बिलासपुरः वर्तमान युग में शिक्षा ही एक ऐसा जरिया है जिससे अपने पैरों पर स्वाभिमान से खड़ा हुआ जा सकता है. समाज को जानने व समझने की समझ और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए भी शिक्षित होना जरूरी है. यह बात बिलासपुर की गीतांजलि ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से मेधावी बच्चों को मिलने वाले लैपटॉप ग्रहण करने के बाद कही.
यह सम्मान पीजी कालेज बिलासपुर में गीतांजलि को लेफ्टिनेंट जयचंद महलवाल ने दिया. इस अवसर पर उनके साथ लिपिक बिशनदास भी मौजूद रहे. गीतांजलि का मानना है कि व्यक्ति के पास कुछ भी हो लेकिन यदि शिक्षा नहीं है तो व्यर्थ है. शिक्षा से ही जीवन संस्कारमयी और खुशहाल होता है.
गौरतलब है कि बिलासपुर नगर की गीतांजलि ने स्नातक उपाधि के अंतिम वर्ष में जियोग्राफी विषय में टॉप किया था. हालांकि मेजर सब्जेक्ट में कुल 22 बच्चों का चयन हुआ था, लेकिन बिलासपुर से जियोग्राफी में गीतांजलि ही टॉपर थी.
अपनी बेटी को सम्मान मिलता देख माता नरेश देवी की आंखों का नम होना भी स्वाभाविक था, पढ़ाई के दौरान ही गीतांजलि के सिर से पिता का साया उठ गया था और स्वयं नरेश देवी जिला अस्पताल में कांट्रेक्टर के पास सफाई कर्मचारी है. सीमित साधनों में दो बेटियों के साथ मानसिक रूप से कमजोर बेटे को पालन का काम और समाज की चुनौतियों से आज भी नरेश कुमारी शिद्दत से सामना कर रही है.
गीतांजलि के सिर पर पिता का साया साल 2017 में उस समय उठ गया था. जब वह द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और फाइनल परीक्षा चल रही थी. बावजूद इसके इनकी माता नरेश देवी ने बच्चों की पढ़ाई पर कोई आंच नहीं आने दी और इस काबिल बनाया कि आज गीतांजलि पशु पालन विभाग में लिपिक पद पर तैनात है जबकि बड़ी बहन रक्षा बिलासपुर के प्राइवेट अस्पताल में नर्सिंग की जॉब कर रही है.
गीतांजलि के पिता अमरीश कुमार पशु सेवा के साथ समाज की सेवा में लीन रहते थे. अपने बच्चों और परिवार की नैया को पार लगाने के लिए उनके योगदान को कभी नकारा नहीं जा सकता. वहीं, विपरीत परिस्थितियों में इस परिवार ने स्वयं को उठाकर दिखाया है जो कि समाज में अनुकरणीय उदाहरण है.
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