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परिवार के सात लोगों ने एक साथ दी कोरोना को मात

देहरा उपमंडल की डाडासीबा तहसील के अंतर्गत पड़ने वाले सुदूर गांव अप्पर भलवाल में रहने वाले परिवार के सात लोगों ने एक साथ कोरोना को मात देकर दूसरे संक्रमित मरीजों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है. इसमें इनलोगों के हौसले के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम और गांव वालों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Seven family members defeated Corona together
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Published : Jun 3, 2021, 10:44 PM IST

देहरा/कांगड़ा: देहरा उपमंडल की डाडासीबा तहसील के अंतर्गत पड़ने वाले सुदूर गांव अप्पर भलवाल में एक ही परिवार के सात लोगों ने एक साथ कोरोना को हराकर दूसरे लोगों को एक प्रेरणा देने का कार्य किया है. इन लोगों ने अपने हौसले, स्वास्थ्य विभाग की सहायता और गांव वालों के सतत सहयोग के कारण महामारी को हरा दिया.

कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुईं शिवानी राणा बताती हैं कि वह चंडिगढ़ में साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं और पिछले महीने अपने घर अप्पर भलवाल वापस लौटी थी. घर लौटने के बाद शुरुआती लक्ष्ण आने पर उन्होंने तुरंत अपनी कोरोना जांच कराई, जिसमें वह पॉजिटिव निकलीं. उसके तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें दवाइयां उपलब्ध करवाई और परिवार के अन्य सभी सदस्यों को भी कोरोना जांच के लिए बुलाया. दो दिन के बाद आई रिपोर्ट में उनके परिवार में 11 में से सात लोग संक्रमित पाए गए.

परिवार के सातों सदस्य घर में हुए आइसोलेट

कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद परिवार में 11 में से 7 लोगों ने अपने आप को घर के एक हिस्से में आइसोलेट कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके पास दो विकल्प थे या तो सब हिम्मत हार के बैठ जाते या सभी एक-दूसरे की हिम्मत को बढ़ाते. उन्होंने दूसरा विकल्प चुना और सब एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे. जैसे ही किसी का स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ता तो बाकि उन्हें कहते कि कल हमारे साथ भी ऐसा हो रहा था आज आराम है, आपको भी कल तक आराम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अगर उनमें से कोई भी व्यक्ति अकेला होता तो उस स्थिति से बाहर आना बहुत कठिन था. उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार का महत्व उन्हें ऐसे समय में पता चला.

डॉक्टर दिन में दो बार करते थे बात

शिवानी राणा ने बताया कि संक्रमित होने के तुरंत बाद आशा कार्यकर्ताओं ने उनके घर सभी लोगों के लिए दवाइयों की किट पहुंचाई. उनका घर क्योंकि दूरस्थ क्षेत्र में पड़ता है इसलिए उन्हें हमेशा डर रहता था कि आपात समय में डॉक्टर तक कैसे पहुंचेंगे. उन्होंने कहा उनके परिवार को डाडासीबा अस्पताल से डाॅ. हिमांशु देख रहे थे. डाॅ. हिमांशु से दिन में दो बार बात होती थी. वह सबकी पूरी विस्तृत जानकारी लेने के बाद सबके लिए दवाइयां एवं उपचार की विधियां बताते थे और जरूरत पड़ने पर आशा कार्यकर्ता दवाइयां घर पहुंचा जाती थीं.

गांव वालों ने करवाया पूरे सप्ताह भोजन

कोरोना काल में जहां बहुत लोग संक्रमित होने पर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से दूरी बना रहे हैं. वहीं, अप्पर भलवाल के गांव वासियों ने भी ऐसे समय में एक मिसाल कायम की. शिवानी बताती हैं कि वह सात लोग होने की वजह से स्वयं भोजन बनाने में सक्षम थे. लेकिन दो दिन बाद उनके शरीर में इतनी कमजोरी आने लगी कि सभी उठने में भी असमर्थ थे, जिस कारण उन्होंने दूसरे दिन सुबह केवल ब्रेड खाकर गुजारा किया. उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि हमेशा उनके संपर्क में रहते थे. जब उन्होंने पंचायत प्रधान बिरबल कुमार और सरपंच सतीश कुमार को इस बारे में बताया तो उन्होंने भोजन की चिंता छोड़ते हुए उन्हें केवल आराम करने की बात कही. उसके बाद पूरे एक सप्ताह तक उन सात लोगों का तीन समय का भोजन गांव के लोगों ने बनाकर भेजा.

