नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की नारी शक्ति (Himachal first She Haat turnover ) को दिशा मिली, तो उसने अपनी आर्थिक दशा बदल डाली. क, ख से शुरू हुआ सफर महज एक साल में ही लाखों (women took full responsibility in She Haat) तक पहुंच गया. शी हाट का ठाठ अब ये है कि एक साल में ही 25 लाख का कारोबार कर लिया है. अब अगला लक्ष्य हर महिला को लखपति बनाना है.
ये कहानी शुरू होती है 20 दिसंबर 2022 से.... इसी दिन राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पच्छाद के बाग पशोग में जिला प्रशासन द्वारा तैयार किए गए शी हाट का शुभारंभ किया था. आईएएस अधिकारी एवं पूर्व में जिला के डीसी रहे डॉ. आरके परूथी के प्रयासों से जिला प्रशासन ने इस शी हाट की शुरुआत (First She Haat of Himachal) की थी. जिले में अपने कार्यकाल के दौरान आईएएस अधिकारी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट में रहा. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में शुरू किया गया यह शी हाट बेहद ही कम समय में एक बेहतर मिसाल बनकर उभरा है. शुभारंभ अवसर पर स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Himachal Chief Minister Jairam Thakur) ने भी इस कार्य की खूब सराहना की थी.
24 महिलाओं के हाथों में शी हाट की कमान: दरअसल पच्छाद क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाली स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 24 महिलाओं को शी हाट की कमान सौंपी गई. जिला प्रशासन ने महिलाओं को दिशा दिखाई, तो महिला शक्ति भी उम्मीदों पर खरा उतरी और उसी के परिणाम आज सामने है. शी हाट की विशेषता यह है कि इसका संपूर्ण प्रबंधन, देखरेख, आय-व्यय, गेस्ट हाउस इत्यादि सभी कार्यों की कमान यहां कार्य कर रहीं महिलाओं के हाथों में ही है.
25 लाख के कारोबार में आधा हिस्सा महिलाओं का: शी हाट की शुरुआत दिसंबर 2020 में हुई, तो उस समय कोरोना काल भी चल रहा था. बावजूद इसके महिलाओं ने हार नहीं मानी और एक मार्च 2021 से मार्च 2022 वित्त वर्ष में ही शी हाट का कारोबार 25 लाख रुपए तक पहुंच गया. बड़ी बात यह है कि इसमें से 13 से 14 लाख रुपए की हिस्सेदारी यहां तैनात महिलाओं की रही है.
क्या कहती हैं डीआरडीए की परियोजना अधिकारी? डीआरडीए की परियोजना की परियोजना अधिकारी कल्याणी गुप्ता ने बताया कि शी शाट एक बेहतरीन मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया है. अब तक शी हाट की परफॉरमेंस बहुत अच्छी रही है और लोगों का बहुत अच्छा फीडबेक मिल रहा है. इसकी शुरुआत करने का सुझाव पूर्व में जिले के डीसी रहे डॉ. आरके परूथी का था और उसी के आधार पर प्रयास किया जा रहा है कि शी हाट और अधिक आगे बढ़े. परियोजना अधिकारी ने बताया कि एक साल में करीब 25 लाख रुपए का टर्नओवर शी हाट कर चुका है.
3 शिफ्टों में कार्य, सिरमौरी थाली आकर्षण का केंद्र: परियोजना अधिकारी कल्याणी गुप्ता ने बताया कि शी हाट में कार्यरत 24 महिलाएं 3 शिफ्टों में 4-4 घंटे कार्य करती है. बेहतर मंच मिलने से यहां की महिलाओं का मनोबल काफी अधिक बढ़ा है. उन्होंने बताया कि शी हाट में पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन के तौर पर सिरमौर थाली को बेहद पसंद किया जा रहा है. साथ ही यहां ठहरने के लिए गेस्ट हाउस का भी निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों भी शी हाट से प्रेरणा लेकर इस तरह के कार्य की शुरुआत करने का प्रयास कर रहे हैं. कल्याणी गुप्ता ने कहा कि शी हाट की हरेक महिला लखपति बनें और ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इससे जुड़ें, उस दिशा में प्रशासन प्रयासरत है और निरंतर इस दिशा में कार्य कर रहा है.
