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सरकारी कागजों में गुम हुई मुर्रा भैंस की आस में फौगाट सिस्टर्स, कृषि मंत्री बोले- प्रक्रिया अभी जारी है

अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश, बबीता फौगाट को सरकार की तरफ से मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा मात्र कागजों में ही सिमटकर रह गई है. अब बलाली बहनें मुर्रा नस्ल की सरकारी भैंस का दूध नहीं बल्कि अपने खर्चे पर खरीदी भैंस का दूध पीकर ओलंपिक फतेह करने का सपना संजोए हैं.

फोगाट सिस्टर्स का सरकार पर वादा पूरा नहीं करने का आरोप
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Published : Feb 11, 2019, 2:29 PM IST

Updated : Feb 11, 2019, 3:33 PM IST

चरखी दादरी: हरियाणा सरकार और खिलाड़ियों की लगातार ठनती आ रही है. वक्त-वक्त पर खिलाड़ी सरकार के खिलाफ अपने सुर तीखे करते आए हैं. चाहे वो योगेश्वर हो, मनुभाकर हो, या बलाली सिस्टर्स. सरकार इन खिलाड़ियों के निशाने पर रही है. अब महिला रेसलर विनेश और बबीता फोगाट ने सरकार से वक्त पर वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश, बबीता फौगाट को सरकार की तरफ से मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा मात्र कागजों में ही सिमटकर रह गई है. अब बलाली बहनें मुर्रा नस्ल की सरकारी भैंस का दूध नहीं बल्कि अपने खर्चे पर खरीदी भैंस का दूध पीकर ओलंपिक फतेह करने का सपना संजोए हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों मेडल जीत चुकी विनेश व बबीता फौगाट को प्रदेश के पशुपालन और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की तरफ से पछले साल 27 अगस्त को चरखी दादरी में रोडवेज विभाग द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा की थी. इस दौरान मंत्री धनखड़ ने विनेश, बबीता को सम्मानित करते हुए घोषणा की थी कि सरकारी मुर्रा नस्ल की भैंस का दूध पीकर दोनों बहनें ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेंगी. इसके लिए मंत्री ने रोडवेज अधिकारियों के मार्फत भैंसों की कीमत उपलब्ध करवाने की बात की थी. मुर्राह भैंस की कीमत 1 लाख से 5 लाख रुपये के बीच होती है और उसके दूध उत्पादों का उपभोग पावर स्पोर्टस में किया जाता है.

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अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश व बबीता को घोषणा के 6 महीने बाद भी मुर्रा नस्ल की भैंस नहीं मिली है. मुर्रा नस्ल भैंस नहीं मिलने पर दोनों बहनें अपने खर्चे पर खरीदी गई भैंस का दूध पी रही हैं. अब वे खेल प्रोजेक्ट की तरह सरकार की तरफ से की गई घोषणाओं को पूरा करने की आश लगाए बैंठी हैं.

सरकार की 'कागजी घोषणाएं'
द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट का कहना है कि सरकार की तरफ से खिलाड़ियों के लिए घोषणाएं तो कर दी जाती हैं. लेकिन उन्हें धरातल पर लागू नहीं किया जाता. खिलाड़ियों के साथ राजनीति करते हुए भेदभाव किया जा रहा है. विनेश और बबीता को मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा भी कागजों में दबकर रह गई है.

'मांगा नहीं था, मंत्री ने की थी घोषणा'
अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर बबीता फौगाट ने बताया कि मुर्रा नस्ल की भैंस देने का पुरस्कार उन्होंने मांगा नहीं था बल्कि पशुपालन और कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने सार्वजनिक घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि इस भैंस का दूध पिएं और देश के लिए अधिक पुरस्कार जीतें. प्रोत्साहन के बजाय इस तरह की राजनीतिक घोषणा खिलाड़ियों के लिए हतोत्साहित करने का काम करती है, जो उपहार के लिए इंतजार करते हैं और यह उनके खेल प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है.

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भुगतान की प्रक्रिया जारी- धनखड़
पशुपालन और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि उनकी घोषणा थी कि फोगाट बहनें अपनी पसंद की भैंस खरीद सकती हैं. रोडवेज विभाग के माध्यम से लागत का भुगतान किया जाएगा. पिछले साल बबीता और विनेश के लिए 1 लाख रुपये चरखी दादरी रोडवेज विभाग को भेजे गए थे. रोडवेज की सोसायटी पंजीकृत नहीं होने के बाद उक्त राशि वापिस आ गई थी क्योंकि सरकारी फंड एक ठीक चैनल के माध्यम से आता है और इसे इस तरह से मंजूरी दी गई थी. अब मुर्रा नस्ल की भैंसों की कीमत रोडवेज विभाग को सीधे रूप से भेजने की प्रक्रिया चल रही है.

