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शहीदों के परिजनों से आवास छीन रही है सरकार, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

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Published : Aug 25, 2019, 12:45 PM IST

शहीद व दिव्यांग सैनिकों के परिवार को 1968 में सदन आवास दिया गया था. अब परिजनों को वो आवास खाली करने का नोटिस दिया गया है.

घर छीने जाने के डर से परेशान शहीद परिवार etv bharat

नई दिल्ली: पश्चिमी दिल्ली के नारायणा इलाके में शहीद व दिव्यांग सैनिकों के परिवार को 1968 में सैनिक सदन आवास दिया गया था. जिसे अब राज्य सैनिक बोर्ड ने खाली करने के लिए बिना आधिकारिक हस्ताक्षर और स्टाम्प के नोटिस जारी किया गया है. जिसके बाद से शहीद सैनिकों के परिवार में निराशा और मायूसी फैली हुई है और लोग सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.

घर छीने जाने के डर से परेशान शहीद परिवार

इतिहास को संजोये सैनिक सदन आवास
सैनिक सदन आवास अपने आप में शहीद सैनिकों के 50 साल के इतिहास को संजोये हुए हैं. इस सैनिक सदन में शहीद व दिव्यांग सैनिकों के 25 परिवार पिछले 51 साल से रह रहे हैं. हर परिवार की अपनी एक दिल को छू लेने वाली कहानी है. जिसमें किसी ने युद्ध मे अपना पिता खोया तो कोई शारीरिक रूप से दिव्यांग हो गया. वीर सैनिकों की शहादत के चलते साल1968 में लोगो ने दान की हुई जमीन पर सरकार के बनाए सैनिक सदन को शहीद सैनिकों के परिवारों और दिव्यांग सैनिको को अलॉट किया गया था. तभी से ये परिवार इसमें रह रहे हैं.

आशियाना छीने जाने का सता रहा डर
ऐसे में राज्य सैनिक बोर्ड अचानक इन परिवारों को सैनिक सदन आवास खाली करने का नोटिस लगा दिया गया और अब राज्य सैनिक बोर्ड पुलिस और प्रशासन के बल पर आवास खाली कराने की कोशिश कर रहा है. जिससे सैनिक सदन आवास में रहने वाले शहीद सैनिकों के परिवार वालों को अपना आशियाना छीने जाने का डर सता रहा है. ऐसे में सैनिक सदन आवास में रहने वाला परिवार अब सवाल उठा रहे हैं कि शहीद सैनिकों के परिवार वालों को दिया गया संम्मान आखिर क्यों छीना जा रहा है. ये सभी परिवार अब न्याय की गुहार लगा रहे है.

पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे विधायक विजेंद्र गोयल


राज्य सैनिक बोर्ड पर उठे सवाल
इस मुसीबत की घड़ी में पीड़ित परिवार शासन-प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. जिसके चलते आम आदमी पार्टी से क्षेत्रीय विधायक विजेंद्र गोयल भी इन पीड़ित परिवारों से मिलने पहुचें. विजेंद्र गोयल ने राज्य सैनिक बोर्ड की कारगुजारी पर सवाल उठाया. वहीं पीड़ितों को आश्वाशन दिया कि दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात करेगी. ईटीवी भारत ने इस मामले में राज्य सैनिक बोर्ड से संपर्क साधा तो अधिकारीयों ने कैमरे पर बोलने से साफ मना कर दिया. हालांकि नाम न बताये जाने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया की सैनिक सदन आवास एक्स सर्विस मैन को सिर्फ पांच सालों के लिए दिया गया था न कि उनके परिवार को. ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2013 में ऐसे घरों को खाली कराने का आदेश भी दिया था.