यह भी पढ़ें: कोरोना संकट काल में मदद के लिए आगे आईं राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी, जरूरतमंदों को दी की ये सामग्री

देहरा/कांगड़ा: देहरा उपमंडल की डाडासीबा तहसील के अंतर्गत पड़ने वाले सुदूर गांव अप्पर भलवाल में एक ही परिवार के सात लोगों ने एक साथ कोरोना को हराकर दूसरे लोगों को एक प्रेरणा देने का कार्य किया है. इन लोगों ने अपने हौसले, स्वास्थ्य विभाग की सहायता और गांव वालों के सतत सहयोग के कारण महामारी को हरा दिया.

कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुईं शिवानी राणा बताती हैं कि वह चंडिगढ़ में साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं और पिछले महीने अपने घर अप्पर भलवाल वापस लौटी थी. घर लौटने के बाद शुरुआती लक्ष्ण आने पर उन्होंने तुरंत अपनी कोरोना जांच कराई, जिसमें वह पॉजिटिव निकलीं. उसके तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें दवाइयां उपलब्ध करवाई और परिवार के अन्य सभी सदस्यों को भी कोरोना जांच के लिए बुलाया. दो दिन के बाद आई रिपोर्ट में उनके परिवार में 11 में से सात लोग संक्रमित पाए गए.

परिवार के सातों सदस्य घर में हुए आइसोलेट

कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद परिवार में 11 में से 7 लोगों ने अपने आप को घर के एक हिस्से में आइसोलेट कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके पास दो विकल्प थे या तो सब हिम्मत हार के बैठ जाते या सभी एक-दूसरे की हिम्मत को बढ़ाते. उन्होंने दूसरा विकल्प चुना और सब एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे. जैसे ही किसी का स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ता तो बाकि उन्हें कहते कि कल हमारे साथ भी ऐसा हो रहा था आज आराम है, आपको भी कल तक आराम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अगर उनमें से कोई भी व्यक्ति अकेला होता तो उस स्थिति से बाहर आना बहुत कठिन था. उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार का महत्व उन्हें ऐसे समय में पता चला.

डॉक्टर दिन में दो बार करते थे बात

शिवानी राणा ने बताया कि संक्रमित होने के तुरंत बाद आशा कार्यकर्ताओं ने उनके घर सभी लोगों के लिए दवाइयों की किट पहुंचाई. उनका घर क्योंकि दूरस्थ क्षेत्र में पड़ता है इसलिए उन्हें हमेशा डर रहता था कि आपात समय में डॉक्टर तक कैसे पहुंचेंगे. उन्होंने कहा उनके परिवार को डाडासीबा अस्पताल से डाॅ. हिमांशु देख रहे थे. डाॅ. हिमांशु से दिन में दो बार बात होती थी. वह सबकी पूरी विस्तृत जानकारी लेने के बाद सबके लिए दवाइयां एवं उपचार की विधियां बताते थे और जरूरत पड़ने पर आशा कार्यकर्ता दवाइयां घर पहुंचा जाती थीं.

गांव वालों ने करवाया पूरे सप्ताह भोजन

कोरोना काल में जहां बहुत लोग संक्रमित होने पर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से दूरी बना रहे हैं. वहीं, अप्पर भलवाल के गांव वासियों ने भी ऐसे समय में एक मिसाल कायम की. शिवानी बताती हैं कि वह सात लोग होने की वजह से स्वयं भोजन बनाने में सक्षम थे. लेकिन दो दिन बाद उनके शरीर में इतनी कमजोरी आने लगी कि सभी उठने में भी असमर्थ थे, जिस कारण उन्होंने दूसरे दिन सुबह केवल ब्रेड खाकर गुजारा किया. उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि हमेशा उनके संपर्क में रहते थे. जब उन्होंने पंचायत प्रधान बिरबल कुमार और सरपंच सतीश कुमार को इस बारे में बताया तो उन्होंने भोजन की चिंता छोड़ते हुए उन्हें केवल आराम करने की बात कही. उसके बाद पूरे एक सप्ताह तक उन सात लोगों का तीन समय का भोजन गांव के लोगों ने बनाकर भेजा.

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