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'नहीं होती MSP पर खरीद', किसान चाहते हैं कानून - farmers protest in ghaziabad news

क्या प्राइवेट कंपनियां और व्यापारी किसानों की फसल MSP पर खरीदते हैं? इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों और किसान नेताओं से बातचीत की.

Farmers want law on MSP due to farmers protest in ghaziabad
MSP पर कानून
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Published : Feb 12, 2021, 3:46 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: संसद में पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा देते हुए कहा था MSP था, MSP है और MSP रहेगा". MSP के क्या कुछ मौजूदा हालात हैं, क्या किसानों की फसलें तय MSP पर बिक पाती है? कितने प्रतिशत खरीद MSP पर होती है? क्या प्राइवेट कंपनियों और व्यापारी किसानों की फसल MSP पर खरीदते हैं? इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजीपुर बार्डर पर आंदोलनकारी किसानों और किसान नेताओं से बातचीत की.

किसान चाहते हैं MSP पर कानून
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले किसान अरविंद गेहूं की खेती करते हैं. अरविंद बताते हैं कि हमारे यहां 1500 से 1600 रुपये प्रति कुंतल गेंहू बिकता है, लेकिन गेहूं की एमएसपी 1975 रुपये प्रति कुंतल है. एमएसपी पर खरीद न होने से करीब 500 रुपये प्रीति कुंतल का नुकसान उठाना पड़ता है. 10 बीघे में करीब 35 कुंतल गेहूं होता है. ऐसे में हर फसल पर करीब 15 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. गेहूं की खरीद अगर एमएसपी पर हो तो किसान को नुकसान नहीं होगा.

भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर जादौन ने बताया कि प्रदेश में एमएसपी के हालात बहुत खराब हैं. लगभग सभी फसले ऐसी हैं, जिनकी एमएसपी पर खरीद नहीं होती है. करीब 6 प्रतिशत फसल ही एमएसपी पर बिक पाता है. एमएसपी सरकार द्वारा तय किया गया है.

अगर किसान की फसल एमएसपी पर बिकती तो आज किसान के हालात खराब नहीं होती. एमएसपी पर खरीद होने के चलते ही आज देश का किसान मांग कर रहा है कि एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए. यदि कोई भी किसान की फसल को एमएसपी से कम पर खरीदे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो.


'6 प्रतिशत ही एमएसपी पर खरीदा जा रहा है'

भारतीय किसान यूनियन के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत ने कहा एमएसपी तो है, लेकिन जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल पाएगा. किसान के उत्पादन का कुल 6 प्रतिशत ही एमएसपी पर खरीदा जा रहा है. बहुत फसलें ऐसी हैं, जो एमएसपी पर नहीं बिक पाती हैं.

इस साल धान एमएसपी के आधे रेट पर बिका है. एमएसपी पर कानून बनता है, तो किसानों की फसलों की एमएसपी पर खरीद होगी और इसका सीधा फायदा किसान को मिलेगा. साथ ही किसान के आर्थिक तौर पर हालात सुधरेंगे. किसान मजबूत होगा, तो देश मजबूत होगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: संसद में पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा देते हुए कहा था MSP था, MSP है और MSP रहेगा". MSP के क्या कुछ मौजूदा हालात हैं, क्या किसानों की फसलें तय MSP पर बिक पाती है? कितने प्रतिशत खरीद MSP पर होती है? क्या प्राइवेट कंपनियों और व्यापारी किसानों की फसल MSP पर खरीदते हैं? इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजीपुर बार्डर पर आंदोलनकारी किसानों और किसान नेताओं से बातचीत की.

किसान चाहते हैं MSP पर कानून
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले किसान अरविंद गेहूं की खेती करते हैं. अरविंद बताते हैं कि हमारे यहां 1500 से 1600 रुपये प्रति कुंतल गेंहू बिकता है, लेकिन गेहूं की एमएसपी 1975 रुपये प्रति कुंतल है. एमएसपी पर खरीद न होने से करीब 500 रुपये प्रीति कुंतल का नुकसान उठाना पड़ता है. 10 बीघे में करीब 35 कुंतल गेहूं होता है. ऐसे में हर फसल पर करीब 15 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. गेहूं की खरीद अगर एमएसपी पर हो तो किसान को नुकसान नहीं होगा.

भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर जादौन ने बताया कि प्रदेश में एमएसपी के हालात बहुत खराब हैं. लगभग सभी फसले ऐसी हैं, जिनकी एमएसपी पर खरीद नहीं होती है. करीब 6 प्रतिशत फसल ही एमएसपी पर बिक पाता है. एमएसपी सरकार द्वारा तय किया गया है.

अगर किसान की फसल एमएसपी पर बिकती तो आज किसान के हालात खराब नहीं होती. एमएसपी पर खरीद होने के चलते ही आज देश का किसान मांग कर रहा है कि एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए. यदि कोई भी किसान की फसल को एमएसपी से कम पर खरीदे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो.


'6 प्रतिशत ही एमएसपी पर खरीदा जा रहा है'

भारतीय किसान यूनियन के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत ने कहा एमएसपी तो है, लेकिन जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल पाएगा. किसान के उत्पादन का कुल 6 प्रतिशत ही एमएसपी पर खरीदा जा रहा है. बहुत फसलें ऐसी हैं, जो एमएसपी पर नहीं बिक पाती हैं.

इस साल धान एमएसपी के आधे रेट पर बिका है. एमएसपी पर कानून बनता है, तो किसानों की फसलों की एमएसपी पर खरीद होगी और इसका सीधा फायदा किसान को मिलेगा. साथ ही किसान के आर्थिक तौर पर हालात सुधरेंगे. किसान मजबूत होगा, तो देश मजबूत होगा.

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