शिमलाः प्रदेश के स्कूलों में तैनात एसएमसी शिक्षकों की जगह अब नियमित शिक्षकों की नियुक्तियां शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही हैं. चंबा और कुल्लू में नियमित शिक्षकों की नियुक्तियों के चलते 12 एसएमसी शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है.
इसी तरह से आने वाले दिनों में 1600 के करीब एसएमसी शिक्षकों की जगह पर नियमित शिक्षकों की नियुक्तियां होंगी. ऐसे में एसएमसी शिक्षक नौकरी से निकाले जाने का विरोध जता रहे हैं. बता दें कि स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए 2570 के करीब एसएमसी शिक्षकों को नियुक्त किया गया है, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देशों के चलते अब इन पदों पर शिक्षा विभाग की ओर से नियमित शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं.
नियुक्तियों को लेकर प्रारंभिक शिक्षा विभाग को वित्त विभाग से मंजूरी मिली है. इसके बाद अब रेगुलर शिक्षक स्कूलों में नियुक्त किए जा रहे हैं और एसएमसी शिक्षकों को बाहर किया जा रहा है. इसी तरह से चंबा और कुल्लू में भी एलटी विषय के शिक्षकों की नई नियुक्तियां होने के चलते 12 एसएमसी शिक्षकों को बाहर कर दिया गया है.
इसके साथ ही अन्य पदों को भरने के लिए भी जल्दी शिक्षा विभाग कैबिनेट से मंजूरी लेगा. मंजूरी मिलने के बाद अन्य पदों पर शिक्षकों को तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बता दें कि प्रदेश में 794 पीजीटी, 1100 सीएंडवी, 106 डीपीई, 570 टीजीटी और 136 जेबीटी शिक्षक एसएमसी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में इन पदों पर नियमित नियुक्तियां होने से एसएमसी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटकी हुई है.
प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक रोहित जम्वाल का कहना है कि सरकार और कोर्ट के आदेशों के तहत स्कूलों में एसएमसी की जगह रेगुलर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही हैं. एसएमसी पॉलिसी में स्पष्ट है कि रेगुलर नियुक्तियां होने के बाद इन शिक्षकों को स्कूल छोड़ना होगा. शिक्षकों की नियुक्तियां बैच वाइज और कमीशन के आधार पर नियमित रूप से ही की जाएंगी.
वहीं, एसएमसी शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष मनोज रांगटा का कहना है कि स्कूलों में एसएमसी शिक्षकों की कमी को पूरा कर रहे हैं. अब जब रेगुलर शिक्षकों की भर्तियां की जा रही है तो इन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाना सही नहीं है, बल्कि सरकार को चाहिए कि इनके लिए पॉलिसी बनाकर युवाओं को रोजगार दिया जाए.
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