जींद: हरियाणा की 54वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम '54 का हरियाणा' में प्रदेश के दो मशहूर लोकगीत कलाकार विनोद पनिहारी और सतवीर गोस्वामी ने सुरों की महफिल बांध दी. इस खास कार्यक्रम में दोनों कलाकारों ने हरियाणा को अपने अंदाज में गीतों के जरिए पेश किया. इसके साथ ही दोनों कलाकारों ने लोकगीतों से समाज को एकता का संदेश भी दिया.
कार्यक्रम '54 का हरियाणा' में गीतकार विनोद पनिहारी ने कहा कि हरियाणवी बोली हिंदी के सबसे नजदीक बोली मानी जाती है. उन्होंने हरियाणा के माननीय रागणी गायक पंडित लख्मीचंद रागणी हीर-रांझा गीत के जरिए हरियाणवी लोक संस्कृति से रूबरू करवाया.
सजी रागणी वाली महफिल
वहीं सतवीर गोस्वामी ने हरियाणा के कला और रिश्तों को अपने गीतों में पिरोया. उन्होंने अपने हिट गाने 'वीर पोंची बंधवा ले रे' गाने के जरिए हरियाणवी रक्षा बंधन और भाई-बहन के रिश्ते के अनोखे रूप को पेश किया.
गीतकार विनोद पनिहारी ने जाट मेहर सिंह के गीत के जरिए, हरियाणा के लोगों और रिश्तों के ताने-बाने को बताया. वहीं हरियाणा से फौज में जाने वाले फौजियों और खेतों में सोना उगाने वाले किसानों की मनोस्थिति को बताया. इस गीत के जरिए उन्होंने हरियाणवी रीत-रिवाज को भी सामने रखा.
कलाकारों से की अच्छे गाने बनाने की अपील
विनोद पनिहारी और सतवीर गोस्वामी ने हरियाणा के तमाम गीतकारों से अच्छे कंटेट के गीत लिखने की अपील की. उनका कहना है कि हरियाणा में कुछ गीतकार फूहड़ गीत लिखते हैं, जिनसे पूरे देश में खराब संदेश जाता है, इससे हरियाणवियों की बदनामी होती है.
कलाकारों ने दिया एकता का संदेश
इन दोनों कलाकारों का कहना है कि जहां का भोला-भाला इंसान मेहनत करता है, इमान की खाता है और खून-पसीने की कमाई करता है, वहीं अपना हरियाणा है. इन दोनों कलाकारों ने हरियाणा के लोगों को एकता का संदेश भी दिया.
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