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उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट - Northeast Delhi

उत्तर पूर्वी दिल्ली (Northeast Delhi ) हिंसा के सिलसिले के तीन आरोपियों को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) कल सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 17, 2021, 4:50 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 5:36 PM IST

नई दिल्ली : उत्तर पूर्वी दिल्ली (Northeast Delhi ) हिंसा के सिलसिले में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) कल सुनवाई करेगा.

इससे पहले मंगलवार को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए छात्रों को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के तीन छात्र-छात्राओं को मंगलवार को जमानत दी थी. उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा को 'कुछ न कुछ अस्पष्ट' करार दिया और इसके लापरवाह तरीके से इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी.

निचली अदालत का आदेश निरस्त

साथ ही अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत इनकार करने के निचली अदालत के आदेशों को निरस्त कर दिया और उनकी अपील स्वीकार ली और उन्हें नियमित जमानत दे दी. इन तीनों को पिछले साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में सख्त यूएपीए कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे राष्ट्र की नींव इतनी मजबूत है कि उसके किसी एक प्रदर्शन से हिलने की संभावना नहीं है.

आतंकवादी गतिविधि

उच्च न्यायलय ने 113, 83 और 72 पृष्ठों के तीन अलग-अलग फैसलों में कहा कि यूएपीए की धारा 15 में आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा व्यापक है और कुछ न कुछ अस्पष्ट है, ऐसे में आतंकवाद की मूल विशेषता को सम्मलित करना होगा और 'आतंकवादी गतिविधि' मुहावरे को उन आपराधिक गतिविधियों पर 'लापरवाह तरीके से इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत आते हैं.

अदालत ने कहा, ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में सरकार के दिमाग में प्रदर्शन करने के लिए संविधान प्रदत्त अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा कुछ न कुछ धुंधली होती हुई प्रतीत होती है. यदि यह मानसकिता प्रबल होती है तो यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा.

अदालत ने कहा कि आतंकवादी गतिविधि को प्रदर्शित करने के लिए मामले में कुछ भी नहीं है. अदालत ने 'पिंजरा तोड़' कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित नहीं करने और सबूतों के साथ छेड़खानी नहीं करने का निर्देश भी दिया.

पढ़ें - दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दीप सिद्धू को हरियाणा के करनाल जिले से किया गिरफ्तार

इन्हें 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर रिहा करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि तीनों आरोपी किसी भी गैर-कानूनी गतिविधी में हिस्सा नहीं लें और कारागार रिकॉर्ड में दर्ज पते पर ही रहें. तन्हा ने एक निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि आरोपियों ने पूरी साजिश में कथित रूप से सक्रिय भूमिका निभाई थी और इस आरोप को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त आधार है कि आरोप प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होते हैं.

नई दिल्ली : उत्तर पूर्वी दिल्ली (Northeast Delhi ) हिंसा के सिलसिले में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) कल सुनवाई करेगा.

इससे पहले मंगलवार को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए छात्रों को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के तीन छात्र-छात्राओं को मंगलवार को जमानत दी थी. उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा को 'कुछ न कुछ अस्पष्ट' करार दिया और इसके लापरवाह तरीके से इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी.

निचली अदालत का आदेश निरस्त

साथ ही अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत इनकार करने के निचली अदालत के आदेशों को निरस्त कर दिया और उनकी अपील स्वीकार ली और उन्हें नियमित जमानत दे दी. इन तीनों को पिछले साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में सख्त यूएपीए कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे राष्ट्र की नींव इतनी मजबूत है कि उसके किसी एक प्रदर्शन से हिलने की संभावना नहीं है.

आतंकवादी गतिविधि

उच्च न्यायलय ने 113, 83 और 72 पृष्ठों के तीन अलग-अलग फैसलों में कहा कि यूएपीए की धारा 15 में आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा व्यापक है और कुछ न कुछ अस्पष्ट है, ऐसे में आतंकवाद की मूल विशेषता को सम्मलित करना होगा और 'आतंकवादी गतिविधि' मुहावरे को उन आपराधिक गतिविधियों पर 'लापरवाह तरीके से इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत आते हैं.

अदालत ने कहा, ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में सरकार के दिमाग में प्रदर्शन करने के लिए संविधान प्रदत्त अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा कुछ न कुछ धुंधली होती हुई प्रतीत होती है. यदि यह मानसकिता प्रबल होती है तो यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा.

अदालत ने कहा कि आतंकवादी गतिविधि को प्रदर्शित करने के लिए मामले में कुछ भी नहीं है. अदालत ने 'पिंजरा तोड़' कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित नहीं करने और सबूतों के साथ छेड़खानी नहीं करने का निर्देश भी दिया.

पढ़ें - दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दीप सिद्धू को हरियाणा के करनाल जिले से किया गिरफ्तार

इन्हें 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर रिहा करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि तीनों आरोपी किसी भी गैर-कानूनी गतिविधी में हिस्सा नहीं लें और कारागार रिकॉर्ड में दर्ज पते पर ही रहें. तन्हा ने एक निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि आरोपियों ने पूरी साजिश में कथित रूप से सक्रिय भूमिका निभाई थी और इस आरोप को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त आधार है कि आरोप प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होते हैं.

Last Updated : Jun 17, 2021, 5:36 PM IST
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