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7 दिन मौत को मात देने के बाद परिवार से मिला हिमांशु, धौलाधार की पहाड़ियों में इस तरह गुजारे दिन - रेस्क्यू

7 दिन से लापता छात्र को स्थानीय युवाओं ने ढूंढ निकाला था. पुलिस और आर्मी भी तलाश में जुटी थी. वापस लौटने पर हिमांशू ने बयां किया अपना दर्द.

7 दिन से लापता छात्र को स्थानीय युवाओं ने ढूंढ निकाला
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Published : Mar 26, 2019, 3:17 PM IST

धर्मशाला: दिल्ली से धर्मशाला घूमने आए छात्र हिमांशु आहूजा अपने ग्रुप से बिछड़ कर धौलाधार की पहाड़ियों में लापता हो गए थे. लगातार 7 दिन तक पुलिस व सेना प्रशासन हिमांशु को ढूंढने में जुटा हुआ था लेकिन किसी को सफलता हाथ में नहीं लगी थी. वहीं सोमवार को स्थानीय युवकों ने हिमांशु को ढूंढ निकाला है.

हिमांशु ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि वह पहाड़ों बिताए सात दिन उनकी जिंदगी के सबसे बुरे 7 दिन है. अपने दोस्त से आपसी बहसबाजी की वजह से ग्रुप से अलग होने के फैसला मंहगा पड़ गया. उन्होंने कहा की गुस्से में वह इतने दूर निकल गए कि उन्हें कुछ पता नहीं चला और जब वह वाटरफॉल के पास पंहुचे तो वहां उनका पैर फिसल गया, जिससे उनके पैर की हड्डी टूट गई.

हिमांशू से बात करते हुए ईटीवी संवाददाता मिलन

उन सात दिनों में रात का समय सबसे बुरा था और रात के समय काफी ठंड लगती थी. खाने के लिए कुछ नहीं था, सिर्फ पानी के सहारे गुजारना पड़ा. पहाड़ों में बिताए इन सात दिनों में किसी जंगली जानवर से सामना तो नहीं हुआ, लेकिन सोने में परेशानी होती थी.

हिमांशु ने बताया कि उनके साथ कोई गाइड नहीं था और उन्हें ऐसा लगता था कि उनको गाइड हायर करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा.

बता दें कि दिल्ली से एक निजी कॉलेज से करीब 40 छात्र-छात्राएंधर्मशाला आए थे. आजकल त्रियुण्ड ट्रेक प्रतिबंधित होने के बावजूद कुछ छात्र वहां के लिए निकल गए. कुछ दूरी के बाद सभी वापस आ गए, लेकिन हिमांशु वहां लापता हो गया. स्थानीय युवाओं की बहादुरी की वजह से ये युवक 7 दिन बाद मिल पाया है.

धर्मशाला: दिल्ली से धर्मशाला घूमने आए छात्र हिमांशु आहूजा अपने ग्रुप से बिछड़ कर धौलाधार की पहाड़ियों में लापता हो गए थे. लगातार 7 दिन तक पुलिस व सेना प्रशासन हिमांशु को ढूंढने में जुटा हुआ था लेकिन किसी को सफलता हाथ में नहीं लगी थी. वहीं सोमवार को स्थानीय युवकों ने हिमांशु को ढूंढ निकाला है.

हिमांशु ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि वह पहाड़ों बिताए सात दिन उनकी जिंदगी के सबसे बुरे 7 दिन है. अपने दोस्त से आपसी बहसबाजी की वजह से ग्रुप से अलग होने के फैसला मंहगा पड़ गया. उन्होंने कहा की गुस्से में वह इतने दूर निकल गए कि उन्हें कुछ पता नहीं चला और जब वह वाटरफॉल के पास पंहुचे तो वहां उनका पैर फिसल गया, जिससे उनके पैर की हड्डी टूट गई.

हिमांशू से बात करते हुए ईटीवी संवाददाता मिलन

उन सात दिनों में रात का समय सबसे बुरा था और रात के समय काफी ठंड लगती थी. खाने के लिए कुछ नहीं था, सिर्फ पानी के सहारे गुजारना पड़ा. पहाड़ों में बिताए इन सात दिनों में किसी जंगली जानवर से सामना तो नहीं हुआ, लेकिन सोने में परेशानी होती थी.

हिमांशु ने बताया कि उनके साथ कोई गाइड नहीं था और उन्हें ऐसा लगता था कि उनको गाइड हायर करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा.

बता दें कि दिल्ली से एक निजी कॉलेज से करीब 40 छात्र-छात्राएंधर्मशाला आए थे. आजकल त्रियुण्ड ट्रेक प्रतिबंधित होने के बावजूद कुछ छात्र वहां के लिए निकल गए. कुछ दूरी के बाद सभी वापस आ गए, लेकिन हिमांशु वहां लापता हो गया. स्थानीय युवाओं की बहादुरी की वजह से ये युवक 7 दिन बाद मिल पाया है.

Intro:एक्सक्यूलिव।

धर्मशाला- दिल्ली से धर्मशाला घूमने आए हिमांशु आहूजा अपने ग्रुप से बिछड़ कर धौलाधार की पहाड़ियों में लापता हो गए थे लगातार 7 दिन तक पुलिस व सेना प्रशासन हिमांशु को ढूंढने में जुटा हुआ था लेकिन किसी को सफलता हाथ में नहीं लग रही थी। वहीं पिछले कल स्थानीय ट्रैकों द्वारा हिमांशु को ढूंढ निकाला गया वहीं हिमांशु ने अपने 7 दिनों का दर्द बताते हुए कहा कि वह 7 दिन उनकी जिंदगी के सबसे बुरे 7 दिन है। हिमाशु ने कहा कि अपने दोस्त से आपसी बहस बाजी बजह से वो वहां से चले गए थे। उन्होंने कहा की गुस्से में वह इतने दूर निकल गए कि उन्हें कुछ पता नही चला और जब वह वाटरफॉल के पास पंहुचे तो वहां उनका पैर खिसक गया और उनके पैर की हड्डी टूट गई और उन्हें फिर 7 दिन वही गुजारने पड़े।



Body:वही हिमाशु ने कहा कि उन सात दिनों में रात का समय सबसे बुरा था और रात के समय काफि ठंड लगती थी। उन्होंने बताया कि 7 दिन पानी के सहारे उन्होंने यहां बिताए खाने के लिए कुछ था नही । 7 दिन कुछ खाने को नही मिला था।
वही उन्होंने बताया कि 7 दिनों में कभी ऐसा नही हुआ कि कोई जानवर बेंगरा आया हो लेकिन नींद के लिए काफी परेशानी होती थी वह पथरो पर सोते थे।मिटी पर सोते थे लेकिन रात को नींद नही आती थी।


Conclusion:वही उन्होंने कहा कि यह 7 दिन मेरी जिंदगी के बहुत बुरे थे और गुस्से की वजह से यह परिणाम हुआ था ओर गुस्से में की गई गलती जिंदगी भर याद रहती है।
वही उन्होंने कहा कि उनके साथ कोई गाइड नही था और उन्हें ऐसा लगता था कि उनको गाइड हायर करना चाहिए था लेकिन किसी ने हायर नही किया। उन्होंने कहा की टीचर भी अलग अलग घूम रहे थे जोकि उचीत नही था।
वही उन्होंने कहा कि कोई भी घूमने आता है तो सबसे पहले वो गाइड हायर करने जिससे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो सके। उन्होंने कहा कि जिन्होंने मुझे बचाया है उनका सदा आभारी रहूंगा।
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