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टैंकों और नालों की सफाई के दौरान नहीं जाएगी मजदूरों की जान! हैदराबाद के छात्रों ने बनाया खास उपकरण - SEWAGE MONITORING SYSTEM

हैदराबाद के छात्रों ने सीवेज में जहरीली गैसों की पहचान करने वाला सस्ता उपकरण तैयार किया है. सफाई कर्मियों की जान बचाने में कारगर होगा.

Sewage Monitoring System
छात्रों द्वारा तैयार उपकरण. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 24, 2025, 12:50 PM IST

हैदराबाद: हैदराबाद के छात्रों ने सीवेज में जहरीली गैसों का पता लगाने के लिए एक कम लागत वाला उपकरण विकसित किया है. यह सफाई कर्मियों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है. पारंपरिक गैस डिटेक्टरों की तुलना में यह उपकरण किफायती और प्रभावी है, जिससे गहरी नालियों और सीवर लाइनों में मौजूद हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और अन्य विषाक्त गैसों की पहचान आसानी से की जा सकेगी.

सफाई मजदूरों को होगी सहूलियत: उस्मानिया यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों की एक टीम ने एक किफायती उपकरण विकसित किया है. सीवेज सिस्टम में हानिकारक गैसों का पता लगा सकता है, भले ही मैनहोल भरे हों. 'सीवेज मॉनिटरिंग सिस्टम' नामक इस उपकरण का उद्देश्य सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा करना है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर मैनहोल और टैंक साफ करते हैं. बता दें कि टैंक सफाई के दौरान कई बार मजदूरों की मौत तक हो जाती है.

अधिकारियों को करता है सचेतः सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर के. शशिकांत के मार्गदर्शन में छात्रों ने डिवाइस में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक को समायोजित किया. यह दूर से सीवेज की स्थिति की निगरानी करने में सक्षम हो सका. इस सिस्टम में मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी खतरनाक गैसों का पता लगाने के लिए सेंसर का उपयोग किया गया है. यदि मैनहोल ओवरफ्लो होता है या खतरनाक गैसें मौजूद होती हैं, तो यह जीपीएस-सक्षम सूचनाओं के माध्यम से जल बोर्ड के अधिकारियों को तुरंत सचेत करता है.

पेटेंट कराने की तैयारीः इस तकनीक को चंडीगढ़ में आयोजित सस्टेनेबल स्मार्ट सिटीज इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शित किया गया. जिसमें इसकी व्यावहारिकता और किफायती के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ. इसका उत्पादन लागत मात्र 2,500 रुपये है. प्रोफेसर शशिकांत ने बताया कि "टीम पेटेंट के लिए आवेदन करने की योजना बना रही है, ताकि भविष्य में स्वच्छता से जुड़ी मौतों को रोकने के लिए इस उपकरण को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सके."

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हैदराबाद: हैदराबाद के छात्रों ने सीवेज में जहरीली गैसों का पता लगाने के लिए एक कम लागत वाला उपकरण विकसित किया है. यह सफाई कर्मियों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है. पारंपरिक गैस डिटेक्टरों की तुलना में यह उपकरण किफायती और प्रभावी है, जिससे गहरी नालियों और सीवर लाइनों में मौजूद हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और अन्य विषाक्त गैसों की पहचान आसानी से की जा सकेगी.

सफाई मजदूरों को होगी सहूलियत: उस्मानिया यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों की एक टीम ने एक किफायती उपकरण विकसित किया है. सीवेज सिस्टम में हानिकारक गैसों का पता लगा सकता है, भले ही मैनहोल भरे हों. 'सीवेज मॉनिटरिंग सिस्टम' नामक इस उपकरण का उद्देश्य सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा करना है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर मैनहोल और टैंक साफ करते हैं. बता दें कि टैंक सफाई के दौरान कई बार मजदूरों की मौत तक हो जाती है.

अधिकारियों को करता है सचेतः सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर के. शशिकांत के मार्गदर्शन में छात्रों ने डिवाइस में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक को समायोजित किया. यह दूर से सीवेज की स्थिति की निगरानी करने में सक्षम हो सका. इस सिस्टम में मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी खतरनाक गैसों का पता लगाने के लिए सेंसर का उपयोग किया गया है. यदि मैनहोल ओवरफ्लो होता है या खतरनाक गैसें मौजूद होती हैं, तो यह जीपीएस-सक्षम सूचनाओं के माध्यम से जल बोर्ड के अधिकारियों को तुरंत सचेत करता है.

पेटेंट कराने की तैयारीः इस तकनीक को चंडीगढ़ में आयोजित सस्टेनेबल स्मार्ट सिटीज इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शित किया गया. जिसमें इसकी व्यावहारिकता और किफायती के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ. इसका उत्पादन लागत मात्र 2,500 रुपये है. प्रोफेसर शशिकांत ने बताया कि "टीम पेटेंट के लिए आवेदन करने की योजना बना रही है, ताकि भविष्य में स्वच्छता से जुड़ी मौतों को रोकने के लिए इस उपकरण को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सके."

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