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Real time update of landslides: पहाड़ी राज्यों में अब भूस्खलन का मिलेगा रियल टाइम अपडेट, NIT हमीरपुर के विशेषज्ञ शोध में जुटे - भूस्खलन का मिलेगा रियल टाइम अपडेट

सोशल मीडिया के इस दौर में लोगों तक सही सूचना (app for real time data of landslides) पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. खासकर आपदाओं के समय में अफवाहें अधिक फैलती हैं. ऐसे में लोगों तक सही सूचना पहुंचना सरकार और प्रशासन के लिए मुश्किल साबित होता है. इसी समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में अब भूस्खलन और अन्य आपदाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने के लिए एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञ ऐप तैयार करेंगे. स्मार्टफोन की उपलब्धता को देखते हुए एनआईटी हमीरपुर ने यह निर्णय लिया है.

Experts from NIT Hamirpur
NIT हमीरपुर (फाइल फोटो).
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Published : Jun 9, 2022, 3:57 PM IST

हमीरपुर: भूस्खलन और अन्य आपदाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने के लिए एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञ ऐप तैयार करेंगे. हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) की एजेंसी काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट एनआईटी हमीरपुर को सौंपा गया है. इस शोध कार्य पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस ऐप के माध्यम से डाटा एकत्र कर वार्निंग सिस्टम आगामी दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर किया जा सकेगा.

सोशल मीडिया के इस दौर में लोगों तक सही सूचना पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. खासकर आपदाओं के समय में अफवाहें अधिक फैलती हैं. ऐसे में लोगों तक सही सूचना पहुंचना सरकार और प्रशासन के लिए मुश्किल साबित होता है. इसी समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में अब भूस्खलन और अन्य आपदाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने के लिए एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञ ऐप तैयार करेंगे. स्मार्टफोन की उपलब्धता को देखते हुए एनआईटी हमीरपुर ने यह निर्णय लिया है.

हिमाचल प्रदेश सरकार की एजेंसी काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट एनआईटी हमीरपुर को सौंपा गया है. इस शोध कार्य पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस ऐप के माध्यम से डाटा एकत्र कर वार्निंग सिस्टम आगामी दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर किया जा सकेगा. ऐप में ऐसे फीचर भी शामिल किए जाएंगे, जिससे कि आगामी दिनों में सेटेलाइट डाटा के आधार पर एरिया की मैपिंग होगी.

भूस्खलन होने पर सैटेलाइट इमेज के आधार पर (app for real time data of landslides) इसके कारणों का शोध भी संभव हो सकेगा. यह ऐप भूस्खलन होने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य करने वाली एंजेसियों को सूचना देगी. ऐप को इस हिसाब से डिजाइन किया जा रहा है कि पर्यटक और आम लोगों को यह जानकारी मिल सके कि भूस्खलन के कारण किस एरिया में कौन सी सड़क बाधित है और उनके पास कौन सा वैकल्पिक मार्ग मौजूद है. सिटीजन अथवा मॉडर्न साइंस के आधार पर इस शोध कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है. इस ऐप को महज भूस्खलन के अपडेट तक सीमित न रखकर अन्य आपदाओं के डाटा को शामिल करने की संभावनाओं को खुला रखा जाएगा.

एनआईटी हमीरपुर में तैनात सिविल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश का कहना है कि हिमाचल प्रदेश काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट मिला है. इसमें वह अपनी टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. इस ऐप को बनाने के पीछे सोच यह है कि लोगों को रियल टाइम अपडेट मिले. लोग अफवाहों के जंजाल में फंसने के बजाय सही सूचनाओं से अवगत हो सकें. अलर्ट सिस्टम के साथ ही इस ऐप में लोगों की तरफ से भी अपडेट दिए जाने और फीचर शामिल किया जाएगा. संबंधित एंजेसियां इन अपडेट पर चेक रखेंगी और इस रियल टाइम अपडेट से राहत और बचाव कार्य में भी गति मिलेगी.

बरसात में अक्सर हिमाचल में भूस्खलन के कारण सड़क बाधित रहती है. इस दौरान अपुष्ट सूचनाएं लगातार सोशल मीडिया पर फैलती हैं. कोई आधिकारिक अथवा सही सूचना न मिलने के कारण खासकर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को खासी दिक्कत पेश आती है. इसके अलावा वह लोग भी परेशान होते हैं जो अनजान क्षेत्रों में यात्रा कर रहे होते हैं. राहत एवं बचाव कार्य करने वाली एंजेसियों को तो यह ऐप अलर्ट देगी, साथ ही आम लोगों को सही जानकारी पहुंचाने का एक जरिया भी बनेगी.

वैकल्पिक मार्गों का भी होगा ब्यौरा: इस ऐप के जरिए भूस्खलन के बाद लगने वाले जाम और वैकल्पिक मार्गों की जानकारी भी लोगों तक पहुंचेगी. कई दफा जाम में एंबुलेंस फंस जाती है और इससे मरीजों की जान पर भी बन आती है. ऐसे में यह ऐप न सिर्फ जाम लगने का अलर्ट देगी, बल्कि वैकल्पिक मार्गों भी उपलब्ध करवाने में मददगार साबित होगी. इसके अलावा ट्रैफिक को बहाल करने के लिए जो एंजेसियां कार्य करती हैं, उनको भी ऐप से तुरंत रियल टाइम अपडेट मिलेगा.

