शिमला: सीएम जयराम ठाकुर(himachal cm jairam thakur) की अध्यक्षता में शिमला में संयुक्त सलाहकार समिति (joint consultative committee meeting) की बैठक हो रही है. जेसीसी की बैठक में कर्मचारियों को बड़ी सौगात मिल सकती है. प्रदेश की जयराम सरकार के कार्यकाल में बैठक पहली बार छह साल बाद हो रही है. इसमें कई बड़ी घोषणाएं हो सकती है. छठे वेतन आयोग की सिफारिशें (recommendations of sixth pay commission) लागू करवाने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर घोषणा कर सकते हैं.
पंजाब की तर्ज पर छठे वेतनमान(sixth pay scale on the lines of Punjab) की घोषणा होनी तय मानी जा रही है. पंजाब सरकार(punjab government) अपने कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग(6th pay commission) की सिफारिशें लागू कर चुका है. अब हिमाचल की बारी है. केंद्र अपने कर्मचारियों को पहली जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दे चुका है. पंजाब सरकार ने नया वेतनमान देने में देरी की है. इस कारण प्रदेश के कर्मचारियों को इसका अभी तक इंतजार है. बैठक में अनुबंध कार्यकाल(contract tenure) तीन से दो वर्ष होने की भी घोषणा तय मानी जा रही है. इसी बैठक में कर्मचारियों के लिए डीए की घोषणा हो सकती है. इससे पहले अधिकारियों को डीए जारी करने पर बड़ा विवाद हुआ था. तब सरकार ने डीए की अधिसूचना को वापस ले लिया था. अब दोनों के लिए एक घोषणा हो सकती है.
हिमाचल में पौने तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी(government employee himachal) हैं. इनमें नियमित नौकरी वाले कर्मचारियों के अलावा अनुबंध कर्मचारी(contract worker himachal) और अन्य कई वर्ग हैं. यदि एक कर्मचारी पांच वोटों का प्रभाव रखता है तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी मिलकर 10 लाख से अधिक वोट बैंक बनाते हैं. करीब 70 लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी प्रदेश में 10 लाख वोट का आंकड़ा किसी भी राजनीतिक दल(political party himachal) को सत्ता से बाहर कर सकता है और सत्ता में ला भी सकता है. उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा में मिशन रिपीट(mission repeat in bjp) को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है.
हिमाचल शिक्षा विभाग(education department himachal) में सबसे अधिक कर्मचारी हैं. विभिन्न वर्गों के 70 हजार के करीब शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी(non teaching staff himachal) हैं. इस वर्ग की अलग-अलग मांगें हैं. मुख्यमंत्री ने इनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. इन शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी के गठन का प्रस्ताव(proposal for formation of jcc) है. इसके अलावा हिमाचल में विभिन्न विभागों में 25 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी हैं. आउटसोर्स कर्मचारियों की मांग है कि उनके लिए कोई पॉलिसी बनाई जाए. हालांकि सरकार के लिए उक्त वर्ग को लेकर कोई पॉलिसी बनाना आसान नहीं है.
यदि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार कोई पॉलिसी बनाती है तो पहले आरएंडपी रूल्स(recruitment and promotion rules) पर भी काम करना पड़ेगा. लेकिन सरकार इन कर्मचारियों को किसी ना किसी रूप में राहत दे सकती है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेत दिए हैं कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार एक सब कमेटी का गठन कर सकती है. यह सब कमेटी आउटसोर्स कर्मियों की सारी जानकारी जुटाकर उन्हें राहत देने के उपायों पर कोई सर्वमान्य हल निकाल सकती है. यदि आउटसोर्स कर्मियों की सहानुभूति सरकार ने अर्जित कर ली तो वो एक बड़े वोट बैंक को साधने में कामयाब हो जाएगी. हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ(non gazetted employees federation himachal) के रूप में हैं.
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (non gazetted employees federation himachal) के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर ने कहा कि महासंघ लंबे समय से कर्मचारियों की मांगों को लेकर जेसीसी की बैठक बुलाने की मांग कर रही है. समिति की यह बैठक सरकार के साथ मिलकर कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर कोई सहमति बनाने पर राजी हो सकती है. सरकारी कर्मचारी इस समय ओल्ड पेंशन स्कीम(old pension scheme) लागू करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस मांग को पूरा करना राज्य सरकार के लिए कठिन है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कर्मचारियों की अन्य मांगों पर सकारात्मक रुख अपना सकती है.
हिमाचल प्रदेश में सरकारी बजट का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों की पेंशन पर खर्च होता है. सरकार को वेतन और पेंशन के लिए हर महीने करीब एक हजार करोड़ के बजट की जरूरत है. हिमाचल पर 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. विकास के लिए बजट में 100 रुपये में से केवल 43.94 रुपये बचते हैं. सरकारी कर्मचारी नए वेतन आयोग की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है तो उसे सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त का इंतजाम करना पड़ेगा.
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