नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोविड-19 वैश्विक महामारी के लगातार बढ़ते कहर के मद्देनजर केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लागू किया था. लॉकडाउन के दौरान सभी स्कूल, कॉलेजेस और शिक्षण संस्थान बंद रहे. ऐसे में स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था की गई.
वहीं दूसरी ओर स्कूलों द्वारा लगातार अभिभावकों से फीस की मांग की जा रही है. जिसको लेकर बुधवार से अभिभावक और पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा भूख हड़ताल की जा रही है. उन्होंने कहा कि डीएफआरसी ने अभिभावकों के साथ सिर्फ खानापूर्ति की है.
गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने जिला शुल्क नियामक समिति (डीएफआरसी) के साथ बैठक की. जिसमें वसुंधरा का सेठ आनंदराम जयपुरिया पब्लिक स्कूल, शास्त्री नगर का सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल, साहिबाबाद का डीएलएफ स्कूल और आधारशिला स्कूल की फीस निर्धारण संबंधित मामलों पर चर्चा की गई.
स्कूल पर लगा 1 लाख का जुर्माना
जिलाधिकारी ने वसुंधरा स्थित सेठ आनंदराम जयपुरिया पब्लिक स्कूल पर डीएफआरसी के आदेशों की अवहेलना करने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा जिलाधिकारी ने साहिबाबाद के डीएलएफ स्कूल के विरुद्ध आरसी जारी कर जुर्माना वसूली के भी आदेश दिए हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक को स्कूल का अनापत्ति प्रमाण पत्र निरस्त करने की कार्यवाई किये जाने के भी निर्देश दिए गए हैं.
ज्ञापन सौपकर रखी 5 मांग
सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल और आधारशिला स्कूल ने डीएफआरसी द्वारा मांगे गए कागजात समिति के समक्ष जमा कर दिए हैं. जिसको लेकर जिलाधिकारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को कागजात का परीक्षण कर तीन दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौपा था, जिसमें 5 सूत्रीय मांग रखी गई थी. जिलाधिकारी ने ज्ञापन को शासन को कार्रवाई के लिए भेजा है. जिलाधिकारी ने शासन से यही अनुरोध किया कि जो अभिभावक कोरोना काल में अपनी आय प्रभावित होने का दावा कर रहे हैं. उनसे उनके आय प्रमाण पत्र या घटी हुई आय का प्रमाण पत्र लेकर उनके बच्चों की फीस में छूट देने या कमी करने पर विचार किया जाए.
जिला प्रशासन द्वारा स्कूलों पर की गई कार्रवाई को लेकर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा की पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा बुधवार से भूख हड़ताल की जा रही है. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने डीएफआरसी की आनन-फानन में बैठक बुलाई.
पेरेंट्स एसोसिएशन की जो मुख्य मांगी थी, उनको दरकिनार करते हुए कई स्कूलों पर जुर्माना लगाया है. जिस स्कूल का हर साल का टर्नओवर करोड़ों रुपये का है, उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाना एक भद्दा मजाक है.