सोलन: सरकार जहां आज चहुंमुखी विकास के दावे कर रही हैं, वहीं सोलन जिले के तहत एक ऐसा गांव है, जहां एक सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं. ये मामला पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है.
अर्की विधानसभा के ग्राम पंचायत बेरल के अंतर्गत गांव बोही में ग्रामीण सड़क न होने के कारण लामबंद हो गए हैं. मंगलवार को बोही गांव में सरकार के उदासीन रवैये के चलते ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और लोकसभा चुनाव में वोट न डालने का निर्णय लिया है.
सड़क नहीं तो वोट नहीं
लोगों ने अपने विरोध स्वरूप हाथों में तख्ती लेकर गांव में रैली निकाली, जिसमें इन्होंने केवल उसी पार्टी को वोट देने की शर्त रखी है, जो इनके गांव में सड़क बनाने के वादे को पूरा करेगी. रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखे हाथों में तख्ती लिए पूरे गांव में ग्रामीणों ने भ्रमण किया.
सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित
लोगों का कहना है कि सड़क न होने के कारण जहां कई लड़कियों ने स्कूल ही छोड़ दिया है, तो कई छात्र 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से स्कूल जाने को मजबूर हैं. इस कारण बहुत से बच्चों ने पांचवीं के बाद ही स्कूल छोड़ दिया है.
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70 साल बाद भी नहीं मिल पाई है मूलभूत सुविधाएं
बोही गांव के स्थानीय निवासी टिकु राम ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्कूल की हालत भी जर्जर है. इन 70 वर्षों के बीच कई दलों की सरकारें आईं, परंतु आज तक किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली है.
बच्चियों को डर से नहीं भेजते स्कूल
गांव के युवक ने बताया कि गांव से स्कूल तक जंगली रास्ता होने के चलते बच्चियों के साथ कोई हादसा न हो इसलिए बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है. गांव की बुजुर्ग महिला ने कहा कि सड़क न होने के कारण डिपो से मिलने वाला राशन भी महिलाओं को सिर पर उठाकर घर तक लाना पड़ता है. जिसके चलते ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी रोष है.