नई दिल्ली: पश्चिमी दिल्ली के नारायणा इलाके में शहीद व दिव्यांग सैनिकों के परिवार को 1968 में सैनिक सदन आवास दिया गया था. जिसे अब राज्य सैनिक बोर्ड ने खाली करने के लिए बिना आधिकारिक हस्ताक्षर और स्टाम्प के नोटिस जारी किया गया है. जिसके बाद से शहीद सैनिकों के परिवार में निराशा और मायूसी फैली हुई है और लोग सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.

घर छीने जाने के डर से परेशान शहीद परिवार

इतिहास को संजोये सैनिक सदन आवास
सैनिक सदन आवास अपने आप में शहीद सैनिकों के 50 साल के इतिहास को संजोये हुए हैं. इस सैनिक सदन में शहीद व दिव्यांग सैनिकों के 25 परिवार पिछले 51 साल से रह रहे हैं. हर परिवार की अपनी एक दिल को छू लेने वाली कहानी है. जिसमें किसी ने युद्ध मे अपना पिता खोया तो कोई शारीरिक रूप से दिव्यांग हो गया. वीर सैनिकों की शहादत के चलते साल1968 में लोगो ने दान की हुई जमीन पर सरकार के बनाए सैनिक सदन को शहीद सैनिकों के परिवारों और दिव्यांग सैनिको को अलॉट किया गया था. तभी से ये परिवार इसमें रह रहे हैं.

आशियाना छीने जाने का सता रहा डर
ऐसे में राज्य सैनिक बोर्ड अचानक इन परिवारों को सैनिक सदन आवास खाली करने का नोटिस लगा दिया गया और अब राज्य सैनिक बोर्ड पुलिस और प्रशासन के बल पर आवास खाली कराने की कोशिश कर रहा है. जिससे सैनिक सदन आवास में रहने वाले शहीद सैनिकों के परिवार वालों को अपना आशियाना छीने जाने का डर सता रहा है. ऐसे में सैनिक सदन आवास में रहने वाला परिवार अब सवाल उठा रहे हैं कि शहीद सैनिकों के परिवार वालों को दिया गया संम्मान आखिर क्यों छीना जा रहा है. ये सभी परिवार अब न्याय की गुहार लगा रहे है.

पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे विधायक विजेंद्र गोयल


राज्य सैनिक बोर्ड पर उठे सवाल
इस मुसीबत की घड़ी में पीड़ित परिवार शासन-प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. जिसके चलते आम आदमी पार्टी से क्षेत्रीय विधायक विजेंद्र गोयल भी इन पीड़ित परिवारों से मिलने पहुचें. विजेंद्र गोयल ने राज्य सैनिक बोर्ड की कारगुजारी पर सवाल उठाया. वहीं पीड़ितों को आश्वाशन दिया कि दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात करेगी. ईटीवी भारत ने इस मामले में राज्य सैनिक बोर्ड से संपर्क साधा तो अधिकारीयों ने कैमरे पर बोलने से साफ मना कर दिया. हालांकि नाम न बताये जाने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया की सैनिक सदन आवास एक्स सर्विस मैन को सिर्फ पांच सालों के लिए दिया गया था न कि उनके परिवार को. ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2013 में ऐसे घरों को खाली कराने का आदेश भी दिया था.

