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हिमाचल में यहां 40 दिन मनाई जाती है 'होली', 400 साल पुरानी परंपरा को आज भी निभा रहे लोग

भगवान रघुनाथ के चरणों में गुलाल डालकर होली खेलता है बैरागी समुदाय

बसंत पंचमी पर पूजा करते बैरागी समुदाय के लोग.
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Published : Feb 11, 2019, 11:25 AM IST

कुल्लू: देश व दुनिया में रंगो के खूबसूरत त्योहार होली को मनाने में अभी जहां 40 दिन बचे हुए हैं. वहीं कुल्लू में होली उत्सव का आगाज हो चुका है. 400 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए कुल्लू में रहने वाले बैरागी समुदाय के लोगों ने बसंत पंचमी के उत्सव से ही होली उत्सव का आगाज कर दिया है.

आपको बता दें कि बैरागी समुदाय के लोग गुलाल उड़ाने के साथ-साथ ब्रज व अवध के होली गीत भी गाएंगे और भगवान रघुनाथ का भी आशीर्वाद लेंगे. उत्सव की खास बात यह है कि इस समुदाय में छोटे अपने बड़ों के पैरों में गुलाल लगाएंगे और बड़े छोटे के सर पर गुलाल लगाकर आशीर्वाद देंगे.

बसंत पंचमी पर पूजा करते बैरागी समुदाय के लोग.
बसंत पंचमी पर पूजा करते बैरागी समुदाय के लोग.
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गौर रहे कि वसंत पंचमी के दिन से अगले 40 दिनों तक बैरागी समुदाय के लोग रोजाना रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ के चरणों में गुलाल डालकर होली खेलते हैं और घर-घर जाकर रंग लगाते हैं. साथ ही इस दौरान गाए जाने वाले विशेष बृज के गीत गाते हैं. कहा जाता है कि बैरागी समुदाय के अलावा इन गानों की किसी को जानकारी नहीं है.

होली से ठीक सात दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है जिसके तहत बैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ के साथ उनके चरणों में गुलाल डालकर होली खेलेंगे.

बसंत पंचमी पर नई ऋतुओं के आगमन और फिर हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और इसे वर्ष का पहला त्योहार माना जाता है. वृंदावन में जिस तरह से बसंत का त्योहार मनाया जाता है उसी तर्ज पर यहां पर भी पिछले 400 सालों से बसंत पर होली का आगाज हो जाता है, जो अगले 40 दिनों तक चलती है. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि पिछले लंबे समय से परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है और इस बार भी बैरागी समुदाय द्वारा रोज होली गीत गाकर त्योहार को मनाया जाएगा.

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कुल्लू: देश व दुनिया में रंगो के खूबसूरत त्योहार होली को मनाने में अभी जहां 40 दिन बचे हुए हैं. वहीं कुल्लू में होली उत्सव का आगाज हो चुका है. 400 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए कुल्लू में रहने वाले बैरागी समुदाय के लोगों ने बसंत पंचमी के उत्सव से ही होली उत्सव का आगाज कर दिया है.

आपको बता दें कि बैरागी समुदाय के लोग गुलाल उड़ाने के साथ-साथ ब्रज व अवध के होली गीत भी गाएंगे और भगवान रघुनाथ का भी आशीर्वाद लेंगे. उत्सव की खास बात यह है कि इस समुदाय में छोटे अपने बड़ों के पैरों में गुलाल लगाएंगे और बड़े छोटे के सर पर गुलाल लगाकर आशीर्वाद देंगे.

बसंत पंचमी पर पूजा करते बैरागी समुदाय के लोग.
बसंत पंचमी पर पूजा करते बैरागी समुदाय के लोग.
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गौर रहे कि वसंत पंचमी के दिन से अगले 40 दिनों तक बैरागी समुदाय के लोग रोजाना रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ के चरणों में गुलाल डालकर होली खेलते हैं और घर-घर जाकर रंग लगाते हैं. साथ ही इस दौरान गाए जाने वाले विशेष बृज के गीत गाते हैं. कहा जाता है कि बैरागी समुदाय के अलावा इन गानों की किसी को जानकारी नहीं है.

होली से ठीक सात दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है जिसके तहत बैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ के साथ उनके चरणों में गुलाल डालकर होली खेलेंगे.

बसंत पंचमी पर नई ऋतुओं के आगमन और फिर हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और इसे वर्ष का पहला त्योहार माना जाता है. वृंदावन में जिस तरह से बसंत का त्योहार मनाया जाता है उसी तर्ज पर यहां पर भी पिछले 400 सालों से बसंत पर होली का आगाज हो जाता है, जो अगले 40 दिनों तक चलती है. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि पिछले लंबे समय से परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है और इस बार भी बैरागी समुदाय द्वारा रोज होली गीत गाकर त्योहार को मनाया जाएगा.

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Intro:बैरागी समुदाय की होली के शॉट
विनोद महंत बैरागी समुदाय


Body:बैरागी समुदाय की होली के शॉट


Conclusion:बैरागी समुदाय की होली के शॉट
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