प्रयागराज: बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के 26 दिन बाद प्रयागराज पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली. पुलिस ने अतीक अहमद के चकिया स्थित कार्यालय से हथियारों का जखीरा और भारी मात्रा में कैश बरामद किया था. वैसे इस दफ्तर को भाजपा सरकार ने ध्वस्त करा दिया था. लेकिन, उसका कुछ हिस्सा बचा हुआ था. जिसमें अतीक के गुर्गे अराजक गतिविधियां चला रहे थे.
चकिया स्थित यह कार्यालय माफिया अतीक का मुख्यालय कहा जाता था. तीन मंजिला इस दफ्तर में बैठकर अतीक अपना दरबार सजाता था. इसकी पहली मंजिल पर एक कमरे में अतीक के लिए महफिल भी सजती थी, जिसमें मुजरा होता था. उस कमरे में अतीक के बैठने के लिए एक खास गद्दी भी बनवाई गई थी. कार्यालय से मंगलवार के हथियार और रुपए मिलने के बाद हुई जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं.
इसी कार्यालय से हुक्म जारी करता था माफिया अतीकः जांच में पता चला है कि अतीक यहां पर बैठकर जनता की फरियाद भी सुनता था. साथी ही यहां से वह हुक्म भी देता था. अतीक अहमद को न सुनना बिल्कुल पसंद नहीं था. अपने आदेश की नाफरमानी करने वाले लोगों को सबक भी सिखाता था. अतीक अहमद के दफ्तर में ऐशो आराम की सभी चीजें मौजूद थीं. पहली मंजिल पर अतीक के कार्यालय में एक कमरे में मुजरा भी होता था. यहां पर तीन तरफ से बैठने के लिए गद्दे लगाए गए थे.
हुक्का पार्टी भी होती थीः इस कमरे में हुक्का पार्टी का दौर भी चलता था. सूत्र बताते हैं कि यहां पर विदेशी लड़कियां भी बुलाई जाती थीं, जिनका यहां पर डांस होता था. अतीक अहमद और उसका भाई पूर्व विधायक अशरफ मुजरा सुनने के भी शौकीन थे. जानकार बताते हैं कि यहां पर मुजरे की महफिलें भी सजा करती थीं. इसके साथ ही इस आलीशान कार्यालय में एक टॉर्चर रूम भी हुआ करता था.
अतीक नहीं देता था व्यापार करः माफिया अतीक अहमद के दफ्तर की पहली मंजिल पर सैकड़ों फाइलें आज भी धूल फांक रही हैं. इन्हीं फाइलों में स्क्रैप का कारोबार करने वाले अतीक के व्यापार कर न देने की फाइलें भी मौजूद हैंं. व्यापार कर विभाग ने 2002 में इस फाइल में धूमनगंज थाना प्रभारी को कार्रवाई के लिए लिखा था. माफिया अतीक अहमद का रेलवे के स्क्रैप के कारोबार पर एकछत्र राज था. उसके रहते कोई दूसरा व्यक्ति स्क्रैप नहीं खरीद सकता था. दफ्तर में चुनाव संबंधी कई कागजात मिले हैं. इसके अलावा अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ दर्ज मुकदमों की भी कई फाइलें इस दफ्तर में धूल फांक रही हैं.
बनाया गया था टॉर्चर रूमः अतीक के इस दफ्तर में एक टॉर्चर रूम भी था. सूत्रों की मानें तो इसी टॉर्चर रूम में उमेश पाल को 2006 में अपहृत कर लाया गया था. इसमें कई दिन तक उमेश पाल को रखकर राजू पाल हत्याकांड में गवाही न देने और केस से पीछे हटने के लिए डराया धमकाया गया था. अतीक अहमद के कार्यालय के एक हिस्से में दो मजार भी मौजूद हैं. यह मजार अतीक अहमद के रिश्तेदारों की बताई जा रही हैं.
स्वीकृत मानचित्र के विपरीत बनाया गया था कार्यालयः अतीक अहमद के इस आलीशान कार्यालय के एक हिस्से को स्वीकृत मानचित्र के विपरीत बनाए जाने को लेकर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त कर दिया था. यह ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ऑपरेशन माफिया के तहत की गई थी. प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने माफिया अतीक अहमद के दफ्तर के केवल अवैध हिस्से को ही बुलडोजर से ध्वस्त किया था. जिससे अतीक का यह कार्यालय खंडहर नुमा दिखाई देता है.
उमेश पाल की हत्या के यहीं छुपाए थे गुर्गो ने कैश और पिस्टलः उमेश पाल और दो सरकारी गनर की हत्या के बाद अतीक अहमद के गुर्गों ने यहीं पर रुपए और असलहे छिपाए थे. अतीक के इसी कार्यालय से ही 74 लाख 62 हजार की बरामदगी हुई है. इसके अलावा 9 असलहे, 112 कारतूस और एक मैगजीन बरामद हुई है.
ये भी पढ़ेंः माफिया अतीक अहमद ने उमेश पाल को क्यों मारा, कहीं वो चार केस तो वजह नहीं