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HIMACHAL HIGH COURT: NGT के आदेश को चुनौती की याचिका पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नोटिस

हिमाचल हाईकोर्ट(Himachal High Court)ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal)(एनजीटी) के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.

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Published : Nov 15, 2021, 8:47 PM IST

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal)(एनजीटी) के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नोटिस जारी किया. राज्य सरकार ने उन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके तहत एनजीटी ने सचिवालय भवन के एलर्सली भवन में शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट और रैंप के निर्माण सहित मुख्य भवन, मुख्यमंत्री कार्यालय में आगंतुक प्रतीक्षालय, और कार पार्किंग और बहुमंजिला पार्किंग(multi storey parking) और कार्यालय का विस्तार करने की अनुमति के आवेदन को खारिज कर दिया था.

केंद्रीय मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक(Chief Justice Mohammad Rafiq) और जस्टिस सबीना(Justice Sabina) की खंडपीठ ने योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता को भी नोटिस जारी किया. जिन्होंने एनजीटी के समक्ष शिमला शहर में बेतरतीब निर्माण के मुद्दे पर प्रकाश डालने वाली याचिका दायर की. राज्य सरकार का कहना है कि एनजीटी के पास भवन निर्माण को नियंत्रित करने के आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं, क्योंकि ऐसे मामले जंगल के दायरे में नहीं आते. मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal)(एनजीटी) के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नोटिस जारी किया. राज्य सरकार ने उन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके तहत एनजीटी ने सचिवालय भवन के एलर्सली भवन में शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट और रैंप के निर्माण सहित मुख्य भवन, मुख्यमंत्री कार्यालय में आगंतुक प्रतीक्षालय, और कार पार्किंग और बहुमंजिला पार्किंग(multi storey parking) और कार्यालय का विस्तार करने की अनुमति के आवेदन को खारिज कर दिया था.

केंद्रीय मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक(Chief Justice Mohammad Rafiq) और जस्टिस सबीना(Justice Sabina) की खंडपीठ ने योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता को भी नोटिस जारी किया. जिन्होंने एनजीटी के समक्ष शिमला शहर में बेतरतीब निर्माण के मुद्दे पर प्रकाश डालने वाली याचिका दायर की. राज्य सरकार का कहना है कि एनजीटी के पास भवन निर्माण को नियंत्रित करने के आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं, क्योंकि ऐसे मामले जंगल के दायरे में नहीं आते. मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

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