Monday Motivation : जो कार्य इच्छा पूर्ति के निमित्त प्रयास पूर्वक, अहंकार भाव से किया जाता है वह ...
जब मनुष्य नियत कर्तव्य को करणीय मान कर करता है और समस्त भौतिक संगति तथा फल की आसक्ति को त्याग देता है तो उसका त्याग सात्विक कहलाता है. नि:संदेह किसी भी देहधारी प्राणी के लिए समस्त कर्मों का परित्याग कर पाना असम्भव है, लेकिन जो कर्म फल का परित्याग करता है, वह वास्तव में त्यागी है. जो कर्म नियमित है और जो आसक्ति, राग व द्वेष से रहित कर्मफल की चाह के बिना किया जाता है, वह सात्विक कहलाता है. कर्म का स्थान अर्थात ये शरीर, कर्ता, विभिन्न इन्द्रियां, अनेक प्रकार की चेष्टाएं तथा परमात्मा-ये पांच कर्म के कारण हैं. Geeta Saar . Todays Motivational Quotes .