चरखी दादरी: हरियाणा सरकार और खिलाड़ियों की लगातार ठनती आ रही है. वक्त-वक्त पर खिलाड़ी सरकार के खिलाफ अपने सुर तीखे करते आए हैं. चाहे वो योगेश्वर हो, मनुभाकर हो, या बलाली सिस्टर्स. सरकार इन खिलाड़ियों के निशाने पर रही है. अब महिला रेसलर विनेश और बबीता फोगाट ने सरकार से वक्त पर वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश, बबीता फौगाट को सरकार की तरफ से मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा मात्र कागजों में ही सिमटकर रह गई है. अब बलाली बहनें मुर्रा नस्ल की सरकारी भैंस का दूध नहीं बल्कि अपने खर्चे पर खरीदी भैंस का दूध पीकर ओलंपिक फतेह करने का सपना संजोए हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों मेडल जीत चुकी विनेश व बबीता फौगाट को प्रदेश के पशुपालन और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की तरफ से पछले साल 27 अगस्त को चरखी दादरी में रोडवेज विभाग द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा की थी. इस दौरान मंत्री धनखड़ ने विनेश, बबीता को सम्मानित करते हुए घोषणा की थी कि सरकारी मुर्रा नस्ल की भैंस का दूध पीकर दोनों बहनें ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेंगी. इसके लिए मंत्री ने रोडवेज अधिकारियों के मार्फत भैंसों की कीमत उपलब्ध करवाने की बात की थी. मुर्राह भैंस की कीमत 1 लाख से 5 लाख रुपये के बीच होती है और उसके दूध उत्पादों का उपभोग पावर स्पोर्टस में किया जाता है.

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अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश व बबीता को घोषणा के 6 महीने बाद भी मुर्रा नस्ल की भैंस नहीं मिली है. मुर्रा नस्ल भैंस नहीं मिलने पर दोनों बहनें अपने खर्चे पर खरीदी गई भैंस का दूध पी रही हैं. अब वे खेल प्रोजेक्ट की तरह सरकार की तरफ से की गई घोषणाओं को पूरा करने की आश लगाए बैंठी हैं.

सरकार की 'कागजी घोषणाएं'
द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट का कहना है कि सरकार की तरफ से खिलाड़ियों के लिए घोषणाएं तो कर दी जाती हैं. लेकिन उन्हें धरातल पर लागू नहीं किया जाता. खिलाड़ियों के साथ राजनीति करते हुए भेदभाव किया जा रहा है. विनेश और बबीता को मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा भी कागजों में दबकर रह गई है.

'मांगा नहीं था, मंत्री ने की थी घोषणा'
अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर बबीता फौगाट ने बताया कि मुर्रा नस्ल की भैंस देने का पुरस्कार उन्होंने मांगा नहीं था बल्कि पशुपालन और कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने सार्वजनिक घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि इस भैंस का दूध पिएं और देश के लिए अधिक पुरस्कार जीतें. प्रोत्साहन के बजाय इस तरह की राजनीतिक घोषणा खिलाड़ियों के लिए हतोत्साहित करने का काम करती है, जो उपहार के लिए इंतजार करते हैं और यह उनके खेल प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है.

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भुगतान की प्रक्रिया जारी- धनखड़
पशुपालन और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि उनकी घोषणा थी कि फोगाट बहनें अपनी पसंद की भैंस खरीद सकती हैं. रोडवेज विभाग के माध्यम से लागत का भुगतान किया जाएगा. पिछले साल बबीता और विनेश के लिए 1 लाख रुपये चरखी दादरी रोडवेज विभाग को भेजे गए थे. रोडवेज की सोसायटी पंजीकृत नहीं होने के बाद उक्त राशि वापिस आ गई थी क्योंकि सरकारी फंड एक ठीक चैनल के माध्यम से आता है और इसे इस तरह से मंजूरी दी गई थी. अब मुर्रा नस्ल की भैंसों की कीमत रोडवेज विभाग को सीधे रूप से भेजने की प्रक्रिया चल रही है.


