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Sericulture in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में रेशम कीट पालन हजारों परिवारों की रोटी का बना सहारा - Silkworm rearing in Himachal Pradesh

कोरोना काल में रेशम कीट पालन हजारों परिवारों की रोटी का सहारा बना. आपदा में जब कई युवाओं का रोजगार छिन गया तो यह व्यवसाय उनके काम आया. मंडी जिले के बालीचौकी केंद्र के तहत रेशम बुनाई के बुनकरों (Sericulture in Himachal Pradesh) के लिए 494 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण का कार्य शुरू किया है. इसके अलावा थुनाग में रेशम बीज उत्पादन केंद्र के भवन निर्माण के लिए 318 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है. इसके अतिरिक्त बागाचनोगी, ढीम काटरू, सरोवा में रेशम केंद्र की स्थापना के लिए 160 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं.

Sericulture in Himachal Pradesh,  हिमाचल प्रदेश में रेशम उत्पादन
फोटो.
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Published : Jan 10, 2022, 9:02 PM IST

शिमला: कोरोना काल में रेशम कीट पालन हजारों परिवारों की रोटी का सहारा बना. आपदा में जब कई युवाओं का रोजगार छिन गया तो यह व्यवसाय उनके काम आया. इसके लिए सरकार की तरफ से सहायता भी दी जा रही है. मंडी जिले के बालीचौकी केंद्र के तहत रेशम बुनाई के बुनकरों के लिए 494 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण का कार्य शुरू किया है. इस केंद्र के माध्यम से कीट पालन प्रशिक्षण के लिए 50 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. वर्तमान में बालीचौकी में 30 महिला बुनकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. जिन्हें 300 रुपये प्रतिदिन प्रति महिला की दर से प्रदान किया जा रहा है.

इसके अलावा थुनाग में रेशम बीज उत्पादन केंद्र के भवन निर्माण के लिए 318 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है. इसके अतिरिक्त बागाचनोगी, ढीम काटरू, सरोवा में रेशम केंद्र की स्थापना के लिए 160 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं. सरकार (Silkworm rearing in Himachal Pradesh) ने पहली बार सामान्य श्रेणी के परिवारों को रेशम पालन के लिए इस वर्ष तीन करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसमें से 52 लाख रुपये की राशि केवल सिराज क्षेत्र के लिए स्वीकृत की गई है.

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के किसानों को रेशम कीट पालन भवन निर्माण एवं कार्य के लिए 416 लाख रुपये भी जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लुप्त हुई ओक टसर रेशम योजना को आरम्भ करने के लिए प्रयासरत है. 200 किसानों को क्लस्टर और गाड़ागुशैणी में ओक टसर बीज उत्पादन केंद्र के लिए 25-25 लाख रुपये की राशि जारी की गई है.

Sericulture in Himachal Pradesh,  हिमाचल प्रदेश में रेशम उत्पादन
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हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रेशम कीट पालन गृह निर्माण के लिए पांच किसानों को प्रति किसान 1.50 लाख रुपये के चेक दिये हैं. इस योजना से प्रदेश के 200 किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है. उन्होंने रेशम कीट पालक टूल किट के लिए भी चार किसानों को 40-40 हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं. और इस योजना के तहत भी प्रदेश में 200 किसानों को लाभ पहुंचेगा.

उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह का कहना है कि रेशम उद्योग को बढ़ावा देने की प्रदेश सरकार ने रेशम कीट पालन क्षेत्र से जुड़े किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न मण्डलों के अन्तर्गत रेशम कीट बुनाई बुनकरों को लाभान्वित करने के लिए रेशम कीट (silk moth in Himachal) प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण केन्द्र, रेशम कीट सामुदायिक केन्द्र, कोकून विपणन केन्द्र और सिल्क वॉर्म सीड उत्पादन केन्द्र आदि स्थापित किए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Covid-19 Review Meeting Himachal: होम आइसोलेट मरीजों को दी जाएगी मेडिकल किट, CM ने दिए आदेश

