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वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र से उठी आवाज, लोगों ने कहा- सड़क नहीं तो वोट नहीं - लोकसभा चुनाव

अर्की विधानसभा क्षेत्र के गांव बोही में सड़क सुविधा से वंचित लोगों में भारी रोष है. बोही गांव के लोगों ने लोकसभा चुनाव में वोट न डालने का निर्णय लिया है.

सड़क नहीं तो वोट नहीं
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Published : May 15, 2019, 2:35 PM IST

सोलन: सरकार जहां आज चहुंमुखी विकास के दावे कर रही हैं, वहीं सोलन जिले के तहत एक ऐसा गांव है, जहां एक सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं. ये मामला पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है.

अर्की विधानसभा के ग्राम पंचायत बेरल के अंतर्गत गांव बोही में ग्रामीण सड़क न होने के कारण लामबंद हो गए हैं. मंगलवार को बोही गांव में सरकार के उदासीन रवैये के चलते ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और लोकसभा चुनाव में वोट न डालने का निर्णय लिया है.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

लोगों ने अपने विरोध स्वरूप हाथों में तख्ती लेकर गांव में रैली निकाली, जिसमें इन्होंने केवल उसी पार्टी को वोट देने की शर्त रखी है, जो इनके गांव में सड़क बनाने के वादे को पूरा करेगी. रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखे हाथों में तख्ती लिए पूरे गांव में ग्रामीणों ने भ्रमण किया.

सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित

लोगों का कहना है कि सड़क न होने के कारण जहां कई लड़कियों ने स्कूल ही छोड़ दिया है, तो कई छात्र 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से स्कूल जाने को मजबूर हैं. इस कारण बहुत से बच्चों ने पांचवीं के बाद ही स्कूल छोड़ दिया है.

ये भी पढ़े: पिता ने गला रेत कर 2 बेटियों को उतारा मौत के घाट, कमरे में हर तरफ था खून ही खून

70 साल बाद भी नहीं मिल पाई है मूलभूत सुविधाएं

बोही गांव के स्थानीय निवासी टिकु राम ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्कूल की हालत भी जर्जर है. इन 70 वर्षों के बीच कई दलों की सरकारें आईं, परंतु आज तक किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली है.

बच्चियों को डर से नहीं भेजते स्कूल

गांव के युवक ने बताया कि गांव से स्कूल तक जंगली रास्ता होने के चलते बच्चियों के साथ कोई हादसा न हो इसलिए बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है. गांव की बुजुर्ग महिला ने कहा कि सड़क न होने के कारण डिपो से मिलने वाला राशन भी महिलाओं को सिर पर उठाकर घर तक लाना पड़ता है. जिसके चलते ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी रोष है.

सोलन: सरकार जहां आज चहुंमुखी विकास के दावे कर रही हैं, वहीं सोलन जिले के तहत एक ऐसा गांव है, जहां एक सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं. ये मामला पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है.

अर्की विधानसभा के ग्राम पंचायत बेरल के अंतर्गत गांव बोही में ग्रामीण सड़क न होने के कारण लामबंद हो गए हैं. मंगलवार को बोही गांव में सरकार के उदासीन रवैये के चलते ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और लोकसभा चुनाव में वोट न डालने का निर्णय लिया है.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

लोगों ने अपने विरोध स्वरूप हाथों में तख्ती लेकर गांव में रैली निकाली, जिसमें इन्होंने केवल उसी पार्टी को वोट देने की शर्त रखी है, जो इनके गांव में सड़क बनाने के वादे को पूरा करेगी. रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखे हाथों में तख्ती लिए पूरे गांव में ग्रामीणों ने भ्रमण किया.

सड़क न होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित

लोगों का कहना है कि सड़क न होने के कारण जहां कई लड़कियों ने स्कूल ही छोड़ दिया है, तो कई छात्र 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से स्कूल जाने को मजबूर हैं. इस कारण बहुत से बच्चों ने पांचवीं के बाद ही स्कूल छोड़ दिया है.

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70 साल बाद भी नहीं मिल पाई है मूलभूत सुविधाएं

बोही गांव के स्थानीय निवासी टिकु राम ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्कूल की हालत भी जर्जर है. इन 70 वर्षों के बीच कई दलों की सरकारें आईं, परंतु आज तक किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली है.

बच्चियों को डर से नहीं भेजते स्कूल

गांव के युवक ने बताया कि गांव से स्कूल तक जंगली रास्ता होने के चलते बच्चियों के साथ कोई हादसा न हो इसलिए बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है. गांव की बुजुर्ग महिला ने कहा कि सड़क न होने के कारण डिपो से मिलने वाला राशन भी महिलाओं को सिर पर उठाकर घर तक लाना पड़ता है. जिसके चलते ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी रोष है.


मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवेश कुमार ने की चुनाव तैयारियों की समीक्षा

     मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवेश कुमार ने आज लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत रिटर्निंग अधिकारियों] जिला निर्वाचन अधिकारियों तथा सहायक रिटर्निंग अधिकारियों के साथ चुनाव तथा मतगणना सम्बन्धित तैयारियों की समीक्षा की और उन्हें इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए।  
     उन्होंने अधिकारियों को चुनाव के दौरान राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न करवाने के लिए मतदान केन्द्रों तक सड़क सुविधा एवं रखरखाव के अलावा मूलभूत व अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए। 
     देवेश कुमार ने बैठक में वैबकास्टिंग] ईलैक्ट्रॉनिक सिस्टम के माध्यम से भेजे जाने वाले मतपत्र (ईटीपीबीएस)] डाक मतपत्रों की गणना के बारे में भी विस्तृत चर्चा की तथा इस सम्बन्ध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए ।
     बैठक के उपरान्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिला शिमला के राजकीय महाविद्यालय धामी में स्थापित आदर्श मतगणना केन्द्र का दौरा किया तथा वहां उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया। 
     बैठक में अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डी.के.रतन] दलीप नेगी के अतिरिक्त भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड तथा सीमा सड़क संगठन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। 
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