शिमला: पांच साल पहले की बात है. हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और बजट सत्र चल रहा था. उस समय हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत थे. राज्यपाल ने राजभवन में एक यज्ञ का आयोजन किया. उस यज्ञ में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सहित नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और सत्ता तथा विपक्ष के कई नेता शामिल हुए.
दरअसल, सदन में उस समय कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार तनाव चला हुआ था. वीरभद्र सिंह के खिलाफ ईडी मामले में विपक्षी दल भाजपा और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल काफी मुखर थे. इसी दौरान राजभवन में यज्ञशाला के शुभारंभ पर तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सभी को आमंत्रित किया. राज्यपाल के आमंत्रण पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के नेता राजभवन पहुंचे थे.
ये 30 मार्च 2016 की बात थी. विधानसभा की तल्खियां दरकिनार कर उस समय के सीएम वीरभद्र सिंह ने राजभवन में मुस्कुराते हुए नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल का अभिवादन किया. उसके बाद दोनों नेताओं ने हाथ में हाथ डालकर राजभवन की सीढ़ियां उतरीं.
दरअसल, सीढ़ियां उतरने से पहले वीरभद्र सिंह ने प्रेम कुमार धूमल का हाथ थाम लिया. फिर दोनों एकसाथ चलने लगे. बाद में यज्ञशाला में भी सौहार्दपूर्ण वातावरण में दोनों ने काफी देर तक बातचीत की थी. उसी दिन स्टेट डिनर के दौरान भी ये सौहार्द बना रहा. यज्ञशाला में वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, प्रेम कुमार धूमल और उस समय के विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने एक साथ यज्ञ में उपस्थिति दर्ज करवाई थी.
ये वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व की खासियत थी कि राजनीतिक तौर पर विपरीत विचारधारा के बावजूद वे मौका पड़ने पर विपक्ष के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करते थे. ऐसे कई अवसर हिमाचल की राजनीति में आए हैं, जब पक्ष और विपक्ष का भेद भुलाकर वीरभद्र सिंह बड़ी लकीर खींच देते थे. प्रेमकुमार धूमल के साथ राजनीतिक तौर पर बेशक वीरभद्र सिंह का छत्तीस का आंकड़ा रहा, लेकिन वीरभद्र सिंह ने अवसर आने पर कभी भी अमर्यादित व्यवहार नहीं किया.
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