उन्होंने कहा कि मंडी जिले के बालीचैकी में 494 लाख रुपये की लागत से सेरी एंटरप्रिन्योरशिप डवेल्पमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (एसईडीआईसी) भवन का निर्माण किया जा रहा है. इस भवन के निर्मित होने से प्रदेश के और अधिक रेशम बुनकरों को प्रशिक्षित करने की सुविधा प्राप्त होगी (Himachal farmers take to sericulture) और रेशम से जुड़े उत्पाद निर्मित किए जाएंगे. मंडी जिले के थुनाग में 318 लाख रुपये की लागत से रेशम बीज उत्पादन केन्द्र के भवन का निर्माण किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के स्टेट कैटेलेटिक डवेल्पमेंट प्रोग्राम के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में लगभग 271 लाख रुपये व्यय कर 12 हजार से अधिक किसानों को लाभान्वित किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 79 रेशम कीट पालन केन्द्र हैं. प्रदेश के 1287.51 बीघा में शहतूत की खेती की जाती है. प्रदेश में वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 2 लाख 23 हजार शहतूत के पौधे वितरित किए गए हैं और 238 मीट्रिक टन कोकून का उत्पादन किया गया. उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश में रेशम कीट पालन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं का आयोजित की जाएंगी, जिससे रेशम कीट पालन किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार के रेशम उद्योग विकास के लिए आरम्भ की गई विभिन्न योजनाओं की जानकारी उपलब्ध होगी.

Sericulture in Himachal Pradesh,  हिमाचल प्रदेश में रेशम उत्पादन
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वहीं, बिलासपुर जिले में तैयार हो रहा रेशम का धागा (Silk thread being prepared in Bilaspur) बाहरी राज्यों में भी निर्यात हो रहा है. दो रिलिंग यूनिटों में हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये का धागा रिलिंग कर बंगलूरू, कोलकाता और मुंबई भेजा जा रहा है. जिले के करीब 3 हजार परिवार रेशम कीट पालन से जुड़े हैं. तीन हजार परिवार मार्च और अप्रैल में रेशम कीट पालन का कारोबार कर महज 15 दिन में हजारों की कमाई कर लेते हैं. जिले में सरकार और विभाग की ओर से दिए जा रहे प्रोत्साहन और अनुदान के चलते कई अन्य लोग भी रेशम कीट पालन के व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं.

इनके तैयार किए कच्चे रेशम से जो धागा बनता है, वह देश के महानगरों में निर्यात किया जा रहा है. रेशम कीट पालन के व्यवसाय से जुड़े परिवारों के लिए सरकार शेड और अन्य उपकरणों के लिए एक लाख 20 हजार रुपये का अनुदान दे रही है. जिले के औहर के नजदीक वरसंड और भराड़ी के नजदीक चकराणा में रिलिंग यूनिट मौजूद हैं. जिले में वर्तमान में 50 हजार किलोग्राम सालाना उत्पादन हो रहा है. कोरोना काल में प्रदेश में रेशम का 60 फीसदी उत्पादन बिलासपुर में ही हुआ.

ये भी पढ़ें- Snowfall in Himachal Pradesh: हिमाचल के लिए सौगात है बर्फ, पर्यटन से लेकर बागवानी तक को मिलती है संजीवनी

शिमला: कोरोना काल में रेशम कीट पालन हजारों परिवारों की रोटी का सहारा बना. आपदा में जब कई युवाओं का रोजगार छिन गया तो यह व्यवसाय उनके काम आया. इसके लिए सरकार की तरफ से सहायता भी दी जा रही है. मंडी जिले के बालीचौकी केंद्र के तहत रेशम बुनाई के बुनकरों के लिए 494 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण का कार्य शुरू किया है. इस केंद्र के माध्यम से कीट पालन प्रशिक्षण के लिए 50 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. वर्तमान में बालीचौकी में 30 महिला बुनकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. जिन्हें 300 रुपये प्रतिदिन प्रति महिला की दर से प्रदान किया जा रहा है.

इसके अलावा थुनाग में रेशम बीज उत्पादन केंद्र के भवन निर्माण के लिए 318 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है. इसके अतिरिक्त बागाचनोगी, ढीम काटरू, सरोवा में रेशम केंद्र की स्थापना के लिए 160 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं. सरकार (Silkworm rearing in Himachal Pradesh) ने पहली बार सामान्य श्रेणी के परिवारों को रेशम पालन के लिए इस वर्ष तीन करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसमें से 52 लाख रुपये की राशि केवल सिराज क्षेत्र के लिए स्वीकृत की गई है.

