नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली-NCR में खराब हो रही आबोहवा को देखते हुए डीजल जनरेटर चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उद्यमियों का कहना है कि कोविड काल में इंडस्ट्री बंद होने के बाद अभी उभर नहीं पाई और उद्यमी अब सरकार की दूसरी मार नहीं झेल पाएंगे. गौतमबुद्ध नगर में 20 हजार उद्योग हैं. अगर डीजल जनरेटर बंद होते हैं तो सरकार को राजस्व, रोजगार और उत्पादन का नुकसान होगा. 15 अक्टूबर से ग्रेप ( ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू कर दिया गया है.
नोएडा MSME अध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उद्यमी कोरोना काल की मार से अभी उभर भी नहीं पाया है. वहीं सरकार उन्हें दूसरी मार झेलने को मजबूर कर रही है. 15 अक्टूबर से अगर डीजल जनरेटर बंद हो जाएंगे तो इससे राजस्व, रोजगार और उत्पादन का नुकसान होगा. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार 24 घंटे बिजली मुहैया कराए तो डीजल जनरेटर चलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि अगर यह नियम लागू होता है तो सरकार को ही नुकसान होगा और 20 हजार उद्योग प्रभावित होंगे.
EPCA द्वारा जारी किए आदेश इस प्रकार हैं:-
1. दिल्ली-NCR में डीजल जनरेटर चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा, इमरजेंसी की स्थिति में चलाए जा सकते हैं.
2. कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट, निर्माणाधीन हाईवे और मेट्रो के कामों के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तय मानकों के अनुरूप काम करना होगा.
3. रेड और ऑरेंज जोन में संचालित उद्योग को UPPCB को स्व:नियमन (सेल्फ डिक्लेरेशन)देना होगा कि मानकों के मुताबिक काम किए जाएंगे.
4. संबंधित विभाग को मुख्य मार्गों की मेकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन से साफ-सफाई, पानी का छिड़काव करना होगा.
5. गार्बेज डंपिंग, अवैध ईंधन, उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक निर्देश किए.
6. निर्माणाधीन साइट और हॉट स्पॉट्स पर एंटी स्मॉग गन का उपयोग अनिवार्य है.
7. कूड़ा इकट्ठा और उसमें आग लगाने की समस्या को देखते हुए गाइडलाइंस जारी की गईं और सुनिश्चित करने के लिए UPPCB को निर्देश जारी किए गए.