शिमलाः प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रदेश के 90 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. जिनमें से लगभग 62 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि गतिविधियों से जुड़े हुए हैं और जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर हैं.
राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़ी गतिविधियों का लगभग 12.73 प्रतिशत योगदान है, जिसके कारण राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान दे रही है. कृषि के माध्यम से किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने किसान हित में अनेक सराहनीय कदम उठाए हैं.
5.42 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती है खेती
प्रदेश में लगभग 5.42 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती की जा रही है. कृषकों द्वारा विभिन्न प्रकार की मौसमी व नकदी फसलें भूमि पर उगाई जाती हैं. प्रदेश में 87.95 प्रतिशत किसान सीमान्त और लघु वर्ग के हैं, जिनकी ओर से लगभग 54.18 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है.
प्रदेश में 11.71 प्रतिशत किसान मध्यम श्रेणी में आते हैं. केवल 0.34 प्रतिशत किसान ही बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं. प्रदेश की कृषि जलवायु नकदी फसलों के उत्पादन के लिए अति उत्तम है.
वर्तमान सरकार की ओर से किसान हित में उठाए गए कदम कृषि विभाग ने हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए अनेक सिंचाई योजनाएं शुरू की हैं. जिनके माध्यम से 10,428 हेक्टेयर ज्यादा भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान कर राज्य के 24,007 किसानों को लाभान्वित किया गया है.
मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के अन्तर्गत प्रदेश में 2,592 किसान लाभान्वित किए गए, जिन्हें बंदरों व आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग की सुविधा प्रदान की गई है.
फसल विविधीकरण योजना ने प्रदेश की आर्थिकी को सुधारने पर लगभग 7,464 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को नगदीं फसलों के अंतर्गत लाया गया है. राज्य में कृषि उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से लगभग 2,63,600 क्विंटल सुधरे हुए बीज (अनाज, दलहन, तिलहन, चारा फसलें, सब्जियों इत्यादि) किसानों को उपदान दरों पर प्रदान की जा रही हैं.
राज्य सरकार ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए उत्तम चारा योजना शुरू की है. इसके अंतर्गत लाभान्वित किसानों ने लगभग 50,533 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में चारा फसलों का उत्पादन किया गया. राज्य सरकार ने फसलों को होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए फसल बीमा योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत खरीफ व रबी मौसम में 97,412 किसानों ने फसल बीमा सुविधा का प्रयोग किया है. 19.54 करोड़ रूपए किसानों को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए है. इस दौरान बीमा कम्पनियों को 18.97 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में अदा किए गए.
प्रदेश में गेहूं की फसल को लगने वाले पीला रतुआ रोग के नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाए गए हैं. प्रदेश में पीला रतुआ रोधी गेहूं की किस्में तैयार कर व समय-समय पर निदान करके इस बीमारी पर प्रदेश में शत-प्रतिशत नियंत्रण पाया गया है.
जैव नियंत्रण प्रयोगशाला का लाभ
राज्य की जैव नियंत्रण प्रयोगशाला में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए मित्र कीट पैदा किये जाते हैं. पिछले अढ़ाई वर्षो में 950 हैक्टेयर क्षेत्र में 14.78 करोड़ ट्राईकोग्रामा व चिलोनिश मित्र कीट और 378 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 1105 किलोग्राम ट्राईकोडरमा बिरड़ी, बैसीलस बैसियाना, मैटराइजम जैव फंफूद व कीटनाशक किसानों के खेतों में कीट/बिमारी नियंत्रण के लिए छोड़े गए. इसके अतिरिक्त, लगभग 8,700 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,900 फिरामौन ट्रैप किसानों के खेतों में कीट नियन्त्रण के लिए लगाए गए.
कृषि यन्त्रिकरण योजना
कृषि यन्त्रिकरण योजना के अन्तर्गत 59,710 कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर खेती के अन्तर्गत काम आने वाली मशीनरी, अन्य उपकरण और औजार उपलब्ध करवाए गए. योजना के तहत सरकार के वर्तमान कार्यकाल में एक लाख से अधिक कृषि यन्त्र व उपकरण किसानों को प्रदान किए गए हैं.
मुख्यमन्त्री किसान एवं खेतीहर मजद़ूर जीवन सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 36 किसानों को 22.40 लाख रुपए सहायता के रुप में दिए गए. प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत अब तक 59,001 किसानों ने 3,037 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती पद्धति से खेती-बाड़ी करना शुरू किया है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रदेश के 90 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और लगभग 62 प्रतिशत लोग कृषि गतिविधयों से जुड़े हुए हैं. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का लगभग 12.73 प्रतिशत योगदान है. राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान दे रही है.