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के किसानों को रेशम कीट पालन भवन निर्माण एवं कार्य के लिए 416 लाख रुपये भी जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लुप्त हुई ओक टसर रेशम योजना को आरम्भ करने के लिए प्रयासरत है. 200 किसानों को क्लस्टर और गाड़ागुशैणी में ओक टसर बीज उत्पादन केंद्र के लिए 25-25 लाख रुपये की राशि जारी की गई है.

Sericulture in Himachal Pradesh,  हिमाचल प्रदेश में रेशम उत्पादन
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हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रेशम कीट पालन गृह निर्माण के लिए पांच किसानों को प्रति किसान 1.50 लाख रुपये के चेक दिये हैं. इस योजना से प्रदेश के 200 किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है. उन्होंने रेशम कीट पालक टूल किट के लिए भी चार किसानों को 40-40 हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं. और इस योजना के तहत भी प्रदेश में 200 किसानों को लाभ पहुंचेगा.

उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह का कहना है कि रेशम उद्योग को बढ़ावा देने की प्रदेश सरकार ने रेशम कीट पालन क्षेत्र से जुड़े किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न मण्डलों के अन्तर्गत रेशम कीट बुनाई बुनकरों को लाभान्वित करने के लिए रेशम कीट (silk moth in Himachal) प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण केन्द्र, रेशम कीट सामुदायिक केन्द्र, कोकून विपणन केन्द्र और सिल्क वॉर्म सीड उत्पादन केन्द्र आदि स्थापित किए जा रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि मंडी जिले के बालीचैकी में 494 लाख रुपये की लागत से सेरी एंटरप्रिन्योरशिप डवेल्पमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (एसईडीआईसी) भवन का निर्माण किया जा रहा है. इस भवन के निर्मित होने से प्रदेश के और अधिक रेशम बुनकरों को प्रशिक्षित करने की सुविधा प्राप्त होगी (Himachal farmers take to sericulture) और रेशम से जुड़े उत्पाद निर्मित किए जाएंगे. मंडी जिले के थुनाग में 318 लाख रुपये की लागत से रेशम बीज उत्पादन केन्द्र के भवन का निर्माण किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के स्टेट कैटेलेटिक डवेल्पमेंट प्रोग्राम के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में लगभग 271 लाख रुपये व्यय कर 12 हजार से अधिक किसानों को लाभान्वित किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 79 रेशम कीट पालन केन्द्र हैं. प्रदेश के 1287.51 बीघा में शहतूत की खेती की जाती है. प्रदेश में वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 2 लाख 23 हजार शहतूत के पौधे वितरित किए गए हैं और 238 मीट्रिक टन कोकून का उत्पादन किया गया. उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश में रेशम कीट पालन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं का आयोजित की जाएंगी, जिससे रेशम कीट पालन किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार के रेशम उद्योग विकास के लिए आरम्भ की गई विभिन्न योजनाओं की जानकारी उपलब्ध होगी.

Sericulture in Himachal Pradesh,  हिमाचल प्रदेश में रेशम उत्पादन
फोटो.

वहीं, बिलासपुर जिले में तैयार हो रहा रेशम का धागा (Silk thread being prepared in Bilaspur) बाहरी राज्यों में भी निर्यात हो रहा है. दो रिलिंग यूनिटों में हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये का धागा रिलिंग कर बंगलूरू, कोलकाता और मुंबई भेजा जा रहा है. जिले के करीब 3 हजार परिवार रेशम कीट पालन से जुड़े हैं. तीन हजार परिवार मार्च और अप्रैल में रेशम कीट पालन का कारोबार कर महज 15 दिन में हजारों की कमाई कर लेते हैं. जिले में सरकार और विभाग की ओर से दिए जा रहे प्रोत्साहन और अनुदान के चलते कई अन्य लोग भी रेशम कीट पालन के व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं.

इनके तैयार किए कच्चे रेशम से जो धागा बनता है, वह देश के महानगरों में निर्यात किया जा रहा है. रेशम कीट पालन के व्यवसाय से जुड़े परिवारों के लिए सरकार शेड और अन्य उपकरणों के लिए एक लाख 20 हजार रुपये का अनुदान दे रही है. जिले के औहर के नजदीक वरसंड और भराड़ी के नजदीक चकराणा में रिलिंग यूनिट मौजूद हैं. जिले में वर्तमान में 50 हजार किलोग्राम सालाना उत्पादन हो रहा है. कोरोना काल में प्रदेश में रेशम का 60 फीसदी उत्पादन बिलासपुर में ही हुआ.

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