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बारिश के दिनों में छत्तीसगढ़ के इस नागलोक में जरा बच के

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Published : Jul 7, 2022, 11:04 PM IST

naglok in Chhattisgarh: घने जंगलों और झरनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ सबसे खतरनाक प्रजाति के सांपों के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि दुनिया के सबसे जहरीले सांप यहां पाए जाते हैं. कोरबा और सरगुजा को सांपों का ठिकाना कहा जा सकता है. बारिश के दिनों में सरगुजा में हर हफ्ते एक मौत सांप काटने से होती है. कोरबा में कोबरा नाग अब रिहायशी इलाकों में भी पहुंचने लगे हैं.

snakebite cases increase during rainy days
छत्तीसगढ़ में सर्पदंश के मामले

रायपुर: छत्तीसगढ़ के कोरबा और सरगुजा को नागलोक कहा जा सकता है. बरसात के दिनों में इन दोनों जिलों की स्थिति किसी नागलोक जैसे ही होती है. बताया जा रहा है कि सरगुजा में बारिश के मौसम में हर हफ्ते एक मौत सांप काटने से होती है. कोरबा में साल 2021 में लगभग 1000 लोगों की मौत सांप काटने से हुई हैं. दोनों ही जिलों के स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध है. लेकिन ग्रामीण इलाके के ज्यादातर लोग सांप काटने के बाद झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. (snakebite cases increase during rainy days in Chhattisgarh )

अब संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी वेनम: बात करें कोरबा की तो बरसात के मौसम में शहरी से लेकर उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सर्पदंश के मामले बड़ी तादात में सामने आने लगते हैं. लगातार बढ़ रहे सर्पदंश मामलों के मद्देनजर अब स्वास्थ्य विभाग ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की है. सीएमएचओ डॉ बोडे ने बताया "अब लोगों तक पहुंचने वाली 108 में भी एंटी स्नेक वेनम हमेशा उपलब्ध रहेगा. इसके अलावा जिले के सभी सामुदायिक केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी स्नेक वेनम का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. सांप काट लेने की स्थिति में लोग झाड़-फूंक या बैगा गुनिया के चक्कर में ना पड़े. सीधे स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक से संपर्क करें. इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्राम सचिवों से मदद ले रहे हैं. सरकारी एंबुलेंस में मौजूद कर्मचारी विशेषज्ञों की निगरानी में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम दे सकते हैं." (Korba CMHO Dr BB Bode)

बारिश के मौसम में जमीन पर सोने से पहले पढ़ें ये खबर

दुनिया का सबसे जहरीला सांप कोबरा अब रिहायशी क्षेत्रों में भी: पूरे भारत में बेहद चुनिंदा जगह दुनिया के सबसे जहरीले सांप कोबरा की मौजूदगी है. इसे सांपों का राजा "नागराज भी कहा जाता है. कोरबा जिले के एक निश्चित क्षेत्र में इनकी मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं. लेकिन अब रिहायशी इलाकों से भी रेस्क्यू टीम ने कोबरा का रेस्क्यू किया है. हाल ही में शहर के करीब स्थित पुलिस लाइन से रेस्क्यू टीम को कोबरा सांप मिला है. (cobra snake in korba)

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े, 2021 में रिकॉर्ड बढ़त: बीते 5 साल की तुलनात्मक स्थिति देखने पर कोरबा जिले में सर्पदंश के मामलों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़त आई है. साल 2021 में तो सारे रिकॉर्ड टूट गए. इस दौरान लोगों को सांप के काट लेने के कुल 959 मामले सामने आए हैं. लगभग 50 लोगों की मौत भी हुई है. जबकि 2020 में सांप काटने के कुल 353 केस सामने आए थे. हालांकि हर साल लगभग दर्जन भर लोगों की जान सांप काटने से चली जाती है. कई बार आंकड़े स्वास्थ्य विभाग तक भी नहीं पहुंच पाते. (snakebite cases increased in Korba )

कोरबा में पिछले पांच सांल में सर्पदंश के मामले

साल सर्पदंश के मामले
2017 361
2018445
2019235
2020353
2021959

सरगुजा में हर हफ्ते सांप काटने से होती है मौत: सरगुजा में सर्पदंश के बारे में दावा है कि यहां हफ्ते में एक मौत सांप के काटने से होती है. मौत के कारणों पर नजर डालें तो झाड़फूंक के चक्कर में ही ज्यादातर मौत होती है. लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. देरी हो जाने से जहर पूरे शरीर मे फैल जाता है. और तब एंटी स्नेक वेनम से भी मरीज को बचा पाना संभव नहीं होता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों में कोल्ड चैन और डॉक्टर नहीं होने की वजह से एंटी स्नेक वेनम ना तो वहां स्टोर किया जा सकता है और ना ही इस इंजेक्शन को लगाने के लिये वहां अनुभवी स्टाफ होते हैं. इसलिए सर्प दंश के मामले नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे जाते हैं. जहां डॉक्टर अपनी निगरानी में एंटी स्नेक वेनम का डोज तय करते हैं. (snakebite cases in chhattisgarh)

