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जानिए किन लोगों को रहता है लकवा मारने का खतरा, डायबिटीज, BP और मोटापे से पीड़ितों को विशेष सावधानी की जरूरत क्यों? - RISK FACTORS OF PARALYSIS

जीवनशैली में बदलाव के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरालिसिस के अनुसार हर मिनट में एक व्यक्ति पैरालिसिस से पीड़ित है

Know which people are at risk of paralysis, why people suffering from diabetes, BP and obesity need special care?
जानिए किन लोगों को रहता है लकवा मारने का खतरा, डायबिटीज, BP और मोटापा से पीड़ितों को विशेष सावधानी की जरूरत क्यों? (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Feb 3, 2025, 1:08 PM IST

Updated : Feb 3, 2025, 1:15 PM IST

आज के मॉर्डन समय में पैरालिसिस की समस्या से बहुत आम हो गई है. इस बीमारी से बहुत से लोग परेशान भी हैं. बता दें, लकवा एक एयर सिकनेस है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं. इस बीमारी के कारण इंसान का शरीर काम करने में असमर्थ हो जाता है और व्यक्ति बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है. वैसे तो ज्यादातर उम्र बढ़ने और शरीर में बीमारियों होने पर लकवा मारने का खतरा रहता है. हालांकि, आजकल युवा लोगों में भी ये समस्या काफी बढ़ रही है. अनियमित खानपान, खराब जीवनशैली खराब तनाव, आज के भागदौड़ भरी जिंदगी और कुछ अनचाही बीमारियां इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है. आपने ज्यादातर बुजुर्गों में लकवा की स्थिति देखी होगी, लेकिन आजकल लकवा मारने का खतरा अधिकांश लोगों में काफी बढ़ गया है.

लकवा क्या होता है?
लकवा मांसपेशियों की बीमारी है, जब शरीर के किसी एक हिस्से की मासपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे लकवा मारना कहते हैं. लकवे के दौरान लकवा ग्रस्त व्यक्ति शरीर की एक या उससे अधिक मांसपेशियों को हिलाने में सामर्थ नहीं होता है. बता दें, लकवा शरीर के किसी एक हिस्से में हो सकता है या पुरे शरीर में भी हो सकता है. इसमें शरीर के लकवा ग्रस्त हिस्से और मस्तिष्क में ठीक से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है. इसे ब्रेन स्ट्रोक भी कहा जाता हैं. इस स्थिति में अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में डैमेज होने या ब्लड सप्लाई रुकने पर एक तरफ के अंग काम करना बंद कर देते हैं. बता दें, लकवा का मारना यह अस्थायी या स्थायी हो भी सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है.

क्या कहती है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पैरालिसिस से वैश्विक मृत्यु दर का दूसरा स्थान है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरालिसिस के अनुसार हर मिनट में एक व्यक्ति पक्षाघात से पीड़ित है. भारत में इनमें से 90 फीसदी मामलों में समय पर इलाज की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है. यदि किसी को पैरालिसिस (लकवा) पड़ता है तो दौरा पड़ने के 4 से 6 घंटे के बीच उचित इलाज दिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है. यह समय इलाज देने के लिए पर्याप्त होता है. उपचार को एक अच्छे समय में प्रदान करके उस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है, जिसमें मस्तिष्क कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं. यदि पक्षाघात वाले व्यक्ति को एक घंटे के भीतर उपचार मिलता है, तो निश्चित रूप से वह जल्द ही ठीक हो सकता है.

लकवा के बारे में पहले से कुछ पता नहीं चल पाता है ये सिर्फ कुछ मिनटों में ही शरीर को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पैरालिसिस की समस्या से बचने और उससे पीड़ित होने से बेहतर है कि यहां दी गई कुछ सावधानियां बरती जाएं...

लकवा की समस्या से बचने के उपाय

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें: विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह सुनिश्चित करना उचित है कि ब्लड प्रेशर 120/80 से अधिक न हो. यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई है, तो आहार और व्यायाम से इसे कम करने का प्रयास करें. यदि फिर भी स्थिति नियंत्रण में न आए तो दवा लेने की सलाह दी जाती है. यह बात 2019 में द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन “स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक: एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण” में भी पाई गई थी.

हार्ट डिजीज का पता लगना चाहिए: विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट डिजीज के कारण स्ट्रोक का खतरा 5 गुना अधिक होता है. यदि हृदय तेज और अनियमित रूप से धड़क रहा है, तो यह सलाह दी जाती है कि आप डॉक्टर से परामर्श लें और इसका कारण पता करें.

