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शांडिल ने गिरीपार क्षेत्र के इस मुद्दे का फिर छेड़ा राग, कहा- जीतकर संसद पहुंचा तो पुरजोर तरीके से उठाऊंगा

आपको बता दें कि कर्नल धनीराम शांडिल 2 बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन वह भी इस मुद्दे को पूरा करवाने में नाकामयाब रहे हैं. अभ एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं और वह हाटी समुदाय के इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गए हैं.

धनीराम शांडिल, कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी
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Published : Apr 17, 2019, 9:31 AM IST

Updated : Apr 17, 2019, 10:59 AM IST

नाहन: सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के करीब पौने 3 लाख लोगों की दुखती रग पर शिमला सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल ने हाथ रख दिया है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने करीब 6 दशक से चले आ रहे गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है.

धनीराम शांडिल, कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी

शिलाई क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे कर्नल धनीराम शांडिल ने गिरीपार को जनजातीय दर्जा दिए जाने के सवाल पर कहा कि यह मुद्दा बरसों से भारत सरकार के दफ्तरों में लंबित पड़ा है. कांग्रेस सरकार के समय में भी यह मुद्दा उठाया गया था.

शांडिल ने कहा कि गिरीपार क्षेत्र की रीति-रिवाज, खान-पान, रहन सहन सभी चीजें उत्तराखंड के जोनसार बाबर क्षेत्र जैसी हैं. जोनसार बाबर को तो जनजातीय क्षेत्र की सारी सुविधाएं मिल रही है, लेकिन यहां के लोगों को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है.

शिमला सीट से प्रत्याशी धनीराम शांडिल ने इसे सामाजिक मुद्दा बताते हुए इस पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस पर फाइल वर्क करना पड़ेगा और जितनी भी इसमें टैक्निकल डिटेलस है, उसे अटेंड करना पड़ेगा. उन्होंने इलाके की जनता से वादा किया है कि लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद क्षेत्र के इस मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाएंगे.

आपको बता दें कि कर्नल धनीराम शांडिल 2 बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन वह भी इस मुद्दे को पूरा करवाने में नाकामयाब रहे हैं. अभ एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं और वह हाटी समुदाय के इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गए हैं.

नाहन: सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के करीब पौने 3 लाख लोगों की दुखती रग पर शिमला सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल ने हाथ रख दिया है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने करीब 6 दशक से चले आ रहे गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है.

धनीराम शांडिल, कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी

शिलाई क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे कर्नल धनीराम शांडिल ने गिरीपार को जनजातीय दर्जा दिए जाने के सवाल पर कहा कि यह मुद्दा बरसों से भारत सरकार के दफ्तरों में लंबित पड़ा है. कांग्रेस सरकार के समय में भी यह मुद्दा उठाया गया था.

शांडिल ने कहा कि गिरीपार क्षेत्र की रीति-रिवाज, खान-पान, रहन सहन सभी चीजें उत्तराखंड के जोनसार बाबर क्षेत्र जैसी हैं. जोनसार बाबर को तो जनजातीय क्षेत्र की सारी सुविधाएं मिल रही है, लेकिन यहां के लोगों को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है.

शिमला सीट से प्रत्याशी धनीराम शांडिल ने इसे सामाजिक मुद्दा बताते हुए इस पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस पर फाइल वर्क करना पड़ेगा और जितनी भी इसमें टैक्निकल डिटेलस है, उसे अटेंड करना पड़ेगा. उन्होंने इलाके की जनता से वादा किया है कि लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद क्षेत्र के इस मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाएंगे.

आपको बता दें कि कर्नल धनीराम शांडिल 2 बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन वह भी इस मुद्दे को पूरा करवाने में नाकामयाब रहे हैं. अभ एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं और वह हाटी समुदाय के इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गए हैं.



शांडिल ने गिरीपार क्षेत्र के इस अहम मुद्दे का फिर छेड़ा राग, अब बोले-ज्यादा ध्यान देने की नहीं जरूरत
-जीतकर कर सांसद बना, तो पूरा करवाने का करूंगा प्रयास
नाहन। सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के करीब पौने 3 लाख लोगों की दुखती रग पर एक बार फिर शिमला सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल ने हाथ रखा है। गिरीपार क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे कर्नल धनीराम शांडिल ने करीब 6 दशक से चले आ रहे गिरीपार क्षेत्र को जनजातिये दर्जा दिए जाने के मुद्दे ओर बड़ा बयान दिया है। एक ओर जहां उन्होंने इसे सामाजिक मुद्दा बनाते हुए इस पर ज्यादा ध्यान न दिए जाने की बात कहीं है, वहीं लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बर्फ बाद इस अहम मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाने का आश्वासन भी दिया है। सनद रहे कि इससे पहले भी कर्नल धनीराम शांडिल 2 बार सांसद रह चुके है, लेकिन वह भी इस मुद्दे को पूरा करवाने में नाकामयाब रह चुके है। अब एक बार फिर वह चुनावी मैदान में है तो फिर से हाटी समुदाय के इस अहम मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे है। 
शिलाई क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे कर्नल धनीराम शांडिल ने मीडिया से बातचीत करते हुए गिरीपार क्षेत्र को जनजातिये दर्जा दिए जाने के सवाल पर कहा कि यह मुद्दा बरसों से भारत सरकार के दफ्तरों में लंबित पड़ा है। कांग्रेस सरकार के समय में भी यह मुद्दा उठाया गया था। शांडिल ने कहा कि बहुत से कामों में, ऐसे-ऐसे कामों में यदि देरी होती है, तो वो समझते है कि इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह एक सामाजिक मुद्दा है। गिरीपार क्षेत्र के रीति-रिवाज, खान-पान, रहन-सहन आदि सभी चीजें उत्तराखंड के जोनसार बाबर क्षेत्र के जैसी है। जोनसार बाबर क्षेत्र को तो जनजातिये क्षेत्र की सारी सुविधाएं है ओर हाटी समुदाय के क्षेत्र में यह सभी सुविधाएं नहीं है। 
शांडिल ने एक बार फिर दोहराया कि यदि वह संसद में जाते है तो इस मुद्दे को सशक्त रूप से उठाएंगे। इस पर फ़ाइल वर्क करना पड़ेगा ओर जितनी भी इसमें टैक्निकल डिटेलस है, उसे अटेंड करना पड़ेगा, इसलिए वह इसे पुरजोर तरीके से उठाएंगे।

Last Updated : Apr 17, 2019, 10:59 AM IST
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