Intro:लोकेशन--दिल्ली/ नारायणा  
स्लग--सैनिक सदन आवास
रिपोर्ट-ओ पी शुक्ला

पश्चिमी दिल्ली:-पश्चिमी दिल्ली के नराणया इलाके में शाहिद व दिव्यांग  सैनिको के परिवार को 1968 में सैनिक सदन आवास दिया गया था जिसे अब राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा खाली कराए जाने के लिए बिना आधिकारिक हस्ताक्षर और बिना  स्टाम्प के नोटिस जारी किया गया है जिसके बाद से शहीद सैनिको के परिवार में निराशा और मायूसी फैली हुई है और लोग सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे  हैBody:पश्चिमी दिल्ली नारायणा  इलाके में स्थित सैनिक सदन आवास अपने मे शहीद  सैनिको का लगभाग 50 साल का इतिहास संजोये हुए है ! इस सैनिक सदन में शहीद व दिव्यांग सैनिको के 25 परिवार पिछले 51 साल से रह रहे है ! प्रत्येक परिवार की अपनी एक दिल को छू लेने वाली  कहानी है !जिसमे किसी ने युद्ध मे अपना पिता खोया तो कोई शारीरिक रूप से दिव्यांग हो गया ! वीर शहीद सैनिको की शहादत के चलते 1968 में लोगो द्वारा दान की हुई जमीन पर सरकार द्वारा  सैनिक सदन बनाकर शहीद सैनिको के परिवारों और दिव्यांग सैनिको को अलॉट  किया गया था  ! तभी से ये परिवार इस सैनिक सदन में रह रहा है ! ऐसे में राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा अचानक इन परिवारों को सैनिक सदन आवास खाली करने का नोटिस लगा दिया गया ! और अब राज्य सैनिक बोर्ड  द्वारा पुलिस और प्रशासन  के बल पर सैनिक सदन आवास  खाली कराने की कोशिश की जा रही है ! जिससे सैनिक सदन आवास  में रहने वाले सहीद सैनिको के परिवार वालो को अपना आशियाना छीन जाने का डर सता रहा है ! ऐसे में सैनिक सदन आवास में रहे वाले परिवार अब  सवाल उठा रहे है  कि शहीद सैनिको के  परिवार  वालो को दिया गया संम्मान आखिर क्यों छीना  जा रहा है और अब ये सभी परिवार न्याय की गुहार लगा रहे है

बाईट--के एल तनेजा  (निवसी सैनिक सदन सिर में रुमाल )

बाईट-- राम कुमार टण्डन(निवसी वाइट शर्ट सैनिक सदन)

बाईट--अल्बर्ट (निवसी सैनिक सदन व्हाइट टी शर्ट )


बाईट--निवासी ,सैनिक सदन , चेक शर्ट 

बाईट--अनुपमा अरोड़ा (निवसी सैनिक सदन)


इस मुसीबत की घड़ी में पीड़ित परिवार शासन  प्रशासन  और जन प्रतिनिधियों  के पास भी मदद की गुहार लगा रहा है जिसके चलते आम आदमी पार्टी से क्षेत्रीय  विधयाक  भी इन पीड़ित परिवारों से मिलने पहुचे और राज्य सैनिक बोर्ड की कारगुजारी पर सवाल उठाया  वही पीड़ितों को आश्वाशन दिया कि दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर  दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात भी करेगी

बाईट --विजेंद्र गोयल , आप विधायक , नारायणा , पीली  शर्ट Conclusion:वहीँ  जब हमारी टीम ने इस मामले में  राज्य सैनिक बोर्ड से संपर्क साधा तो अधिकारीयों ने कैमरे पर बोलने से साफ़ मना कर दिया हालांकि  नाम न बताये जाने  की शर्त  पर एक अधिकारी ने बतया की सैनिक सदन आवास एक्स सर्विस मैन को सिर्फ पांच सालों के लिए दिया गया था ! न की उनके परिवार को , ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2013 में ऐसे घरो को खाली कराने का आदेश भी दिया था !  वहीँ अब सवाल यह उठता है की अगर इन फ्लैटों को महज पांच साल के लिए एक्स सर्विस मैन को दिया गया था तो भला पांच साल बाद ही इन्हे खाली क्यों नहीं कराया गया ! वहीँ अब  51 सालों बाद कैसे प्रशासन की  नींद टूटी ? और इन घरों में रहने वाले लोग अब कहाँ जाएँ ? इन्ही सवालों के साथ अब सैनिक सदन आवास में रहने वाले शहीद सैनिको के परिवार व दिव्यांग सैनिक राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा जबरन आवास खाली कराए जाने की कोशिश से चिंतित है ! और  पीड़ित परिवार सरकार व राज्य सैनिक बोर्ड से न्याय की गुहार लगा रहे है !


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