डीपीएम डॉ. पुष्पेंद्र राम बताते हैं " टोटल 196 सब सेंटर हैं, 7 सीएचसी और 35 पीएचसी हैं. सभी जगह एंटी वेनम उपलब्ध है. जिले में अभी 1586 एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वो जरूरत के अनुसार कैम्प लगाए और 108 और 102 के माध्यम से मरीज की स्थिति के आधार पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल भेजे".

कोरबा में सावधान! यहां घूमती रहती है मौत

सांप काटने से मौत के पीछे अंधविश्वास बड़ी वजह: सर्प दंश के मामले में सरगुजा के स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी ने बताया " सरगुजा में हरियाली अधिक है. यही कारण है की यहां सांप अधिक पाए जाते हैं. यहां हर सप्ताह एक न एक मौत सर्प दंश से होती है. मौतें इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि जिले में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है. धमना यानी की रेड स्नेक हमारे आपके सबके घर में आते हैं. जब भी मैं उसको पकड़ने जाता हूं. एक अफवाह है की धमना पूंछ से मारेगा तो बॉडी गलने लगती है. लोग सूखने लगते हैं. भारत में सबसे ज्यादा जान करैत के काटने से जाती है. भारत में हर साल 60 प्रतिशत मौत करैत के काटने से होती है. करैत के बारे में अफवाह है कि इसकी बॉडी में स्मेल रहती है. मार के पानी में भी फेंक दिए जाए तो पानी भी विषैला हो जायेगा. (surguja snake man Satyam Dwivedi )

अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 22 मौत: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों के मुताबिक सरगुजा में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 316 लोगों सर्पदंश का शिकार हुए. इनमें से 22 लोगों की मौत हुई हैं. सर्प दंश और उससे हुई मौत के ये वो आंकड़े हैं जो अस्पताल तक लाये गये. लेकिन मौत के इससे कई ज्यादा आंकड़े हैं.क्योंकि झाड़फूंक के चक्कर में कई लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. सांपों का रेस्क्यू करने वाले सत्यम का दावा है कि हफ्ते में एक मौत सांप काटने से होती है. क्योंकि सांप काटने के मामले की जानकारी उन तक जरूर पहुंचती है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के कोरबा और सरगुजा को नागलोक कहा जा सकता है. बरसात के दिनों में इन दोनों जिलों की स्थिति किसी नागलोक जैसे ही होती है. बताया जा रहा है कि सरगुजा में बारिश के मौसम में हर हफ्ते एक मौत सांप काटने से होती है. कोरबा में साल 2021 में लगभग 1000 लोगों की मौत सांप काटने से हुई हैं. दोनों ही जिलों के स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध है. लेकिन ग्रामीण इलाके के ज्यादातर लोग सांप काटने के बाद झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. (snakebite cases increase during rainy days in Chhattisgarh )

अब संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी वेनम: बात करें कोरबा की तो बरसात के मौसम में शहरी से लेकर उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सर्पदंश के मामले बड़ी तादात में सामने आने लगते हैं. लगातार बढ़ रहे सर्पदंश मामलों के मद्देनजर अब स्वास्थ्य विभाग ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की है. सीएमएचओ डॉ बोडे ने बताया "अब लोगों तक पहुंचने वाली 108 में भी एंटी स्नेक वेनम हमेशा उपलब्ध रहेगा. इसके अलावा जिले के सभी सामुदायिक केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी स्नेक वेनम का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. सांप काट लेने की स्थिति में लोग झाड़-फूंक या बैगा गुनिया के चक्कर में ना पड़े. सीधे स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक से संपर्क करें. इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्राम सचिवों से मदद ले रहे हैं. सरकारी एंबुलेंस में मौजूद कर्मचारी विशेषज्ञों की निगरानी में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम दे सकते हैं." (Korba CMHO Dr BB Bode)