तनाव के कारण समस्याएं: तनाव शरीर में समस्याएं पैदा कर सकता है, इससे पैरालिसिस का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि तनाव को कम करने का प्रयास करना करें. यदि आप ऑफिस में काम से तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपनी कुर्सी से उठें, गहरी सांस लें और थोड़ी देर टहलने जाएं. एक ही समय में कई कार्य करने के बजाय, एक कार्य पूरा करके दूसरा कार्य शुरू करना चाहिए. कार्य का माहौल शांत रखना चाहिए. यदि संभव हो तो घर पर भी छोटे पौधे उगाए जा सकते हैं. जितना संभव हो सके परिवार के साथ समय बिताएं.

डायबिटीज को नियंत्रित करें: विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक होने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है. इसका मुख्य कारण हाई ब्लड शुगर लेवल और रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को क्षति होना है. इसके अलाव, यह भी कहा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा होने की संभावना अधिक होती है, जिससे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि शुगर को कंट्रोल में रखना महत्वपूर्ण है.

दवाइयां लेना : यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह जैसी समस्याएं हैं, तो आपको नियमित रूप से दवाइयां लेनी जरूरी. दवा को बीच में ही बंद कर देना सही नहीं है.

एक्सट्रा वेट कम करें: विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक वजन और मोटापे से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है. परिणामस्वरूप, पैरालिसिस तीन गुना बढ़ सकता है. इसलिए, प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे व्यायाम करना उचित है.

ज्यादा फाइबर युक्त भोजन खाएं: फाइबर खाने से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है. इसलिए, दैनिक आहार में साबुत अनाज, ताजी सब्जियां और फल शामिल करने की सिफारिश की जाती है. इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है. हमें प्रतिदिन 25 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है. फाइबर में प्रत्येक 7 फीसदी की बढ़त से स्ट्रोक का खतरा 7 फीसदी तक कम हो जाता है.

धूम्रपान से बचें : जो लोग सिगरेट, बीड़ी आदि पीते हैं, उनमें स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. इसलिए, यह चेतावनी दी जाती है कि धूम्रपान से रक्त के थक्के जमने, रक्त वाहिकाओं के पतले होने और रक्त वाहिकाओं में थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है. परिणामस्वरूप, पैरालिसिस का खतरा बढ़ सकता है.

खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहिए : यदि शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) अधिक है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) कम है, तो रक्त वाहिकाओं में प्लाक बनने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह चेतावनी दी जाती है कि यदि वे मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में बनते हैं, तो इससे पक्षाघात हो सकता है. इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि संतृप्त वसा की मात्रा को कम करके खराब कोलेस्ट्रॉल को रोका जा सकता है. व्यायाम से अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है. यदि ऐसा न हो तो दवा लेना उचित है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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आज के मॉर्डन समय में पैरालिसिस की समस्या से बहुत आम हो गई है. इस बीमारी से बहुत से लोग परेशान भी हैं. बता दें, लकवा एक एयर सिकनेस है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं. इस बीमारी के कारण इंसान का शरीर काम करने में असमर्थ हो जाता है और व्यक्ति बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है. वैसे तो ज्यादातर उम्र बढ़ने और शरीर में बीमारियों होने पर लकवा मारने का खतरा रहता है. हालांकि, आजकल युवा लोगों में भी ये समस्या काफी बढ़ रही है. अनियमित खानपान, खराब जीवनशैली खराब तनाव, आज के भागदौड़ भरी जिंदगी और कुछ अनचाही बीमारियां इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है. आपने ज्यादातर बुजुर्गों में लकवा की स्थिति देखी होगी, लेकिन आजकल लकवा मारने का खतरा अधिकांश लोगों में काफी बढ़ गया है.

लकवा क्या होता है?
लकवा मांसपेशियों की बीमारी है, जब शरीर के किसी एक हिस्से की मासपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे लकवा मारना कहते हैं. लकवे के दौरान लकवा ग्रस्त व्यक्ति शरीर की एक या उससे अधिक मांसपेशियों को हिलाने में सामर्थ नहीं होता है. बता दें, लकवा शरीर के किसी एक हिस्से में हो सकता है या पुरे शरीर में भी हो सकता है. इसमें शरीर के लकवा ग्रस्त हिस्से और मस्तिष्क में ठीक से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है. इसे ब्रेन स्ट्रोक भी कहा जाता हैं. इस स्थिति में अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में डैमेज होने या ब्लड सप्लाई रुकने पर एक तरफ के अंग काम करना बंद कर देते हैं. बता दें, लकवा का मारना यह अस्थायी या स्थायी हो भी सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है.

