हैदराबाद : मीडिया क्रांति के अग्रदूत, सिनेमा के चैंपियन, मनोरंजन जगत के दिग्गज, शब्दों और उद्यमिता के जादूगर - ये सब गुण एक ही व्यक्ति में समाहित थे. वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि दिवंगत रामोजी राव थे. उन्होंने रामोजी ग्रुप की स्थापना की और जीवन के आखिरी क्षण तक वे इस ग्रुप के चेयरमैन भी रहे. उन्होंने जीवन के हर कदम पर प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा दिया. वह प्रेस की आजादी के बहुत बड़े समर्थक थे.
16 नवंबर 1936 को आंध्र प्रदेश के गुडीवाड़ा के पास पेडापरुपुडी गांव में एक किसान परिवार में जन्मे रामोजी राव ने साधारण शुरुआत से लेकर बुलंदियों तक का सफर तय किया. 8 जून 2024 को 87 साल की उम्र में उनका निधन हुआ. वे अपने पीछे बहुआयामी और कभी न मिटने वाली विरासत छोड़ गए.
दशकों के एक्सीलेंस के बाद रामोजी राव मनोरंजन जगत के ऐसे प्रतीक बन गए, जिन्होंने सपनों को हकीकत में बदल दिया. उन्होंने हैदराबाद में भव्य रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना की. यह फिल्म प्रेमियों के साथ-साथ छुट्टियों पर जाने वाले लोगों और मौज-मस्ती के शौकीनों के लिए एक अहम जगह है.
एक फिल्म प्रोड्यूसर के रूप में उन्होंने स्टोरी टेलिंग को स्टार पावर से ज्यादा तरजीह दी. वे एक परोपकारी शख्स भी थे. समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट थी. हमेशा एक किसान के बेटे के रूप में, उन्होंने अपनी जड़ों को कभी नहीं भुलाया और अपने पैतृक गांव को गोद लेकर वहां कई सामाजिक कार्य किए.
वचन और कार्य को लेकर प्रतिबद्ध
रामोजी राव जीवन भर एक्टिव और डायनेमिक शख्स रहे. उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों - मीडिया, सिनेमा, हॉस्पिटलिटी, फानेंशियल सिक्योरिटी और फूड इंडस्ट्री में अपनी लाइफ लॉन्ग उपलब्धियों के जरिए लाखों लोगों के जीवन को छुआ. वे एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जी जान से मेहनत की. वह अपने आप में मीडिया के एक ट्रेंडसेटर थे. उन्होंने रूढ़िवादिता को चुनौती दी और रीडर्स के सभी वर्गों की सेवा करते हुए ईनाडु (तेलगु भाषा का सबसे लोकप्रिय अखबार) की दिशा निर्धारित की.
चेरुकुरी रामोजी राव, जिन्हें रामोजी राव के नाम से जाना जाता है, अपने बहुमुखी व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे. वह अपने करीबी लोगों के लिए, एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक बने रहे. उनका हर काम पूर्व नियोजित होता था. यहां तक कि उनके निधन के बाद उन्हें कहां पर अंतिम विदाई दी जाएगी, उसके लिए भी जगह चिन्हित कर लिया था. उनके निधन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी.
एक बहुमुखी उद्यमी
जन्मजात उद्यमी रामोजी राव के पास विचारों का भंडार था. वह हर वर्ग के लोगों-रीडर्स, फिल्म प्रेमियों, खाने के शौकीनों, पैसे बचाने वालों के लिए कुछ न कुछ इच्छा रखते थे. अपने कई मीडिया पब्लिकेशन के माध्यम से उन्होंने समाज के सभी वर्गों-किसानों, महिलाओं, बच्चों, युवाओं और नौकरी के इच्छुक लोगों तक पहुंच बनाई.
उन्होंने 1962 में मार्गदर्शी चिट फंड, 1974 में ईनाडु, 1980 में प्रिया फूड्स, 1980 में डॉल्फिन ग्रुप ऑफ होटल्स, 1983 में उषा किरन मूवीज, 1995 में ईटीवी चैनल्स, 1996 में रामोजी फिल्म सिटी, 2002 में रमादेवी पब्लिक स्कूल और 2019 में ईटीवी भारत की स्थापना की.
प्रेस स्वतंत्रता के योद्धा
ईनाडु की स्थापना करने वाले रामोजी राव ने 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित इमरजेंसी के दौरान प्रेस की सेंसरशिप के खिलाफ आवाज उठाई थी. उनके नेतृत्व में ईनाडु ने अपने 50 साल के सफर के दौरान लोगों के विभिन्न संघर्षों में लगातार उनका साथ दिया. ईनाडु दैनिक अखबार सच्चाई, निष्पक्षता और न्याय की पुरजोर वकालत करता रहा है. यह अक्सर कुशासन, भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक संस्थाओं के खतरों को चुनौती देता रहा है. रामोजी राव ने 80 के दशक के अंत में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया.
