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ASSEMBLY ELECTION 2024 : विधानसभा चुनाव परिणाम के बीच महाराष्ट्र में चल रही कई परियोजनाओं को लेकर अटकलें तेज

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे ना सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि प्रमुख नागरिक परियोजनाओं के भविष्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.

ASSEMBLY ELECTION 2024
प्रतीकात्मक तस्वीर. (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2024, 2:55 AM IST

मुंबई: महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार है. मुंबई में कई नागरिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भविष्य इन परिणामों पर निर्भर करेगा. एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक, इन परियोजनाओं की लागत करीब 10,705 करोड़ रुपये है. जिसका भविष्य नई सरकार किस राजनीतिक गठबंधन की बनती है उसपर निर्भर करेगा.

2022 से, बीएमसी को सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा चलाया जा रहा है. पिछले दो वर्षों में, नागरिक अधिकारियों ने कई परियोजनाओं की घोषणा की और उन्हें शुरू किया, जिन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित सत्तारूढ़ महायुति सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित किया गया था.

मुंबई की सड़कों के कंक्रीटीकरण, गरगई पिंजल प्लांट और महालक्ष्मी रेस कोर्स में एक खुले पार्क के निर्माण जैसी परियोजनाओं को सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित किया गया है. हालांकि, पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान परिकल्पित विलवणीकरण संयंत्र जैसी परियोजनाओं को वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

पिछले दो सालों में राज्य के सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच कई राजनीतिक वाद-विवाद हुए हैं. एमवीए ने घोषणा की है कि सत्ता में आने पर वे वर्तमान परियोजनाओं को रद्द कर देंगे. वहीं, महायुति ने मुंबई के समग्र विकास के लिए इन परियोजनाओं के महत्व पर जोर दिया है.

महालक्ष्मी रेस कोर्स : इस परियोजना ने पिछले एक साल से भी अधिक समय से राजनीतिक वाद-विवाद को जन्म दिया है. इस साल जनवरी में बीएमसी ने रेस कोर्स की जमीन का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में लेकर उसे सार्वजनिक पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा था. सीएम एकनाथ शिंदे ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे शहर में 120 एकड़ अतिरिक्त खुली-हरी जगह जुड़ जाएगी.

इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने खुले तौर पर इसे महायुति सरकार द्वारा पूरे भूखंड का व्यवसायीकरण करने के लिए जमीन हड़पने का कदम बताया. आदित्य ने यह भी कहा कि अगर एमवीए सत्ता में आती है तो इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा था कि वे महालक्ष्मी में 226 एकड़ खुली जगह हड़पने के किसी भी प्रयास के खिलाफ हैं. आदित्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि हम अत्यधिक प्रदूषण से जूझ रहे हैं. कोई भी सरकारी अधिकारी इस पर प्रतिक्रिया देने या इसे हल करने के लिए कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठा रहा है. हम भाजपा द्वारा प्रायोजित मुख्यमंत्री की मर्जी पर अपनी खुली जगहों को नहीं छोड़ सकते, जो इस पर इमारतें बनाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा था कि महालक्ष्मी रेस कोर्स में खुला पार्क मुंबईकरों के लिए एक उपहार होगा. 226 एकड़ में से 120 एकड़ को ऑक्सीजन पार्क के रूप में एक खुली जगह में विकसित किया जाएगा. वहां कोई निर्माण नहीं किया जाएगा. हमारा लक्ष्य शहर के सर्वोत्तम हित में मुंबई को बदलना है.

गरगई-पिंजल जल आपूर्ति परियोजना और विलवणीकरण संयंत्र: पानी की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए, बीएमसी ने 2016 में पालघर जिले में गरगई-पिंजल और दमनगंगा-पिंजल नदी लिंक पर बांधों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव रखा था. तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसे प्रस्तावित किया था. बीएमसी ने इसके लिए 3,100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था.

इस परियोजना पर काम जोरों पर था, लेकिन जब 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आई, तो पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इस परियोजना को रोक दिया गया. इस परियोजना के लिए 4.5 लाख पेड़ों को काटना पड़ता जिसका काफी विरोध हो रहा था.

