शिमला: गाड़ियों के साथ साथ घरों में रोशनी के लिए बैटरी का इस्तेमाल होता है. लोगों के घरों में उजाला करने वाली इस बैटरी का बैटरी वाटर लोगों के जीवन में अंधेरा कर सकता है. बैटरी में डलने वाला तरल पदार्थ जिसे बैटरी वाटर के नाम से जाना जाता है. बैटरी वाटर देखने, सूंघने और स्वाद में एकदम पानी जैसा ही होता है, लेकिन ये इंसानों के लिए खतरनाक होता है.
आसान शब्दों में अगर कहे तो बैटरी वाटर एक मजबूत एसिड (सल्फ्यूरिक एसिड) होता है. हर साल बैटरी वाटर पीने के 30 से 40 केस हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल IGMC शिमला में आते है. अधिकतर मामलों में लोग बैटरी वाटर को नॉर्मल पानी समझ कर पी जाते हैं. इसी कारण से हमें बैटरी वाटर और पीने के पानी को एक साथ नहीं रखना चाहिए, क्योंकि कोई भी बैटरी वाटर को पीने का पानी समझकर पी सकता है. कई बार लोग अनजाने में इसे पानी समझकर पी लेते हैं.
गलती से पी लिया बैटरी वाटर
हिमाचल प्रदेश के शिमला की रहने वाली अंकिता वर्मा ने भी 2018 में कार में पानी की बोतल के साथ रखे बैटरी वाटर को पानी समझ कर पी लिया था. इसके बाद उन्हें कई महीने अस्पताल में रहना पड़ा. उनके पेट का साठ प्रतिशत हिस्सा डॉक्टरों ने निकाल दिया जो बैटरी वाटर के कारण जल चुका था. अंकिता वर्मा की बाईपास सर्जरी हुई थी. करीब 8 साल इस घटना को हो गए है, लेकिन आज भी अंकिता वर्मा के जख्म ताजा है.
बेहद खतरनाक है बैटरी वाटर
चलिए अब आपको बताते है कि बैटरी वाटर पीने से क्या होता है? अटल सुपर स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान चमियाना में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. ब्रिज शर्मा ने बताया कि, 'बैटरी वाटर एक तरह का एसिड होता है. इसका पानी की तरह ही रंग होता है. कई लोग धोखे से पानी की जगह बैटरी वाटर पी लेते है, जब भी कोई बैटरी वाटर पी लेता है तो फूड पाइप और हमारा स्टमक जल जाता है. धीरे धीरे जब वो घाव भरता है तो जलने वाला पूरा एरिया सिकुड़ जाता है. उस जगह पर एक रुकावट सी पैदा हो जाती है. खाना तक उस जगह से नीचे नहीं जा पाता, जिस वजह से मरीज को उल्टियां और डिहाइड्रेशन होती है. इस केस में न खाना खाया जाता है और न ही लिक्विड लिया जाता है. कुछ मामलों में ये लंग्स में भी चला जाता है और इससे निमोनिया और सांस लेने में दिक्कत हो जाती है, अगर स्थिति ज्यादा खराब होती है तो बाईपास सर्जरी की जाती है.'
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बैटरी वाटर पीने से होता है ये नुकसान
डॉ. ब्रिज शर्मा ने बताया कि, 'बैटरी वाटर से हमारी फूड पाइप जो 40 सेंटीमीटर होती है इसमें जख्म हो जाते हैं. स्टमक और आंत में भी इसका असर होता है. हमारे शरीर का स्टमक 20 से 25 सेंटीमीटर होता है. आंत की अगर बात की जाए तो हमारी छोटी आंत चार से छह मीटर होती है और बड़ी आंत डेढ़ मीटर होती है. इस तरह हमारी आंत 6 से 7 मीटर होती है. एसिड पीने से 50 से 60 सेंटीमीटर तक घाव आंत में होता है. कई दफा ऐसे मामले में छोटी आंत को सीधा फूड पाइप के साथ जोड़ दिया जाता है. इस तरह से जो आंत जल गई है उसे निकाल दिया जाता है. ऐसे में आयरन, विटामिन इंजेक्शन शरीर को भोजन से नहीं मिल पाता और उसे इंजेक्शन के जरिए देना पड़ता है.'
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आहार पहुंचाने के लिए पेट तक डाली जाती है ट्यूब
सर्जरी के दौरान पेट के जले हुए हिस्से को पहले निकालना पड़ता है और फिर एक खास तरह की नली (ट्यूब) को शरीर में जोड़ा जाता है. पेट में खाना पहुंचाने के लिए आहार नली के ऊपरी हिस्से को फैलाकर वहां से पेट तक फीडिंग ट्यूब डाली जाती है. कई दफा ऐसे मामलों में फूड पाइप जलकर सिकुड़ जाती है, जिस वजह से पेट में अल्सर भी हो जाता है. इसके चलते खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल होता है.

72 घंटे के अंदर होती है एंडोस्कोपी
डॉ ब्रिज शर्मा ने बताया कि, 'गलती से अगर कोई बैटरी वाटर पी ले तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. ऐसे मामले में 72 घंटे के अंदर अंदर एंडोस्कोपी करनी पड़ती है, अगर नुकसान कम है तो उसे तरल आहार लेने को कहा जाता है. ज्यादा जख्म होने पर नाक से एक ट्यूब डाली जाती है, इससे मरीज को को खाना या तरल आहार दिया जाता है, ताकि शरीर में न्यूट्रिशन बने रहें. सर्जरी तब की जाती है जब केस बहुत ज्यादा गंभीर होता है.'
सर्जरी के बाद क्या होता है?
सर्जरी के बाद, आपके खाने और पचाने का तरीका बदल जाएगा. डॉ ब्रिज शर्मा ने बताया कि सर्जरी के बाद पहले कुछ महीनों में तेजी से वजन न घटे इसके लिए अधिक से अधिक कैलरी का सेवन करना और शरीर को उपचार प्रक्रिया में सहायता के लिए आवश्यक पोषक तत्व लेना महत्वपूर्ण है. आपको कम मात्रा में भोजन अधिक बार लेने की आवश्यकता होगी. दिन में छह से आठ बार थोड़ा थोड़ा भोजन करना चाहिए.