मीडिया जगत के दिग्गज
पांच दशकों में रामोजी राव ने न्यूज पेपर, मैगजीन और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म का एक बड़ा ग्रुप स्थापित किया. इनमें ईनाडु तेलुगु न्यूज पेपर, ईटीवी, ईटीवी भारत, अन्नदाता, बालभारतम, चतुरा और विपुला शामिल हैं. 1974 में शुरू हुआ ईनाडु न्यूज पेपर, तेलुगु रीडर्स के दिल की धड़कन बन गया है और इस साल स्वर्ण जयंती मना रहा है.
रामोजी राव ने कई दिग्गजों, राजनीतिक नेताओं, बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज के नेताओं से प्रशंसा प्राप्त की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामोजी राव के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा था कि रामोजी समूह के अध्यक्ष ने न केवल भारतीय मीडिया में क्रांति लाई, बल्कि देश के विकास के लिए जुनून भी दिखाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, "मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनसे बातचीत करने और उनकी बुद्धिमत्ता से लाभ उठाने के कई अवसर मिले."
वरिष्ठ पत्रकार और द हिंदू पब्लिशिंग ग्रुप के निदेशक एन राम ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित एक स्मारक मीटिंग को संबोधित करते हुए याद दिलाया कि कैसे रामोजी राव ने ईनाडु को सत्य और न्याय के एक मजबूत एडवोकेट के रूप में बदल दिया और कैसे यह अखबार सरकारी अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरों के खिलाफ खड़ा हुआ. रामोजी राव की विरासत को याद करने के लिए, समूह की ओर से ईनाडु के मैनेजिंग डायरेक्टर और रामोजी राव के बड़े बेटे चेरुकुरी किरण ने आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये का योगदान दिया.
ईनाडु ने स्वर्ण जयंती मनाई
वाइब्रेंट मीडिया ग्रुप का नेतृत्व करते हुए रामोजी राव ने पत्रकारिता और जनसंचार में अनगिनत प्रयोग किए. उनके नेतृत्व में ईनाडु तेलुगु जर्नलिज्म का क्राउन बन गया. उन्होंने भावी पीढ़ी को पत्रकारिता सिखाने के अवसर पैदा करने के लिए ईनाडु जर्नलिज्म स्कूल भी शुरू किया था. उन्होंने पत्रकारिता के लिए अपनी सेवा के माध्यम से युवा, बूढ़े, छात्र, बच्चे, महिलाएं और किसान सभी के दिलों को छुआ.
ईनाडु रामोजी राव के सार्वजनिक हित और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो सरकारों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराते हैं. 2004 में ईनाडु ने वाईएस राजशेखर रेड्डी सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था. इसमें बताया गया था कि कैसे जनता के संसाधनों का इस्तेमाल कुछ व्यक्तियों के लाभ के लिए किया गया. उन्होंने विश्वसनीयता को हर चीज से ऊपर रखा, जिससे ईनाडु अपने लॉन्च के चार साल के भीतर सभी तेलुगु अखबारों में टॉप पर आ गया. 1984 के लोकतंत्र के पुनरुद्धार आंदोलन जैसे हर जन आंदोलन के पीछे ईनाडु मौजूद था. रामोजी राव की दूरदर्शिता इस बात से स्पष्ट है कि कैसे उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में ईटीवी चैनल स्थापित किए, जिसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया. इसके अलावा उन्होंने ईटीवी भारत ऐप भी बनाया, जो 13 भारतीय भाषाओं में 23 न्यूज पोर्टल वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है.
लोकतंत्र के हिमायती
जब 1984 में संयुक्त आंध्र प्रदेश की एनटीआर सरकार को उखाड़ फेंका गया, तो रामोजी राव के नेतृत्व वाले ईनाडु ने अलोकतांत्रिक कृत्य का दृढ़ता से विरोध किया और आंदोलन कर रहे लोगों का मनोबल बढ़ाया, जिसके कारण राज्य में लोकतंत्र की बहाली हुई. न्यूज पेपर अपने लॉन्च के बाद से हमेशा लोगों की नब्ज के साथ तालमेल रखता है.
आपदा में पीड़ितों की मदद
जब 1976 में आंध्र प्रदेश में लगातार तीन बार तूफान आए, तो रामोजी राव ने कदम बढ़ाया और 10,000 रुपये का योगदान देकर एक राहत कोष शुरू किया और ईनाडु के माध्यम से मदद मांगने के लिए जागरूकता अभियान चलाया. उन्होंने 'ईनाडु रिलीफ फंड' की स्थापना की. इस फंड के माध्यम से, उन्होंने तेलुगु राज्यों के अलावा गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु और केरल में अन्य चक्रवातों से तबाह हुए प्रभावित गांवों में स्कूल बनाने, बुनकरों को करघे उपलब्ध कराने और घर बनाने के लिए सहायता प्रदान की.
