नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक चुनाव के नतीजों का मुख्य संदेश यह है कि 'ब्रांड राहुल' चलन (Brand Rahul in) में है और 'मोदी मैजिक' विफल हो गया है (Modi majic over). कांग्रेस ने कुल 224 विधानसभा सीटों में से 135 सीटें जीतकर दक्षिणी राज्य में भाजपा से सत्ता छीन ली. भाजपा को 66, जद-एस को 19 और अन्य को चार सीटें मिलीं.
कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने कहा, 'कर्नाटक ने दिखाया है कि ब्रांड राहुल के बारे में देश में बात की जा रही है जबकि प्रसिद्ध 'मोदी मैजिक' विफल हो गया है. अगर किसी को लगता है कि मोदीजी जादू की छड़ी लेकर आएंगे और चुनाव जीत जाएंगे, तो ऐसा नहीं होने वाला है. राहुल ने जहां भी चुनाव प्रचार किया, कांग्रेस ने जिन सीटों पर जीत हासिल की, उनका स्ट्राइक रेट पीएम मोदी की तुलना में बहुत अधिक है. पीएम मोदी के 40 फीसदी के मुकाबले राहुल का स्ट्राइक रेट करीब 80 फीसदी आता है.'
उन्होंने कहा कि 'कर्नाटक चुनाव भी महत्वपूर्ण थे क्योंकि वे राहुल की भारत जोड़ो यात्रा और लोकसभा से उनकी अयोग्यता के बाद हुए पहले चुनाव थे.' कन्याकुमारी से कश्मीर यात्रा सितंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच हुई और भाजपा की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ भारत जोड़ो संदेश के आसपास केंद्रित थी.
मोदी सरनेम से जुड़े 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में सूरत की एक अदालत ने राहुल को दोषी ठहराया और सजा सुनाई, इसके एक दिन बाद 24 मार्च को लोकसभा से राहुल की अयोग्यता हुई.
संगठन के प्रभारी एआईसीसी सचिव वामशी चंद रेड्डी (Vamshi Chand Reddy) के अनुसार, देश का मूड मोदी के बजाय राहुल के पक्ष में था. रेड्डी ने कहा कि 'यात्रा के दौरान राहुल ने लगभग 51 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर किया और भाजपा इनमें से केवल चार सीटें जीत सकी, जो उनकी पारंपरिक सीटें थीं. इसकी तुलना में पूरे कर्नाटक में जहां भी पीएम मोदी ने प्रचार किया, बीजेपी को 25 सीटों का नुकसान हुआ. यह एक स्पष्ट संकेत है कि देश का मूड मोदी के बजाय राहुल के पक्ष में है.'
श्रीनेत ने तर्क दिया कि,'कर्नाटक की जनता ने राहुल को संदेश दिया कि हम आपके साथ हैं क्योंकि आप हमारी लड़ाई लड़ रहे हैं. कांग्रेस की इस शानदार जीत से जनता ने उन तानाशाहों को करारा जवाब दिया है जो सोचते हैं कि वे किसी की लोकसभा सदस्यता छीन सकते हैं.'
श्रीनेत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों ने संदेश दिया है कि वे राजनीतिक दलों को नौकरी और शिक्षा जैसे सार्वजनिक मुद्दों पर बात करना पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि 'मतदाताओं ने संदेश दिया है कि वे भगवान बजरंगबली के साथ बजरंग दल की तुलना नहीं चाहते हैं, वे कोई हिजाब, हलाल मुद्दे नहीं चाहते हैं और पीड़ित रणनीति नहीं खेलना चाहते हैं.'
श्रीनेत के अनुसार, दक्षिणी राज्य के मतदाताओं ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि राहुल भारत जोड़ो यात्रा के दौरान देश भर में 4000 किलोमीटर पैदल चले, आम लोगों को गले लगाया और रास्ते में उनके आंसू पोंछे.
उन्होंने कहा कि 'कर्नाटक के नतीजों ने दिखा दिया कि प्यार की राजनीति ने नफरत की राजनीति पर जीत हासिल कर ली है. कर्नाटक में एक प्यार की दुकान खोली गई है. लेकिन ये तो सिर्फ ट्रेलर है, पूरी तस्वीर बाकी है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम (आने वाले विधानसभा चुनाव) और 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में ऐसी और प्रेम दुकानें खोली जाएंगी.'
दरअसल श्रीनेत की देखरेख में कर्नाटक में एक आक्रामक सोशल मीडिया अभियान चलाया गया था. उन्होंने स्वयंसेवकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि मुख्यधारा का मीडिया आम तौर पर चुनावी जीत के लिए पीएम को श्रेय देने में तेज होता है, लेकिन जब समान श्रेय राहुल को जाता है तो उसे आपत्ति होती है.
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