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भारी बारिश के बाद बाबा बालक नाथ मंदिर जाने वाली सड़क तालाब में तब्दील, प्रशासन की खुली पोल

प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर को जाने वाली सड़क पर बरसात में किश्तियां चलाने की नौबत आगई है. चकमोह शास्त्रीनगर बाजार में जरा सी बारिश के बाद सड़क के बीचों बीच एक फुट गहरा व लगभग 30 मीटर लंबा तालाब बना हुआ है. लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

water logging in shahtalai
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Published : Aug 10, 2020, 8:47 PM IST

हमीरपुर: उतरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर को जाने वाली सड़क पर बरसात में किश्तियां चलाने की नौबत आ गई है. चकमोह शास्त्री नगर बाजार में जरा सी बारिश के बाद सड़क के बीचों बीच एक फुट गहरा व करीब 30 मीटर लंबा तालाब बना हुआ है. इस स्थान पर विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय चकमोह व आम लोगों के आवास और दुकानें भी हैं.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पानी की निकासी बाधित होने से ये समस्या पेश आ रही हैं. अपनी भूमि पर लोग अब पानी लेने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं, जबकि पहले ये पानी खाली जगह पर अपना रास्ता बनाकर निकल जाता था. सड़क के दोनों ओर निर्माण होने के बाद पानी की निकासी नालियां पूरी तरह से बाधित हो चुकी हैं, जिसका खामियाजा वाहन चालकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

सबसे ज्यादा खराब हालत दोपहिया वाहन चालकों की हैं. इसके अलावा तालाब के पास दुकानदारी करने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर बरसात के मौसम में ऐसे ही पानी की निकासी बाधित रही तो गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है. आम दिनों में दियोटसिद्ध मंदिर को रोजाना सैकड़ों वाहन इसी सड़क से गुजरते हैं. जानकारी के मुताबिक प्रशासन व विभागीय अधिकारी इस मामले को सुलझाने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं.

सबसे बड़ा स्वाल ये है कि 2वीं सदी में मुख्य सड़कों की ऐसी दुर्दशा कैसे सहन की जा सकती है. उपमंडल बड़सर में और भी कई जगह ऐसी समस्याएं पेश आ चुकी हैं, लेकिन विभाग इनसे निपटने के लिए कोई ठोस प्रारूप नहीं बना पाया है. लोगों का कहना है कि विभाग को बरसाती पानी निकासी के लिए ड्रेनेज का प्रबंध करना चाहिए, लेकिन भूमि मालिकों की मनमर्जी के आगे अक्सर विभाग घुटने टेक देता है.

लोगों का कहना है कि सड़क का लेबल ऊंचा करके या निकासी नालियां बना कर समस्या खत्म हो सकती है. एक स्थानीय महिला ने बताया कि उनकी दुकान व मकान पूरी तरह से खतरे की जद में हैं. अगर शीघ्र समस्या न सुलझी तो मकान गिर भी सकता है. पीड़ितों का कहना है कि समस्या को सुलझाने के लिए प्रशाशन को आंखें मूंदने के बजाय तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए. वहीं, अधिशाषी अभियंता बड़सर अनिल नागपाल का कहना है कि समस्या गंभीर है. शीघ्र ही मौके का दौरा करके इसे हल करवाया जाएगा.

पढ़ें: प्रदेश में कोरोना से 14वीं मौत, बुजुर्ग ने नेरचौक मेडिकल कॉलेज में तोड़ा दम

हमीरपुर: उतरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर को जाने वाली सड़क पर बरसात में किश्तियां चलाने की नौबत आ गई है. चकमोह शास्त्री नगर बाजार में जरा सी बारिश के बाद सड़क के बीचों बीच एक फुट गहरा व करीब 30 मीटर लंबा तालाब बना हुआ है. इस स्थान पर विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय चकमोह व आम लोगों के आवास और दुकानें भी हैं.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पानी की निकासी बाधित होने से ये समस्या पेश आ रही हैं. अपनी भूमि पर लोग अब पानी लेने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं, जबकि पहले ये पानी खाली जगह पर अपना रास्ता बनाकर निकल जाता था. सड़क के दोनों ओर निर्माण होने के बाद पानी की निकासी नालियां पूरी तरह से बाधित हो चुकी हैं, जिसका खामियाजा वाहन चालकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

सबसे ज्यादा खराब हालत दोपहिया वाहन चालकों की हैं. इसके अलावा तालाब के पास दुकानदारी करने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर बरसात के मौसम में ऐसे ही पानी की निकासी बाधित रही तो गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है. आम दिनों में दियोटसिद्ध मंदिर को रोजाना सैकड़ों वाहन इसी सड़क से गुजरते हैं. जानकारी के मुताबिक प्रशासन व विभागीय अधिकारी इस मामले को सुलझाने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं.

सबसे बड़ा स्वाल ये है कि 2वीं सदी में मुख्य सड़कों की ऐसी दुर्दशा कैसे सहन की जा सकती है. उपमंडल बड़सर में और भी कई जगह ऐसी समस्याएं पेश आ चुकी हैं, लेकिन विभाग इनसे निपटने के लिए कोई ठोस प्रारूप नहीं बना पाया है. लोगों का कहना है कि विभाग को बरसाती पानी निकासी के लिए ड्रेनेज का प्रबंध करना चाहिए, लेकिन भूमि मालिकों की मनमर्जी के आगे अक्सर विभाग घुटने टेक देता है.

लोगों का कहना है कि सड़क का लेबल ऊंचा करके या निकासी नालियां बना कर समस्या खत्म हो सकती है. एक स्थानीय महिला ने बताया कि उनकी दुकान व मकान पूरी तरह से खतरे की जद में हैं. अगर शीघ्र समस्या न सुलझी तो मकान गिर भी सकता है. पीड़ितों का कहना है कि समस्या को सुलझाने के लिए प्रशाशन को आंखें मूंदने के बजाय तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए. वहीं, अधिशाषी अभियंता बड़सर अनिल नागपाल का कहना है कि समस्या गंभीर है. शीघ्र ही मौके का दौरा करके इसे हल करवाया जाएगा.

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