हिमाचल में बरसात ही नहीं, अन्य मौसमों में भी होने वाले भूस्खलनों की जानकारी उपलब्ध हो पाएगी. इससे भूस्खलनों के कारणों की स्टडी करने में विशेषज्ञों को मदद मिलेगी. इस ऐप में रियल टाइम डाटा के आधार पर लोकेशन की स्टडी होगी. डाटा एकत्र होने के बाद यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में किस समय घटनाएं सामने आ आ रही है. इससे एक तरफ जहां अलर्ट मिलेगा तो दूसरी ओर एक डाटा तैयार होगा, जो कि बाद में विभिन्न शोध में मददगार भी साबित होगा.

हमीरपुर: भूस्खलन और अन्य आपदाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने के लिए एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञ ऐप तैयार करेंगे. हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) की एजेंसी काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट एनआईटी हमीरपुर को सौंपा गया है. इस शोध कार्य पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस ऐप के माध्यम से डाटा एकत्र कर वार्निंग सिस्टम आगामी दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर किया जा सकेगा.

सोशल मीडिया के इस दौर में लोगों तक सही सूचना पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. खासकर आपदाओं के समय में अफवाहें अधिक फैलती हैं. ऐसे में लोगों तक सही सूचना पहुंचना सरकार और प्रशासन के लिए मुश्किल साबित होता है. इसी समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में अब भूस्खलन और अन्य आपदाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने के लिए एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञ ऐप तैयार करेंगे. स्मार्टफोन की उपलब्धता को देखते हुए एनआईटी हमीरपुर ने यह निर्णय लिया है.

हिमाचल प्रदेश सरकार की एजेंसी काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट एनआईटी हमीरपुर को सौंपा गया है. इस शोध कार्य पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस ऐप के माध्यम से डाटा एकत्र कर वार्निंग सिस्टम आगामी दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर किया जा सकेगा. ऐप में ऐसे फीचर भी शामिल किए जाएंगे, जिससे कि आगामी दिनों में सेटेलाइट डाटा के आधार पर एरिया की मैपिंग होगी.

भूस्खलन होने पर सैटेलाइट इमेज के आधार पर (app for real time data of landslides) इसके कारणों का शोध भी संभव हो सकेगा. यह ऐप भूस्खलन होने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य करने वाली एंजेसियों को सूचना देगी. ऐप को इस हिसाब से डिजाइन किया जा रहा है कि पर्यटक और आम लोगों को यह जानकारी मिल सके कि भूस्खलन के कारण किस एरिया में कौन सी सड़क बाधित है और उनके पास कौन सा वैकल्पिक मार्ग मौजूद है. सिटीजन अथवा मॉडर्न साइंस के आधार पर इस शोध कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है. इस ऐप को महज भूस्खलन के अपडेट तक सीमित न रखकर अन्य आपदाओं के डाटा को शामिल करने की संभावनाओं को खुला रखा जाएगा.

एनआईटी हमीरपुर में तैनात सिविल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश का कहना है कि हिमाचल प्रदेश काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट की तरफ से यह प्रोजेक्ट मिला है. इसमें वह अपनी टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. इस ऐप को बनाने के पीछे सोच यह है कि लोगों को रियल टाइम अपडेट मिले. लोग अफवाहों के जंजाल में फंसने के बजाय सही सूचनाओं से अवगत हो सकें. अलर्ट सिस्टम के साथ ही इस ऐप में लोगों की तरफ से भी अपडेट दिए जाने और फीचर शामिल किया जाएगा. संबंधित एंजेसियां इन अपडेट पर चेक रखेंगी और इस रियल टाइम अपडेट से राहत और बचाव कार्य में भी गति मिलेगी.

बरसात में अक्सर हिमाचल में भूस्खलन के कारण सड़क बाधित रहती है. इस दौरान अपुष्ट सूचनाएं लगातार सोशल मीडिया पर फैलती हैं. कोई आधिकारिक अथवा सही सूचना न मिलने के कारण खासकर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को खासी दिक्कत पेश आती है. इसके अलावा वह लोग भी परेशान होते हैं जो अनजान क्षेत्रों में यात्रा कर रहे होते हैं. राहत एवं बचाव कार्य करने वाली एंजेसियों को तो यह ऐप अलर्ट देगी, साथ ही आम लोगों को सही जानकारी पहुंचाने का एक जरिया भी बनेगी.

वैकल्पिक मार्गों का भी होगा ब्यौरा: इस ऐप के जरिए भूस्खलन के बाद लगने वाले जाम और वैकल्पिक मार्गों की जानकारी भी लोगों तक पहुंचेगी. कई दफा जाम में एंबुलेंस फंस जाती है और इससे मरीजों की जान पर भी बन आती है. ऐसे में यह ऐप न सिर्फ जाम लगने का अलर्ट देगी, बल्कि वैकल्पिक मार्गों भी उपलब्ध करवाने में मददगार साबित होगी. इसके अलावा ट्रैफिक को बहाल करने के लिए जो एंजेसियां कार्य करती हैं, उनको भी ऐप से तुरंत रियल टाइम अपडेट मिलेगा.

हिमाचल में बरसात ही नहीं, अन्य मौसमों में भी होने वाले भूस्खलनों की जानकारी उपलब्ध हो पाएगी. इससे भूस्खलनों के कारणों की स्टडी करने में विशेषज्ञों को मदद मिलेगी. इस ऐप में रियल टाइम डाटा के आधार पर लोकेशन की स्टडी होगी. डाटा एकत्र होने के बाद यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में किस समय घटनाएं सामने आ आ रही है. इससे एक तरफ जहां अलर्ट मिलेगा तो दूसरी ओर एक डाटा तैयार होगा, जो कि बाद में विभिन्न शोध में मददगार भी साबित होगा.

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