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From: Pardeep Sahu <sahupardeep@gmail.com>
Date: Mon 11 Feb, 2019, 12:26
Subject: विनेश, बबीता को मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा भूली सरकार : नहीं मिली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाडिय़ों को भैंस
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विनेश, बबीता को मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा भूली सरकार
: नहीं मिली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाडिय़ों को भैंस 
: मंत्री ओपी धनखड़ ने की थी घोषणा, मुर्रा नस्ल की भैंस का दूध पीकर विनेश और बबीता के ओलंपिक में गोल्ड जीतेंगी 
: कागजों में अटकी भैंसों की कीमत
प्रदीप साहू
चरखी दादरी : अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश, बबीता फौगाट को सरकार द्वारा मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा मात्र कागजों में ही सिमटकर रह गई है। अब बलाली बहनें मुर्रा नस्ल की सरकारी भैंस का दूध नहीं बल्कि अपने खर्चे पर खरीदी भैंस का दूध पीकर ओलंपिक फतेह करने का सपना संजोए हैं। विनेश, बबीता को मुर्रा नस्ल की सरकारी भैंस मिलने में काफी अड़चने पूरी होने के बाद मिलने की आश है। 
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों मेडल जीत चुकी विनेश व बबीता फौगाट को प्रदेश के पशुपालन व कृषि मंत्री  ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा गत 27 अगस्त को चरखी दादरी में रोडवेज विभाग द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा की थी। इस दौरान मंत्री धनखड़ ने विनेश, बबीता को सम्मानित करते हुए घोषणा की थी कि सरकारी मुर्रा नस्ल की भैंस का दूध पीकर दोनों बहनें ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेंगी। इसके लिए मंत्री ने रोडवेज अधिकारियों के मार्फत भैंसों की कीमत उपलब्ध करवाने की बात की थी। मुर्राह भैंस की कीमत 1 लाख से 5 लाख रुपये के बीच होती है और उसके दूध उत्पादों का उपभोग पावर स्पोट्र्स में किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर विनेश व बबीता को घोषणा के 6 माह बाद भी मुर्रा नस्ल की भैंस नहीं मिली है। पिछले दिनों गांव बलाली में खेल स्टेडियम व कुश्ती हाल के प्रोजेक्ट को रद्द करने व बाद में रिलाइज करने की घोषणा के बाद एक बार फिर बलाली बहनों ने सरकार पर घोषणा करने के बाद सुविधा नहीं देने का आरोप लगाया है। मुर्रा नस्ल भैंस नहीं मिलने पर दोनों बहनें अपने खर्चे पर खरीदी गई भैंस का दूध पी रही हैं। अब वे खेल प्रोजेक्ट की तरह सरकार द्वारा की गई घोषणाओं को पूरा करने की आश लगाए बैंठी हैं। 
बाक्स:-
सरकार की घोषणाएं मात्र कागजी
द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फौगाट का कहना है कि सरकार द्वारा खिलाडिय़ों के लिए घोषणाएं तो कर दी जाती हैं। लेकिन उन्हें धरातल पर लागू नहीं किया जाता। खिलाडिय़ों के साथ राजनीति करते हुए भेदभाव किया जा रहा है। विनेश व बबीता को मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा भी कागजों में दबकर रह गई है।
बाक्स:-
पुरस्कार मांगा नहीं था, मंत्री ने की थी घोषणा
अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर बबीता फौगाट ने बताया कि मुर्रा नस्ल की भैंस देने का पुरस्कार उन्होंने मांगा नहीं था बल्कि पशुपालन व कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने सार्वजनिक घोषणा की थी कि इस भैंस का दूध पिएं और देश के लिए अधिक पुरस्कार जीतें। प्रोत्साहन के बजाय इस तरह की राजनीतिक घोषणा खिलाडिय़ों के लिए हतोत्साहित करने का काम करती है, जो उपहार के लिए इंतजार करते हैं और यह उनके खेल प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है।
बाक्स:-
उचित चैनल के माध्यम से भुगतान की प्रक्रिया जारी
पशुपालन व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि उनकी घोषणा थी कि फौगाट बहनें अपनी पसंद की भैंस खरीद सकती हैं और रोडवेज विभाग के माध्यम से लागत का भुगतान किया जाएगा। पिछले साल बबीता और विनेश के लिए 1 लाख रुपये चरखी दादरी रोडवेज विभाग को भेजे गए थे। लेकिन रोडवेज की सोसायटी पंजीकृत नहीं होने के बाद उक्त राशि वापिस आ गई थी। क्योंकि सरकारी फंड एक उचित चैनल के माध्यम से आता है और इसे इस तरह से मंजूरी दी गई थी। अब मुर्रा नस्ल की भैंसों की कीमत रोडवेज विभाग को सीधे रूप से भेजने की प्रक्रिया चल रही है।  
विजवल:- 1
बलाली गांव का द्वार, विनेश व बबीता का फाइल फोटो, विनेश व बबीता के कट शाटस, रोडवेज में सम्मान समारोह व मुर्रा नस्ल की भैंस देने की घोषणा करते मंत्री ओपी धनखड़ की स्पीच के कट शाटस
बाईट:- 2
महावीर फौगाट, द्रोणाचार्य अवार्डी
बाईट:- 3
बबीता फौगाट, अंतर्राष्ट्रीय महिला रेसलर
बाईट:- 4
ओमप्रकाश धनखड़, पशुपालन मंत्री 

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Charkhi Dadri 





Last Updated : Feb 11, 2019, 3:33 PM IST
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