महिलाओं में गजब का उत्साह: वहीं, शी हाट में कार्यरत महिलाएं भी आर्थिक स्थिति को मजबूत होते देख उत्साहित हैं और पूरी मेहनत व लग्न से यहां कार्य करने में जुटी हुई हैं. शी हाट में तैनात महिला कार्यकर्ता अनिता शर्मा ने बताया कि वह पिछले एक साल से यहां कार्य कर रही हैं. सुबह 7 से लेकर शाम 7 बजे तक शी हाट का कार्य चलता है. महिलाओं की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए, यहां पूर्व में डीसी रहे डॉ. आरके परूथी का ड्रीम प्रोजेक्ट था. यहां होने वाली आमदनी को महिलाओं के बीच शेयर किया जाता है. इससे वह स्वावलंबी बनकर उभरी है.
चीड़ की पत्तियों के उत्पादों से 3 लाख की आमदनी: उधर एक अन्य महिला शालिनी ने बताया कि प्रदेश सरकार सहित पूर्व में डीसी रहे आरके परूथी का महिलाओं को एक बेहतर मंच प्रदान करने में एक बड़ा योगदान रहा है. यहां कार्य कर रही काफी महिलाएं कभी घर से बाहर नहीं निकली थीं, लेकिन आज सरकार के इस कदम से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, बल्कि महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है. चीड़ की पत्तियों से ही बहुत से उत्पाद यहां की महिलाओं ने तैयार किए हैं और एक साल में अकेले 3 लाख रुपए की आमदनी चीड़ के उत्पादों से हुई है. इसके अलावा मिक्स नमक भी काफी अधिक बिका है. शालिनी ने कहा कि शीट हाट उन महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरा है, जो यह सोचती हैं कि महिलाएं कुछ नहीं कर सकती.
परिवार को भी देती हैं समय, आर्थिक स्थिति भी हो रही मजबूत: शी हाट में कार्यरत एक अन्य महिला रीना ने बताया कि यहां 4-4 घंटों के लिए महिलाएं शिफ्ट में कार्य कर रही हैं. इससे न केवल वह अपने परिवारों को समय देने के साथ-साथ खेती-बाड़ी सहित अन्य घरेलू कार्य भी कर पा रही हैं, बल्कि शी हाट में कार्य करने से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रही हैं.
दूसरे जिले भी ले रहे शी हाट से प्रेरणा: दूसरी तरफ प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी शी हाट प्रेरणा बनकर उभरा है. यही वजह है कि यहां विभिन्न जिलों से महिला समूहों को लाकर स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. कुनिहार बीडीओ कार्यालय में कार्यरत समन्वयक अनिल चौहान ने बताया कि कुनिहार क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को शी हाट का भ्रमण करवाया गया, ताकि शी हाट के रूप में वह लोग अपने क्षेत्र को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर सकें. इसी को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को यहां लाया गया है, ताकि जो कार्य यहां हो रहा है, उसको महिलाएं अपने क्षेत्र में भी कर सकें.
पर्यटकों को भी खूब भा रहा शी हाट: वहीं, शी हाट में आने वाले पर्यटक भी जिला प्रशासन के इस कार्य की खूब सराहना कर रहे हैं. एक महिला पर्यटक का कहना है कि शी हाट महिलाओं को उत्थान के लिए एक बेहतर कदम है और इस तरह के प्रयास ओर जिलों में भी होने चाहिए. खासकर ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रयास प्रशंसनीय है. वहीं, दिल्ली से आए एक अन्य पर्यटक का कहना है कि शी हाट की विशेषता यह है कि यहां प्रबंधन, भोजन व्यवस्था आदि सभी महिलाएं ही देख रही हैं. इस तरह का संस्थान जिसे महिलाएं ही संभाल रही हैं, संभवतः देश में पहला ही प्रयास होगा.
बता दें कि शी हाट में जहां एक ओर पहाड़ी व्यंजन असकली, पटांडे, लूसके इत्यादि सिरमौरी थाली के रूप में आकर्षण का केंद्र बने हैं, तो वहीं इन महिलाओं द्वारा बनाए गए घरेलू उत्पाद भी लोकप्रिय हो रहे हैं. चीड़ की पत्तियों (pine leaf products) सहित अन्य कई कार्य यह महिलाएं यहां स्वयं कर रही हैं. लिहाजा सरकार का यह प्रयास धरातल पर साकार होता नजर आ रहा है.
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