बारिश के मौसम में जमीन पर सोने से पहले पढ़ें ये खबर

दुनिया का सबसे जहरीला सांप कोबरा अब रिहायशी क्षेत्रों में भी: पूरे भारत में बेहद चुनिंदा जगह दुनिया के सबसे जहरीले सांप कोबरा की मौजूदगी है. इसे सांपों का राजा "नागराज भी कहा जाता है. कोरबा जिले के एक निश्चित क्षेत्र में इनकी मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं. लेकिन अब रिहायशी इलाकों से भी रेस्क्यू टीम ने कोबरा का रेस्क्यू किया है. हाल ही में शहर के करीब स्थित पुलिस लाइन से रेस्क्यू टीम को कोबरा सांप मिला है. (cobra snake in korba)

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े, 2021 में रिकॉर्ड बढ़त: बीते 5 साल की तुलनात्मक स्थिति देखने पर कोरबा जिले में सर्पदंश के मामलों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़त आई है. साल 2021 में तो सारे रिकॉर्ड टूट गए. इस दौरान लोगों को सांप के काट लेने के कुल 959 मामले सामने आए हैं. लगभग 50 लोगों की मौत भी हुई है. जबकि 2020 में सांप काटने के कुल 353 केस सामने आए थे. हालांकि हर साल लगभग दर्जन भर लोगों की जान सांप काटने से चली जाती है. कई बार आंकड़े स्वास्थ्य विभाग तक भी नहीं पहुंच पाते. (snakebite cases increased in Korba )

कोरबा में पिछले पांच सांल में सर्पदंश के मामले

साल सर्पदंश के मामले
2017 361
2018445
2019235
2020353
2021959

सरगुजा में हर हफ्ते सांप काटने से होती है मौत: सरगुजा में सर्पदंश के बारे में दावा है कि यहां हफ्ते में एक मौत सांप के काटने से होती है. मौत के कारणों पर नजर डालें तो झाड़फूंक के चक्कर में ही ज्यादातर मौत होती है. लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. देरी हो जाने से जहर पूरे शरीर मे फैल जाता है. और तब एंटी स्नेक वेनम से भी मरीज को बचा पाना संभव नहीं होता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों में कोल्ड चैन और डॉक्टर नहीं होने की वजह से एंटी स्नेक वेनम ना तो वहां स्टोर किया जा सकता है और ना ही इस इंजेक्शन को लगाने के लिये वहां अनुभवी स्टाफ होते हैं. इसलिए सर्प दंश के मामले नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे जाते हैं. जहां डॉक्टर अपनी निगरानी में एंटी स्नेक वेनम का डोज तय करते हैं. (snakebite cases in chhattisgarh)

डीपीएम डॉ. पुष्पेंद्र राम बताते हैं " टोटल 196 सब सेंटर हैं, 7 सीएचसी और 35 पीएचसी हैं. सभी जगह एंटी वेनम उपलब्ध है. जिले में अभी 1586 एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वो जरूरत के अनुसार कैम्प लगाए और 108 और 102 के माध्यम से मरीज की स्थिति के आधार पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल भेजे".

कोरबा में सावधान! यहां घूमती रहती है मौत

सांप काटने से मौत के पीछे अंधविश्वास बड़ी वजह: सर्प दंश के मामले में सरगुजा के स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी ने बताया " सरगुजा में हरियाली अधिक है. यही कारण है की यहां सांप अधिक पाए जाते हैं. यहां हर सप्ताह एक न एक मौत सर्प दंश से होती है. मौतें इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि जिले में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है. धमना यानी की रेड स्नेक हमारे आपके सबके घर में आते हैं. जब भी मैं उसको पकड़ने जाता हूं. एक अफवाह है की धमना पूंछ से मारेगा तो बॉडी गलने लगती है. लोग सूखने लगते हैं. भारत में सबसे ज्यादा जान करैत के काटने से जाती है. भारत में हर साल 60 प्रतिशत मौत करैत के काटने से होती है. करैत के बारे में अफवाह है कि इसकी बॉडी में स्मेल रहती है. मार के पानी में भी फेंक दिए जाए तो पानी भी विषैला हो जायेगा. (surguja snake man Satyam Dwivedi )

अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 22 मौत: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों के मुताबिक सरगुजा में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 316 लोगों सर्पदंश का शिकार हुए. इनमें से 22 लोगों की मौत हुई हैं. सर्प दंश और उससे हुई मौत के ये वो आंकड़े हैं जो अस्पताल तक लाये गये. लेकिन मौत के इससे कई ज्यादा आंकड़े हैं.क्योंकि झाड़फूंक के चक्कर में कई लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. सांपों का रेस्क्यू करने वाले सत्यम का दावा है कि हफ्ते में एक मौत सांप काटने से होती है. क्योंकि सांप काटने के मामले की जानकारी उन तक जरूर पहुंचती है.

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