19 नवंबर 1977 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के दिविसीमा में एक भयंकर चक्रवात और तूफान आया, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ. रामोजी राव ने ईनाडु रिलीफ फंड को सक्रिय किया और साढ़े सात लाख रुपये इकठ्ठा किए और प्रभावित क्षेत्रों में 112 घर बनवाए. 2014 में चक्रवात हुदहुद ने आंध्र प्रदेश में तबाही मचाई. उन्होंने ईनाडु रिलीफ फंड में 3 करोड़ रुपये का योगदान दिया और जल्द ही न्यूज पेपर के रीडर्स ने राहत कार्यों के लिए कुल 6.18 करोड़ रुपये जुटाने में उनका साथ दिया. रामोजी राव ने 'हुदहुद चक्रवात पुनर्वास कॉलोनी' बनाई. विशाखापत्तनम और श्रीकाकुलम जिलों के पीड़ितों की इन आवास परियोजनाओं के माध्यम से मदद की गई.
2018 में केरल में आई बाढ़ में रामोजी राव ने 7.71 करोड़ रुपये का राहत कोष जुटाया, जिससे कलेक्टर कृष्णा तेजा की मदद से अलप्पुझा जिले में 121 घरों का निर्माण करने में मदद मिली. रामोजी ग्रुप ऑफ कंपनीज हमेशा प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों की मदद करने में सबसे आगे रही है. इसने पाकिस्तान सीमा पर गुजरात भूकंप में तबाह हुए कावड़ा गांव का पुनर्निर्माण किया. तमिलनाडु के कुड्डालोर और नागपट्टिनम के सुनामी पीड़ितों को भी मदद दी गई. जब लोग चक्रवात और बाढ़ से प्रभावित हुए तो संयुक्त आंध्र प्रदेश और ओडिशा में पुनर्वास का काम किया.
रामोजी फाउंडेशन- समाज में बदलाव
रामोजी राव ने ग्रुप की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबलिटी के तहत रामोजी फाउंडेशन से अब तक ग्रामीण विकास के अंतर्गत विभिन्न पहलों पर 131 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. (स्मार्ट विलेज का कॉन्सेप्ट के तहत दो गांवों को गोद लेना, जिसमें पेडापरुपुडी, उनका पैतृक गांव और नागनपल्ली शामिल हैं, जिसकी लागत 40 करोड़ रुपये है). उन्होंने अब्दुल्लापुरमेट, इब्राहिमपट्टनम और हयातनगर मंडलों में सरकारी भवनों के निर्माण के लिए 13 करोड़ रुपये और मंचेरियल, भद्राचलम और कुरनूल में वृद्धाश्रमों के निर्माण के लिए 9 करोड़ रुपये का योगदान दिया.
कोविड के दौरान रामोजी फाउंडेशन ने दो तेलुगु राज्यों को 20 करोड़ रुपये और बाढ़ राहत गतिविधियों के लिए तमिलनाडु को 3 करोड़ रुपये दान किए. अन्य योगदानों में ग्रामीण विकास के लिए एपी कनेक्ट को 10 करोड़ रुपये, चिकित्सा संस्थानों, जीनोम फाउंडेशन, एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट, कैंसर फाउंडेशन को अस्पतालों की स्थापना और रिसर्च के लिए 8 करोड़ रुपये शामिल हैं.
उनके पदचिन्हों पर चलते हुए उनका परिवार भी परोपकारी काम जारी रखे हुए है और कौशल विकास, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और खेलों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है. इसके अलावा, फाउंडेशन ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस को अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाने, ग्लोबल कॉन्फ्रेंस, रिसर्च सेमिनार की मेजबानी करने, लर्निंग और विचारों के नेतृत्व में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए 30 करोड़ रुपये दिए.
रामोजी फिल्म सिटी (RFC) - एक ड्रीम प्रोजेक्ट
रामोजी राव ने एक फिल्म निर्माता, डिस्ट्रिब्यूटर और स्टूडियो मालिक के रूप में भी बेहतरीन काम किया है. मयूरी, प्रतिघातना, चिथिराम और नुव्वेकावली जैसी उनकी मैसेज-ओरिएंटेड फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल रहीं. वहीं, रामोजी फिल्म सिटी (RFC) भी फिल्म उद्योग के लिए एक केंद्र बिंदु बन गया है, जहां बाहुबली, गजनी, चंद्रमुखी, रोबोट और पुष्पा सहित 3000 से अधिक फिल्में बनाई गई हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है. RFC मनोरंजन और मौज-मस्ती के एक वाइब्रेंट सेंटर के रूप में उभरा है, जहां छुट्टियों, त्योहारों और विभिन्न संगठनों के विशेष कार्यक्रमों के दौरान विजिटर्स के मनोरंजन के लिए कई तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं.
रामोजी राव के अनमोल विचार
- हमेशा कल के बारे में सोचो. कल पर मत उलझो.
- परिवर्तन और प्रगति जुड़वां हैं. परिवर्तन से ही विकास संभव है. अगर आप विकास चाहते हैं, तो नए विचार लेकर आइए.
- चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, अपना जीवन खुद जिएं. किसी की मदद का इंतजार मत करो.
- अनुशासन के अलावा सफलता का कोई रहस्य नहीं है. इसके बिना कोई भी प्रतिभा पनप नहीं सकती.
- किसी व्यक्ति या संगठन की असली दौलत विश्वसनीयता है. इसे अपनी आंखों के तारे की तरह संभाल कर रखें!
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