शिमला: कोविड-19 के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बीच में प्रदेश में भले ही सबकुछ थम सा गया हो लेकिन नहीं थमीं प्रदेश में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा. हैरान करने वाली बात यह है कि कोविड-19 संकट के बीच में महिला आयोग के पास दर्ज होने वाले घरेलू हिंसा के मामलों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. इन मामलों में करीब 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के साथ अधिक हिंसा हुई है. मारपीट के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की घटना भी सामने आई है. उन मामलों पर कार्रवाई तुरंत प्रभाव से की जा सके इसके लिए एसपी कार्यालय के साथ ही संबंधित थाना को कार्रवाई के लिए भेजा जा रहा है ताकि वक्त रहते हुए मदद मिल सके. वहीं कुछ एक मामले जो आपसी झगड़े और बहस के है उन्हें काउंसिलिंग के माध्यम से सुलझाया जा रहा है.
महिलाओं की मदद के लिए व्हाट्सएप नंबर जारी
महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. डेजी ठाकुर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आयोग ने महिलाओं की मदद के लिए व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया था, ताकि पीड़ित महिलाओं की शिकायत आयोग के पास पहुंच सके. महिला आयोग में जो मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए है, उसमें कोविड-19 के इस दौर में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन पुलिस के पास दर्ज मामलों में बढ़ोतरी ज्यादा नहीं देखी गई है.
प्रदेश में घरेलू हिंसा के बढ़े मामले
एएसपी प्रवीर ठाकुर के मुताबिक घरेलू हिंसा के 213 मामले दर्ज किए गए हैं जो पिछले साल के मुकाबले समान ही हैं. हालांकि बीते साल के मुकाबले महिलाओं के साथ प्रताड़ना के मामलों में इजाफा हुआ है. साल 2019 में यह आंकड़ा 10 था जबकि साल 2020 में अगस्त महीने तक यह आंकड़ा 23 पहुंच गया है. वहीं आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. बीते वर्ष अगस्त महीने तक सिर्फ चार मामले थे, वहीं, इस साल आत्महत्या के मामलों की संख्या 13 तक पहुंच गई है.
महिला अपराध के आंकड़ों पर एक नजर
महिला अपराध से जुड़े हिमाचल पुलिस के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो प्रदेश में अपहरण के 88, यौन शोषण के 171, छेड़छाड़ के 39, आत्महत्या के लिए उकसाने के 20 और क्रूरता के 92 मामले प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज हैं. वहीं पांच साल में महिलाओं के साथ हुए अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. साल 2015 में 1314 केस, 2016 में 1216, 2017 में 1260, 2018 में 1617 और 2019 में 1638 मामले सामने आए हैं.