चंडीगढ़: हरियाणा में पहले जहां बिजली की उपलब्धता केवल 343 मेगावाट थी तो वहीं आज 13 हजार 106.58 मेगावाट तक हो गई है. राज्य में पिछले 8 वर्षों में हरियाणा बिजली उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बना है. जब मई-जून के महीनों में बिजली की सर्वाधिक आवश्यकता होती है (पीक आवर्स), तो उस समय बिजली की मांग 12768 मेगावाट तक पहुंच गई थी. उस लक्ष्य को भी पूरा किया गया.
पूरे उत्तरी भारत में जब बिजली का संकट गहरा गया था लेकिन हरियाणा में बिजली की उपलब्धता आशा के अनुरूप रही. बिजली निगमों व हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (Haryana Electricity Regulatory Commission) (एचईआरसी) द्वारा किए गए बिजली सुधारों की बदौलत यह संभव हो सका. तत्कालीन सरकारों के समक्ष जनता को सड़़क, बिजली, पानी जैसे बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन 1970 में गांव-गांव में बिजली पहुंचाई गई. बिजली सुधारों के क्षेत्र में तो हरियाणा ने इन 8 वर्षों में एक ऊंची छलांग लगाई है. प्रदेश न केवल बिजली की उपलब्धता के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है बल्कि बिजली वितरण की चारों कंपनियां पहली बार मुनाफे में आई हैं.
1999 में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (Haryana Electricity Broadcasting Corporation) से दो अलग कंपनियां बनाई गई जो केवल बिजली वितरण का कार्य करती हैं. उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन), यानी यूएचबीवीएन के अंतर्गत अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक और झज्जर सहित दस बिजली सर्कल हैं, इन दस सर्कलों में 32 डिविजन हैं और 128 सब डिविजिन हैं, इसी प्रकार, डीएचबीवीएन के अंतर्गत हिसार, फतेहाबाद, जींद, नारनौल, रेवाड़ी, भिवानी, गुरुग्राम-1, गुरूग्राम-2, फरीदाबाद, पलवल और सिरसा सहित 11 सर्कल, 30 डिविजन और 129 सब डिविजन हैं.
हरियाणा बिजली उत्पादन निगम (Haryana Power Generation Corporation) कुल 2582.40 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है, जिसमें से पानीपत थर्मल प्लांट से 710 मेगावाट, राजीव गांधी थर्मल प्लांट खेदड़ से 1200 मेगावाट, दीनबंधु छोटूराम थर्मल प्लांट, यमुनानगर से 600 मेगावाट, वेस्टर्न यमुना कैनाल से 62.4 मेगावाट, हाइड्रो तथा पानीपत पावर प्रोजेक्ट से 10 मेगावाट सोलर बिजली उत्पादन होता है.
आज बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढकर 73 लाख 82 हजार 836 हो गई है. राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए एनसीआर से बाहर यमुनानगर में 900 मेगवाट एक और पावर प्लांट लगाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई है. जल्द ही इसके स्थल चयन और डीपीआर को मंजूरी मिल जाएगी.
अब इस समय प्रदेश के 5681 अर्थात 84 प्रतिशत गांवों को 24 घंटे बिजली दी जा रही है, जबकि अक्तूबर,2014 में केवल मात्र 538 गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा रही थी. अक्तूबर, 2014 में ग्रामीण क्षेत्र से बिजली बिलों की रिकवरी 50 प्रतिशत से भी कम थी जो अब बढ़कर 90 प्रतिशत से अधिक हो गई है. इस प्रकार आज के समय में हरियाणा बिजली उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बना है बल्कि बिजली से चलने वाले उद्योग धंधों और अन्य आधारभूत सुविधाओं में भी देश में शीर्ष स्थान पर है.
ये भी पढ़ें- हरियाणा में बिजली की कोई समस्या नहीं, जल्द शुरू होगा खेदड़ प्लांट- रंजीत चौटाला