नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संरक्षण में चलने वाली हिंदू युवा वाहिनी के गाजियाबाद जिले के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष आयुष त्यागी को चुने जाने को लेकर पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने बहिष्कार किया है. इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने हिंदू युवा वाहिनी के पदाधिकारियों से खास बातचीत की.
नवनियुक्त जिलाध्यक्ष का हुआ बहिष्कार ईटीवी भारत को हिंदू युवा वाहिनी के गाजियाबाद जिला इकाई मुरादनगर मंडल के पूर्व नगर प्रभारी राजेंद्र चौधरी ने बताया कि हिंदू युवा वाहिनी गाजियाबाद के जिलाध्यक्ष चुने जाने को लेकर इसलिए नाराजगी जताई जा रही है. 11 अक्टूबर को गाजियाबाद जिले कि हिंदू युवा वाहिनी के संगठन को महामंत्री द्वारा निष्कासित किया गया था, क्योंकि जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी के काम को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में काफी नाराजगी थी.
पदाधिकारियों ने किया बहिष्कारइसके साथी हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व पदाधिकारी राजेंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी अब वर्तमान में यह इच्छा थी कि गाजियाबाद जिलाध्यक्ष पद पर एक कर्मठ और अच्छा कार्यकर्ता जिला इकाई में से ही चुना जाएगा, जोकि मुख्यमंत्री योगी के निर्देशों और गाजियाबाद जिले के सभी कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेगा, लेकिन जब हाल ही में गाजियाबाद जिलाध्यक्ष पद पर आयुष त्यागी का नाम आया तो वह सोच में पड़ गए कि यह कौन है, क्योंकि इतने बरसों से हिंदू युवा वाहिनी में काम करने के दौरान हमने आयुष त्यागी को कभी भी किसी भी कार्यक्रम में नहीं देखा और ना ही यह है हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता हैं. इसीलिए जिलाध्यक्ष के चुनाव को लेकर सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी नाराज हैं. शीर्ष नेतृत्व के द्वारा जो जिलाध्यक्ष बनाया गया है, यह बिल्कुल गलत है, इसीलिए हम इसका बहिष्कार और विरोध करते हैं.
बिना किसी सलाह के चुने गए जिलाध्यक्षहिंदू युवा वाहिनी मुरादनगर के पूर्व नगर अध्यक्ष प्रशांत गुप्ता ने बताया कि वह चाहते हैं कि हिंदू युवा वाहिनी का जो कोई भी जिलाध्यक्ष चुना जाए, वह संगठन का कार्यकर्ता हो उनके बीच का कोई सदस्य हो, जिसको हिंदू वाहिनी के उद्देश्य पता हो और जिसने हिंदुत्व के लिए काम किया हो लेकिन अब जो गाजियाबाद के नए जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं.
साथ ही कहा कि इनको शहर में कोई नहीं जानता, हमने इनको किसी प्रोग्राम में नहीं देखा, इनको एकदम अचानक से पैराशूट से लांच कर दिए गया है. कम से कम गाजियाबाद पदाधिकारियों और सभी कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर जिलाध्यक्ष चुना जाना चाहिए था, लेकिन अब जो हिंदुत्व के बारे में कुछ नहीं जानता उसको जिलाध्यक्ष बना दिया गया है.
व्यक्तिगत संबंध से हुआ चयन
इसके साथ ही प्रशांत गुप्ता कहना है कि इनका चयन शीर्ष नेतृत्व से हुआ है, क्योंकि इनके वहां पर व्यक्तिगत संबंध है, उसके आधार पर ही इनको गाजियाबाद का जिलाध्यक्ष बना दिया गया है.