थे. आज भी उनकी याद में हर साल उनकी पुण्यतिथि और जयंती पर अटल जी की आत्मा की शांति के लिए ग्रामीण हवन पाठ करते हैं और अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाए गए आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं.

बता दें कि साल 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री का एम्स दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया. अंतिम संस्कार के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां मनाली के कंचनीकूट में उनकी नातिन निहारिका और उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने ब्यास नदी में प्रवाहित की थी.

ये भी पढ़ें: दोस्त की 'पीड़ा' सुनकर वाजपेयी ने दिया था मदद का 'अटल वचन', फिर रखी हिमाचल में इस टनल की नींव, जो बन गई दोस्ती की मिसाल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.