ऊना: हिमाचल प्रदेश की हॉट सीट कही जाने वाली हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के नेता चुनावी रण से उतरने से बचते नजर आ रहे हैं. हमीरपुर सीट पर पिछले छह चुनाव हारती आ रही कांग्रेस का हर अस्त्र-शस्त्र इस सीट पर विफल रहा है.
बीजेपी के पास तीन बार से सांसद और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के रूप में फिलहाल एक ब्रह्मास्त्र है, जिसकी काट के लिए कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में दल-बदलू नेताओं का सहारा लेकर बीजेपी के इस गढ़ को फतेह करने का नाकाम प्रयास किया था. इस बार भी कांग्रेस अपने नेताओं की ना नुकुर के कारण हमीरपुर सीट पर फिर से किसी बाहरी व्यक्ति को चुनावी युद्ध में झोंक सकती है.
हमीरपुर सीट पिछले छह चुनावों से बीजेपी के कब्ज़े में हैं. इस सीट से लगातार तीन बार बीजेपी के युवा चेहरे और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सांसद हैं. इस सीट पर विजय पताका फहराने के लिए कांग्रेस का हर दांव फेल हुआ, पिछले छह चुनावों में से पहले तीन में जहां पार्टी ने रामलाल ठाकुर के रूप में अपना खेवनहार चुनावी रण में उतारा, लेकिन रामलाल कांग्रेस की नैया को पार नहीं लगा सके. अगले तीन चुनावों में कांग्रेस ने ओपी रतन , नरेंद्र ठाकुर और राजेंद्र राणा के रूप में दल बदल कर कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को किला फतह करने के लिए भेजा. ये भी बीजेपी के किले का नहीं भेद सके. तीनों बार अनुराग ठाकुर एक लाख से अधिक वोटों की गिनती से विजयी हुए.
राजनितिक जानकारों का अनुमान है कि इस बार भी लगातार चौथी बार कांग्रेस उधार के दल-बदलू नेता पर अपना दांव खेल सकती है, क्योंकि पार्टी के नेता संभावित रूप से इस सीट से चुनावी रथ पर सवार नहीं होना चाहते. वहीं, हिमाचल बीजेपी अपने ब्रह्मास्त्र पर फूली नहीं समा रही है और लगातार सातवीं बार हमीरपुर लोकसभा सीट पर झंडा बुलंद करने को लेकर उत्साहित है. प्रदेश बीजेपी इसका श्रेय केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों, सांसद अनुराग ठाकुर की नेतृत्व क्षमता और क्षेत्र के विकास के प्रति गंभीरता को देती है, लेकिन लगे हाथ बीजेपी इस सीट को लेकर कांग्रेस पर तीखे तंज भी कसती है.
व्यंग भरे लहजे में बीजेपी ने कांग्रेस की गुटबाज़ी की तरफ इशारा करते हुए उपहास उड़ाया कि नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुख्खू सहित कांग्रेस का कोई भी नेता अनुराग ठाकुर के समक्ष चुनावी रणभूमि में योद्धा नहीं बनना चाहता. वहीं, कांग्रेस के अधिकतर नेता अभी भी अपने कार्यकर्ता को ही इस सीट पर चुनावी मैदान में उतारने के पक्षधर हैं और बाहरी व्यक्ति के विरोध में हैं, लेकिन बावजूद इसके पार्टी में ऊपरी स्तर पर एक बार फिर बाहरी उम्मीदवार की सम्भावना तलाश की जा रही है. बाहरी उम्मीदवार के विरोध की सम्भावना के मद्देनजर कांग्रेस नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री , पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुख्खू और ऊना सदर विधायक सतपाल रायजादा के नाम पर मंथन कर रही है.
विधायक सतपाल रायजादा बाहरी उम्मीदवार का खुलकर विरोध करते हैं और मुकेश अग्निहोत्री को कांग्रेस का सर्वाधिक मजबूत उम्मीदवार बताते हैं. रायजादा पार्टी हित में चुनावी मैदान में खुद ताल ठोकने का भी दावा करते हैं, लेकिन इसके लिए स्वयं की कमजोर आर्थिकी का हवाला देते हुए पार्टी द्वारा जरूरी आर्थिक सहायता की शर्त भी साथ जोड़ते हैं. सवाल खड़ा होता है कि कांग्रेस के अपने नेता वास्तव में चुनावी रण से पैर पीछे खींचते हैं, तो फिर इस बार पार्टी किसके कंधे पर रखकर सियासी हथियार चलाएगी.