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मंदिर खुलने पर भी पूजा सामग्री कारोबार पड़ा ठप, दुकानदारों ने सरकार से लगाई ये गुहार

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Published : Sep 13, 2020, 7:48 PM IST

देवभूमि हिमाचल में मंदिर खुलना प्रदेश में लोगों के लिए दिवाली के त्योहार से कम नहीं है, लेकिन अभी भी कुछ लोगों के लिए ये दिवाली रोशनी लेकर नहीं आई है. दरअसल प्रशासन ने मंदिरों को खुलने का फरमान सशर्त जारी कर दिया, लेकिन ये फरमान उन लोगों पर भारी पड़ रहा है, जो प्रसाद व चुनरी बेच कर अपना जीवन चलाते हैं.

Shopkeepers face problem due to  to no offerings in temples
डिजाइन फोटो

सोलन: हिमाचल प्रदेश में अनलॉक प्रक्रिया के तहत 10 सिंतबर को सभी मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. मंदिरों का खुलना प्रदेश में लोगों के लिए दिवाली के त्योहार से कम नहीं है, लेकिन अभी भी कुछ लोगों के लिए ये दिवाली खुशियां लेकर नहीं आई है. दरअसल मंदिर तो प्रशासन ने खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर में प्रसाद की मनाही पर प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों के लिए अभी भी सब कुछ बंद हैं.

बता दें कि एसओपी और प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार भक्त मंदिर में प्रसाद और चुनरी नहीं चढ़ सकते हैं, जिससे प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि दुकानदारों अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए दूसरों से पैसे उधार ले रहे हैं. मंदिर खुलने से इन सभी को एक उम्मीद थी कि कोरोना के कारण बर्बाद हुआ व्यवसाय एक फिर से खड़ा हो सकेगा, लेकिन धर्मिक स्थलों में प्रसाद पर मनाही के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया.

वीडियो रिपोर्ट.

दुकानदार जोगेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 के कारण छह महीने से व्यापार बंद पड़ा हुआ था. मंदिर खुलने से रोजगार में बढ़ोतरी होने की आशा थी, लेकिन सरकार द्वारा धर्मिक स्थलों पर प्रसाद और अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगाने से उनका व्यापार ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में उन्होंने सरकार से प्रसाद और अन्य चीजों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है, ताकि उनका रोजगार पहले की तरह चल सके.

दुकानदार रामदास ने बताया कि लॉकडाउन में लोग उनसे पूजा-अर्चना के लिए घर से दिया व अन्य सामान लेकर जाते थे, लेकिन मंदिर खुलने पर प्रसाद सहित अन्य चीजों पर प्रतिंबध लगाने से उनको आमदानी नहीं हो रही है, जिससे उनको अपना गुजरा करना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि वो छह महीनें से मंंदिरों के खुलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन स्थिति लॉकडाउन की तरह बनी हुई है.

दुकानदार ऋषभ कुमार ने बताया कि मंदिर खुलने पर भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि पूजा से संबधित सभी चीजों पर मनाही है. उन्होंने कहा कि पिछले नवरात्रि में भी उनकी दुकानें बंद रही और अब जब मंदिर भी खुल चुके हैं, तो वो लोग सामान नहीं बेच पा रहे हैं.

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी एसओपी के तहत मंदिर में प्रसाद सहित पूजा से संबधित सभी चीजों पर प्रतिबंध है. साथ ही 65 साल के व्यक्ति, 10 साल से कम उम्र के बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं का मंदिर में आना वर्जित है. उन्होंने कहा कि कोविड के नियमों का पालन किया जा रहा है और आगामी आदेशों तक यही नियम जिला में जारी रहेंगे.

वहीं, सभी दुकानदारों ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि प्रसाद बंद पैकेट में आता है, इसलिए भक्तों को वो ले जाने दिया जाए. जिससे उनका कारोबार चल सके. उन्होंने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि इन 6 महीनों में उन्हें प्रशासन और सरकार की तरफ से आर्थिक रूप से कोई मदद नहीं मिली है. ऐसे में अब सरकार को उनकी तरफ ध्यान देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: शादी की उम्र का मां बनने और शिशु सेहत से सीधा संबंध, हिमाचल के आंकड़े बेहतर

सोलन: हिमाचल प्रदेश में अनलॉक प्रक्रिया के तहत 10 सिंतबर को सभी मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. मंदिरों का खुलना प्रदेश में लोगों के लिए दिवाली के त्योहार से कम नहीं है, लेकिन अभी भी कुछ लोगों के लिए ये दिवाली खुशियां लेकर नहीं आई है. दरअसल मंदिर तो प्रशासन ने खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर में प्रसाद की मनाही पर प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों के लिए अभी भी सब कुछ बंद हैं.

बता दें कि एसओपी और प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार भक्त मंदिर में प्रसाद और चुनरी नहीं चढ़ सकते हैं, जिससे प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि दुकानदारों अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए दूसरों से पैसे उधार ले रहे हैं. मंदिर खुलने से इन सभी को एक उम्मीद थी कि कोरोना के कारण बर्बाद हुआ व्यवसाय एक फिर से खड़ा हो सकेगा, लेकिन धर्मिक स्थलों में प्रसाद पर मनाही के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया.

वीडियो रिपोर्ट.

दुकानदार जोगेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 के कारण छह महीने से व्यापार बंद पड़ा हुआ था. मंदिर खुलने से रोजगार में बढ़ोतरी होने की आशा थी, लेकिन सरकार द्वारा धर्मिक स्थलों पर प्रसाद और अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगाने से उनका व्यापार ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में उन्होंने सरकार से प्रसाद और अन्य चीजों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है, ताकि उनका रोजगार पहले की तरह चल सके.

दुकानदार रामदास ने बताया कि लॉकडाउन में लोग उनसे पूजा-अर्चना के लिए घर से दिया व अन्य सामान लेकर जाते थे, लेकिन मंदिर खुलने पर प्रसाद सहित अन्य चीजों पर प्रतिंबध लगाने से उनको आमदानी नहीं हो रही है, जिससे उनको अपना गुजरा करना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि वो छह महीनें से मंंदिरों के खुलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन स्थिति लॉकडाउन की तरह बनी हुई है.

दुकानदार ऋषभ कुमार ने बताया कि मंदिर खुलने पर भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि पूजा से संबधित सभी चीजों पर मनाही है. उन्होंने कहा कि पिछले नवरात्रि में भी उनकी दुकानें बंद रही और अब जब मंदिर भी खुल चुके हैं, तो वो लोग सामान नहीं बेच पा रहे हैं.

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी एसओपी के तहत मंदिर में प्रसाद सहित पूजा से संबधित सभी चीजों पर प्रतिबंध है. साथ ही 65 साल के व्यक्ति, 10 साल से कम उम्र के बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं का मंदिर में आना वर्जित है. उन्होंने कहा कि कोविड के नियमों का पालन किया जा रहा है और आगामी आदेशों तक यही नियम जिला में जारी रहेंगे.

वहीं, सभी दुकानदारों ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि प्रसाद बंद पैकेट में आता है, इसलिए भक्तों को वो ले जाने दिया जाए. जिससे उनका कारोबार चल सके. उन्होंने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि इन 6 महीनों में उन्हें प्रशासन और सरकार की तरफ से आर्थिक रूप से कोई मदद नहीं मिली है. ऐसे में अब सरकार को उनकी तरफ ध्यान देना चाहिए.

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