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सरकार ने नौसेना के लिए आठ अगली पीढ़ी के कोरवेट को दी मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में भारतीय नौसेना के लिए लगभग 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अगली पीढ़ी के कोरवेट (एनजीसी) की खरीद को मंजूरी दी गई. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट..

रक्षा मंत्रालय सैन्य उपकरण की खरीद
रक्षा मंत्रालय सैन्य उपकरण की खरीद
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Published : Jun 6, 2022, 6:05 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 8:23 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए घरेलू उद्योगों से 76,390 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण और अन्य साजोसामान खरीदने को मंजूरी दे दी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन प्रस्तावों को मंजूरी दी. मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए, डीएसी ने लगभग 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से आठ अगली पीढ़ी के कोरवेट (एनजीसी) की खरीद की मंजूरी दी.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि 2,000 टन से अधिक श्रेणी में ये आठ अगली पीढ़ी के कोरवेट नवीनतम हथियार, सेंसर, पुर्जों आदि सहित अपने संबंधित सिस्टम से लैस होंगे. कोरवेट एक प्रकार का छोटा पोत होता है. कोरवेट गश्ती अभियानों के लिए या नौसेना प्लेटफार्मों के एक बड़े समूह के हिस्से के रूप में समुद्र तट के पास संचालन के लिए अधिक चुस्त और आसानी से चलने योग्य होते हैं. ये शक्तिशाली सतह विरोधी नौसैनिक युद्ध मंच हो सकते हैं. वर्तमान में, भारतीय नौसेना पहले से ही 'कोरा' और 'खुकरी' वर्ग के छह कोरवेट संचालित करती है. संचालन में छह में 'खंजर', 'कुथार', 'किर्च', 'कुलिश', 'कर्मुक' और 'कोरा' शामिल हैं.

आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये एनजीसी विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के लिए बहुमुखी मंच होंगे. जिसमें निगरानी मिशन, एस्कॉर्ट ऑपरेशन, डिटरेंस, सर्फेस एक्शन ग्रुप (एसएजी) ऑपरेशन, सर्च एंड अटैक और कोस्टल डिफेंस शामिल हैं. अत्याधुनिक तकनीक से लैस होने के लिए इन आठ कोरवेट को नौसेना डिजाइन निदेशालय के विनिर्देशों के अनुसार स्वदेशी रूप से बनाया जाएगा. कोरवेट बनाने के लिए भारतीय शिपयार्ड को कौन सा शिपयार्ड मिलेगा, यह एक टेंडरिंग सिस्टम द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

ये एनजीसी निगरानी और हमला सहित विभिन्न भूमिकाओं के लिए उपयोगी होंगे. बयान में कहा गया है कि एनजीसी का निर्माण भारतीय नौसेना के नए 'इन-हाउस डिजाइन' के आधार पर किया जाएगा और इसके लिए पोत निर्माण की नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.

स्वदेशीकरण को बढ़ाना देने के मकसद के साथ डीएसी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डोर्नियर विमान और एसयू-30 एमकेआई एयरो-इंजन के निर्माण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. डीएसी ने भारतीय थल सेना के लिए, दुर्गम क्षेत्रों के अनुकूल ट्रक (आरटीएफएलटी), विशेष टैंक (बीएलटी) आदि के साथ टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल (एटीजीएम) और अन्य हथियारों की घरेलू स्रोतों से खरीद के लिए नयी मंजूरी दी.

यह भी पढ़ें- वायु सेना ने क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने के लिए हवाई अड्डा प्राधिकरण को रक्षा भूमि सौंपी

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए घरेलू उद्योगों से 76,390 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण और अन्य साजोसामान खरीदने को मंजूरी दे दी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन प्रस्तावों को मंजूरी दी. मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए, डीएसी ने लगभग 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से आठ अगली पीढ़ी के कोरवेट (एनजीसी) की खरीद की मंजूरी दी.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि 2,000 टन से अधिक श्रेणी में ये आठ अगली पीढ़ी के कोरवेट नवीनतम हथियार, सेंसर, पुर्जों आदि सहित अपने संबंधित सिस्टम से लैस होंगे. कोरवेट एक प्रकार का छोटा पोत होता है. कोरवेट गश्ती अभियानों के लिए या नौसेना प्लेटफार्मों के एक बड़े समूह के हिस्से के रूप में समुद्र तट के पास संचालन के लिए अधिक चुस्त और आसानी से चलने योग्य होते हैं. ये शक्तिशाली सतह विरोधी नौसैनिक युद्ध मंच हो सकते हैं. वर्तमान में, भारतीय नौसेना पहले से ही 'कोरा' और 'खुकरी' वर्ग के छह कोरवेट संचालित करती है. संचालन में छह में 'खंजर', 'कुथार', 'किर्च', 'कुलिश', 'कर्मुक' और 'कोरा' शामिल हैं.

आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये एनजीसी विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के लिए बहुमुखी मंच होंगे. जिसमें निगरानी मिशन, एस्कॉर्ट ऑपरेशन, डिटरेंस, सर्फेस एक्शन ग्रुप (एसएजी) ऑपरेशन, सर्च एंड अटैक और कोस्टल डिफेंस शामिल हैं. अत्याधुनिक तकनीक से लैस होने के लिए इन आठ कोरवेट को नौसेना डिजाइन निदेशालय के विनिर्देशों के अनुसार स्वदेशी रूप से बनाया जाएगा. कोरवेट बनाने के लिए भारतीय शिपयार्ड को कौन सा शिपयार्ड मिलेगा, यह एक टेंडरिंग सिस्टम द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

ये एनजीसी निगरानी और हमला सहित विभिन्न भूमिकाओं के लिए उपयोगी होंगे. बयान में कहा गया है कि एनजीसी का निर्माण भारतीय नौसेना के नए 'इन-हाउस डिजाइन' के आधार पर किया जाएगा और इसके लिए पोत निर्माण की नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.

स्वदेशीकरण को बढ़ाना देने के मकसद के साथ डीएसी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डोर्नियर विमान और एसयू-30 एमकेआई एयरो-इंजन के निर्माण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. डीएसी ने भारतीय थल सेना के लिए, दुर्गम क्षेत्रों के अनुकूल ट्रक (आरटीएफएलटी), विशेष टैंक (बीएलटी) आदि के साथ टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल (एटीजीएम) और अन्य हथियारों की घरेलू स्रोतों से खरीद के लिए नयी मंजूरी दी.

यह भी पढ़ें- वायु सेना ने क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने के लिए हवाई अड्डा प्राधिकरण को रक्षा भूमि सौंपी

Last Updated : Jun 6, 2022, 8:23 PM IST
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