इसके विकल्प के तौर पर, एमवीए सरकार ने 1,600 करोड़ रुपये की लागत से 440 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन (एमएलडी) की आपूर्ति करने वाले विलवणीकरण संयंत्र के निर्माण का प्रस्ताव रखा. बीएमसी ने पिछले साल विलवणीकरण संयंत्र के लिए निविदाएं जारी की थीं. बोलीदाताओं की खराब प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए इस साल सितंबर में उन्हें रद्द कर दिया था.

जब 2022 में शिंदे-फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार सत्ता में आई, तो गरगई पिंजल परियोजना को फिर से शुरू किया गया. बीएमसी ने परियोजना के लिए प्रतिपूरक वनरोपण करने के लिए चंद्रपुर में भूमि भी अधिग्रहित की थी. हाल ही में, जब मुंबई में लंबे समय तक पानी की कमी रही, तो भाजपा विधायक और पार्टी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने परियोजना को रद्द करने के लिए एमवीए सरकार पर कटाक्ष किया.

शेलार ने कहा कि समुद्री जल को विलवणीकरण करने से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, साथ ही यह बहुत महंगा भी है. हमने इस ओर ध्यान दिलाया था, लेकिन एमवीए सरकार ने फिर भी इस पर जोर दिया, साथ ही अपने ठेकेदार मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए मामूली मुद्दों का हवाला देते हुए गरगई-पिंजल परियोजना को रद्द कर दिया.

हालांकि, आदित्य ने गरगई पिंजल परियोजना के बजाय विलवणीकरण संयंत्र को फिर से चालू करने के अपने रुख पर कायम रहे. आदित्य ने अपने एक प्रचार कार्यक्रम में कहा कि अगर कोई बांध भी बना ले, तो अगर बारिश नहीं होगी तो पानी कहां से लाएंगे? हमें बारिश पर निर्भरता से हटकर दूसरे स्रोतों पर निर्भर होने की जरूरत है.

सड़क कांक्रीटीकरण: 2022 में सरकार बनाने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने मुंबई की 397 किलोमीटर सड़कों को गड्ढों से मुक्त करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत से कंक्रीटीकरण की घोषणा की. हालांकि, शिवसेना-यूबीटी के आदित्य ठाकरे ने इस परियोजना का खुलकर विरोध किया. उन्होंने इसे घोटाला करार दिया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इस परियोजना का मूल्यांकन कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर किया गया. उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इस परियोजना को रद्द करने का आग्रह किया था.

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मुंबई: महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार है. मुंबई में कई नागरिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भविष्य इन परिणामों पर निर्भर करेगा. एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक, इन परियोजनाओं की लागत करीब 10,705 करोड़ रुपये है. जिसका भविष्य नई सरकार किस राजनीतिक गठबंधन की बनती है उसपर निर्भर करेगा.

2022 से, बीएमसी को सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा चलाया जा रहा है. पिछले दो वर्षों में, नागरिक अधिकारियों ने कई परियोजनाओं की घोषणा की और उन्हें शुरू किया, जिन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित सत्तारूढ़ महायुति सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित किया गया था.

मुंबई की सड़कों के कंक्रीटीकरण, गरगई पिंजल प्लांट और महालक्ष्मी रेस कोर्स में एक खुले पार्क के निर्माण जैसी परियोजनाओं को सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित किया गया है. हालांकि, पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान परिकल्पित विलवणीकरण संयंत्र जैसी परियोजनाओं को वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

पिछले दो सालों में राज्य के सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच कई राजनीतिक वाद-विवाद हुए हैं. एमवीए ने घोषणा की है कि सत्ता में आने पर वे वर्तमान परियोजनाओं को रद्द कर देंगे. वहीं, महायुति ने मुंबई के समग्र विकास के लिए इन परियोजनाओं के महत्व पर जोर दिया है.

महालक्ष्मी रेस कोर्स : इस परियोजना ने पिछले एक साल से भी अधिक समय से राजनीतिक वाद-विवाद को जन्म दिया है. इस साल जनवरी में बीएमसी ने रेस कोर्स की जमीन का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में लेकर उसे सार्वजनिक पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा था. सीएम एकनाथ शिंदे ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे शहर में 120 एकड़ अतिरिक्त खुली-हरी जगह जुड़ जाएगी.

इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने खुले तौर पर इसे महायुति सरकार द्वारा पूरे भूखंड का व्यवसायीकरण करने के लिए जमीन हड़पने का कदम बताया. आदित्य ने यह भी कहा कि अगर एमवीए सत्ता में आती है तो इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा था कि वे महालक्ष्मी में 226 एकड़ खुली जगह हड़पने के किसी भी प्रयास के खिलाफ हैं. आदित्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि हम अत्यधिक प्रदूषण से जूझ रहे हैं. कोई भी सरकारी अधिकारी इस पर प्रतिक्रिया देने या इसे हल करने के लिए कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठा रहा है. हम भाजपा द्वारा प्रायोजित मुख्यमंत्री की मर्जी पर अपनी खुली जगहों को नहीं छोड़ सकते, जो इस पर इमारतें बनाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा था कि महालक्ष्मी रेस कोर्स में खुला पार्क मुंबईकरों के लिए एक उपहार होगा. 226 एकड़ में से 120 एकड़ को ऑक्सीजन पार्क के रूप में एक खुली जगह में विकसित किया जाएगा. वहां कोई निर्माण नहीं किया जाएगा. हमारा लक्ष्य शहर के सर्वोत्तम हित में मुंबई को बदलना है.

गरगई-पिंजल जल आपूर्ति परियोजना और विलवणीकरण संयंत्र: पानी की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए, बीएमसी ने 2016 में पालघर जिले में गरगई-पिंजल और दमनगंगा-पिंजल नदी लिंक पर बांधों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव रखा था. तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसे प्रस्तावित किया था. बीएमसी ने इसके लिए 3,100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था.

इस परियोजना पर काम जोरों पर था, लेकिन जब 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आई, तो पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इस परियोजना को रोक दिया गया. इस परियोजना के लिए 4.5 लाख पेड़ों को काटना पड़ता जिसका काफी विरोध हो रहा था.

इसके विकल्प के तौर पर, एमवीए सरकार ने 1,600 करोड़ रुपये की लागत से 440 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन (एमएलडी) की आपूर्ति करने वाले विलवणीकरण संयंत्र के निर्माण का प्रस्ताव रखा. बीएमसी ने पिछले साल विलवणीकरण संयंत्र के लिए निविदाएं जारी की थीं. बोलीदाताओं की खराब प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए इस साल सितंबर में उन्हें रद्द कर दिया था.

जब 2022 में शिंदे-फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार सत्ता में आई, तो गरगई पिंजल परियोजना को फिर से शुरू किया गया. बीएमसी ने परियोजना के लिए प्रतिपूरक वनरोपण करने के लिए चंद्रपुर में भूमि भी अधिग्रहित की थी. हाल ही में, जब मुंबई में लंबे समय तक पानी की कमी रही, तो भाजपा विधायक और पार्टी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने परियोजना को रद्द करने के लिए एमवीए सरकार पर कटाक्ष किया.

शेलार ने कहा कि समुद्री जल को विलवणीकरण करने से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, साथ ही यह बहुत महंगा भी है. हमने इस ओर ध्यान दिलाया था, लेकिन एमवीए सरकार ने फिर भी इस पर जोर दिया, साथ ही अपने ठेकेदार मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए मामूली मुद्दों का हवाला देते हुए गरगई-पिंजल परियोजना को रद्द कर दिया.

हालांकि, आदित्य ने गरगई पिंजल परियोजना के बजाय विलवणीकरण संयंत्र को फिर से चालू करने के अपने रुख पर कायम रहे. आदित्य ने अपने एक प्रचार कार्यक्रम में कहा कि अगर कोई बांध भी बना ले, तो अगर बारिश नहीं होगी तो पानी कहां से लाएंगे? हमें बारिश पर निर्भरता से हटकर दूसरे स्रोतों पर निर्भर होने की जरूरत है.

सड़क कांक्रीटीकरण: 2022 में सरकार बनाने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने मुंबई की 397 किलोमीटर सड़कों को गड्ढों से मुक्त करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत से कंक्रीटीकरण की घोषणा की. हालांकि, शिवसेना-यूबीटी के आदित्य ठाकरे ने इस परियोजना का खुलकर विरोध किया. उन्होंने इसे घोटाला करार दिया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इस परियोजना का मूल्यांकन कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर किया गया. उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इस परियोजना को रद्द करने का आग्रह किया था.

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