मंडी: भारत एक विविधताओं का देश है. यही कारण है कि यहां पर बसने वाले लोगों का पहनावा-खानपान व संस्कृति भी अलग है. पहाड़ी राज्य हिमाचल की बात की जाए तो यहां मेलों और त्योहारों का खान-पान के साथ विशेष नाता रहा है. यहां के मेलों और त्योहारों में आपको कुछ ऐसे व्यंजन खाने को मिलते हैं जो शायद वर्ष भर मिल पाना संभव नहीं होता. इन्हीं में से एक है लुच्ची.
हालांकि लुच्ची हिमाचल प्रदेश या फिर मंडी जिले का कोई पारंपरिक व्यंजन नहीं है. इस रेसिपी को मंडी का राजपरिवार पश्चिम बंगाल से लेकर आया था. लेकिन आज यह लुच्ची इतनी ज्यादा फेमस हो चुकी है कि लोग शिवरात्रि मेले में आकर इसका स्वाद चखना नहीं भूलते. ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि लुच्ची को खाने का मौका सिर्फ शिवरात्रि के (Luchi food stall at Mandi) मेले में ही मिलता है. जबकि वर्ष भर न तो कोई इसे बनाता है और न ही खाता है. कोटली निवासी कृष्ण ठाकुर और बिलासपुर निवासी राजकुमार ने बताया कि वे जब भी मेले में आते हैं तो लुच्ची जरूर खाते हैं, क्योंकि यह सिर्फ शिवरात्रि मेले में ही मिलती है.
इतिहासकार धर्मपाल बताते हैं कि लुच्ची का मंडी के पारंपरिक व्यंजनों से कोई नाता नहीं है, लेकिन आज यह लोगों के स्वाद की पसंद बन चुकी है. बंगाल में लुच्ची और हलवे को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है लेकिन मंडी में इसे नॉन वैज के साथ खाने का प्रचलन काफी बढ़ गया है. इस पकवान को राज परिवार के लोग लेकर आए थे जिनका बंगाल के साथ नाता रहा है.
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