मंडी: हिमाचल के कई हिस्सों में बंदरों के आतंक से लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं. मंडी शहर में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है और कई बंदर लोगों को भी अपना शिकार बना चुके हैं. मंगलवार सुबह शहर के भ्योली में बंदरों ने 14 वर्षीय किशोरी पर उस वक्त हमला (Monkey attack on girl in mandi) कर दिया जब वह छत से कपड़े उठाने गई थी. इस दौरान 14 वर्षीय किशोरी बंदरों के हमले से बचने के लिए तीसरी मंजिल से कूद गई, जिससे उसकी दोनों टांगों व बाजू में चोटें आई है. घायल जोनल अस्पताल मंडी में उपचाराधीन है.
जोनल अस्पताल मंडी में उपचाराधीन 14 वर्षीय कृशी ने बताया कि वह छत से कपड़े लाने गई थी. इस दौरान अचानक उस पर 7-8 बंदरों ने हमला कर दिया, जिससे वह घबरा गई. कृशी ने बताया कि घबराहट में उसने तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी. कृशी के परिजनों ने वन विभाग और सरकार से बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है.
वहीं, इस बारे में जब डीएफओ मंडी वासुदेव डोगर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग ने शहर में 250 बंदरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है. जल्द ही इन बंदरों की नसबंदी कर शहर वासियों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाई जाएगी.
हिमाचल की कई पंचायतों में बंदरों वर्मिन घोषित: फिलहाल, राज्य सरकार के आग्रह पर हिमाचल की कई (Monkey problem in Himachal) पंचायतों में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है. फल व फसलों के लिए नुकसानकारी साबित होने वाले बंदरों को मारने की अनुमति केंद्र से मिली है, लेकिन राज्य सरकार ने बंदरों को मारने से हाथ खींच लिए. वन्य प्राणी विभाग चाहता है कि किसान खुद बंदरों को मारें, लेकिन अन्नदाता अपने हाथ में बंदूक नहीं पकड़ना चाहता है.
ऐसे में हिमाचल प्रदेश में बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बाद भी करीब बंदर भी नहीं मारे गए हैं. इस तरह किसानों की समस्या एक प्रकार से जस की तस है. हिमाचल प्रदेश की दो तिहाई पंचायतें बंदरों व जंगली जानवरों द्वारा फसलों को पहुंचाए जाने वाले नुकसान से प्रभावित है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मांग पर बंदरों को वर्मिन तो घोषित किया गया है, लेकिन प्रदेश के दस जिलों में सर्वाधिक समस्या प्रभावित 38 पंचायतों व नगर निगम शिमला में पिछले एक साल में आधिकारिक तौर पर केवल पांच बंदर मारे गए हैं.
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