क्या कहती है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पैरालिसिस से वैश्विक मृत्यु दर का दूसरा स्थान है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरालिसिस के अनुसार हर मिनट में एक व्यक्ति पक्षाघात से पीड़ित है. भारत में इनमें से 90 फीसदी मामलों में समय पर इलाज की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है. यदि किसी को पैरालिसिस (लकवा) पड़ता है तो दौरा पड़ने के 4 से 6 घंटे के बीच उचित इलाज दिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है. यह समय इलाज देने के लिए पर्याप्त होता है. उपचार को एक अच्छे समय में प्रदान करके उस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है, जिसमें मस्तिष्क कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं. यदि पक्षाघात वाले व्यक्ति को एक घंटे के भीतर उपचार मिलता है, तो निश्चित रूप से वह जल्द ही ठीक हो सकता है.

लकवा के बारे में पहले से कुछ पता नहीं चल पाता है ये सिर्फ कुछ मिनटों में ही शरीर को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पैरालिसिस की समस्या से बचने और उससे पीड़ित होने से बेहतर है कि यहां दी गई कुछ सावधानियां बरती जाएं...

लकवा की समस्या से बचने के उपाय

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें: विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह सुनिश्चित करना उचित है कि ब्लड प्रेशर 120/80 से अधिक न हो. यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई है, तो आहार और व्यायाम से इसे कम करने का प्रयास करें. यदि फिर भी स्थिति नियंत्रण में न आए तो दवा लेने की सलाह दी जाती है. यह बात 2019 में द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन “स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक: एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण” में भी पाई गई थी.

हार्ट डिजीज का पता लगना चाहिए: विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट डिजीज के कारण स्ट्रोक का खतरा 5 गुना अधिक होता है. यदि हृदय तेज और अनियमित रूप से धड़क रहा है, तो यह सलाह दी जाती है कि आप डॉक्टर से परामर्श लें और इसका कारण पता करें.

तनाव के कारण समस्याएं: तनाव शरीर में समस्याएं पैदा कर सकता है, इससे पैरालिसिस का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि तनाव को कम करने का प्रयास करना करें. यदि आप ऑफिस में काम से तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपनी कुर्सी से उठें, गहरी सांस लें और थोड़ी देर टहलने जाएं. एक ही समय में कई कार्य करने के बजाय, एक कार्य पूरा करके दूसरा कार्य शुरू करना चाहिए. कार्य का माहौल शांत रखना चाहिए. यदि संभव हो तो घर पर भी छोटे पौधे उगाए जा सकते हैं. जितना संभव हो सके परिवार के साथ समय बिताएं.

डायबिटीज को नियंत्रित करें: विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक होने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है. इसका मुख्य कारण हाई ब्लड शुगर लेवल और रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को क्षति होना है. इसके अलाव, यह भी कहा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा होने की संभावना अधिक होती है, जिससे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि शुगर को कंट्रोल में रखना महत्वपूर्ण है.

दवाइयां लेना : यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह जैसी समस्याएं हैं, तो आपको नियमित रूप से दवाइयां लेनी जरूरी. दवा को बीच में ही बंद कर देना सही नहीं है.

एक्सट्रा वेट कम करें: विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक वजन और मोटापे से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है. परिणामस्वरूप, पैरालिसिस तीन गुना बढ़ सकता है. इसलिए, प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे व्यायाम करना उचित है.

ज्यादा फाइबर युक्त भोजन खाएं: फाइबर खाने से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है. इसलिए, दैनिक आहार में साबुत अनाज, ताजी सब्जियां और फल शामिल करने की सिफारिश की जाती है. इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है. हमें प्रतिदिन 25 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है. फाइबर में प्रत्येक 7 फीसदी की बढ़त से स्ट्रोक का खतरा 7 फीसदी तक कम हो जाता है.

धूम्रपान से बचें : जो लोग सिगरेट, बीड़ी आदि पीते हैं, उनमें स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. इसलिए, यह चेतावनी दी जाती है कि धूम्रपान से रक्त के थक्के जमने, रक्त वाहिकाओं के पतले होने और रक्त वाहिकाओं में थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है. परिणामस्वरूप, पैरालिसिस का खतरा बढ़ सकता है.

खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहिए : यदि शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) अधिक है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) कम है, तो रक्त वाहिकाओं में प्लाक बनने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह चेतावनी दी जाती है कि यदि वे मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में बनते हैं, तो इससे पक्षाघात हो सकता है. इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि संतृप्त वसा की मात्रा को कम करके खराब कोलेस्ट्रॉल को रोका जा सकता है. व्यायाम से अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है. यदि ऐसा न हो तो दवा लेना उचित है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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Last Updated : Feb 3, 2025, 1:15 PM IST
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