कोरबा : हर साल 27 जून को विश्व मधुमेह जागृति दिवस (world diabetes awakening day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य डायबिटीज के संबंध में लोगों में पर्याप्त जागरूकता के साथ ही इसके मरीजों की संख्या में कमी लाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन मधुमेह को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है. खासतौर पर कोरबा जिले में बढ़ते प्रदूषण का स्तर मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. आधुनिक परिवेश में अनियमित दिनचर्या के साथ ही असंतुलित आहार डायबिटीज के रोगियों को बढ़ा रहा है.
शहर में लगातार बढ़ रहे डायबिटिक मरीज
शहरी क्षेत्र में हर 10 में से एक व्यक्ति डायबिटीज या मधुमेह से पीड़ित है, जबकि गांवों में इसका आंकड़ा 20 में से एक व्यक्ति है. इससे साफ जाहिर है कि शहर की अनियमित दिनचर्या इसके लिए जिम्मेदार है. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो खराब दिनचर्या की वजह से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि अब बच्चे भी डायबिटीज के शिकार होने लगे हैं, जो काफी खतरनाक है. विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज से लड़ने का एकमात्र कारगर उपाय संतुलित आहार के साथ ही नियमित तौर पर व्यायाम और योगा को अपने जीवन में शामिल करना है.
पिछले वर्ष जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गैर संचारी रोगों के नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में 30 वर्ष से ज्यादा की उम्र वाले एक लाख 37 हजार 819 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इस परीक्षण में सात हजार 697 लोग मधुमेह से पीड़ित पाए गए, जबकि आठ हजार 418 लोग हाइपरटेंशन की गिरफ्त में मिले. हालांकि यह आंकड़ा सिर्फ उन मरीजों की संख्या है, जिन्हें सरकारी विभाग ने पंजीकृत किया है. निजी तौर पर इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या और भी ज्यादा है. जिनका डाटा सरकारी विभाग के पास मौजूद नहीं है.
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना
डायबिटीज, हाइपरटेंशन और इस तरह के रोगों से लड़ने के लिए आयुष्मान भारत के तहत जिले के उपस्वास्थ्य केंद्रों और कई स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कन्वर्ट किया गया है. जिले में इस तरह के 118 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर मौजूद हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि 118 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में केवल 31 कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) तैनात हैं, जो जिले में स्थापित कुल हेल्थ सेंटर की संख्या के अनुपात में काफी कम हैं.
जिला अस्पताल में मुफ्त इलाज
डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जिला अस्पताल में मुफ्त इलाज दिया जा रहा है. यहां तक कि मरीजों को इंसुलिन भी फ्री में लगाई जा रही है. स्वास्थ्य विभाग का साफतौर पर कहना है कि यदि मरीज निजी चिकित्सक से इलाज कराने में असमर्थ हैं, तो वह जिला अस्पताल आकर मधुमेह की दवाई मुफ्त में ले सकते हैं.
संतुलित आहार के साथ जीत सकते हैं जंग
जिला अस्पताल में एनसीटी रोगों के प्रभारी डॉ प्रिंस जैन कहते हैं कि आधुनिक परिवेश में मधुमेह जैसी बीमारियां बड़ी तादाद में बढ़ती जा रही है. इसके लिए सीधे तौर पर अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान जिम्मेदार है. इसे खत्म करने के लिए जीवनशैली में बदलाव की जरूरत है. संतुलित खानपान के साथ ही नियमित जीवनशैली, डाइट चार्ट को फॉलो करना, समय से दवाईयां लेना और एक्सरसाइज और योगा को अपनी लाइफ स्टाइल में अपनाना महत्वपूर्ण है.
क्यों होता है डायबिटीज ?
डायबिटीज होने के दो कारण होते हैं, पहला शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद हो जाए या फिर शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम हो जाए. दोनों ही कारण से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए. यह रोग उम्र के आखिरी पड़ाव तक बना रहता है, इसलिए इसके खतरों से बचे रहने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है.
डायबिटीज के प्रकार
- टाइप 1 डायबिटीज:
टाइप 1 डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बच्चों में ज्यादा मिलता है. इसमें इन्सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है. ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है. ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है. इसके मरीज काफी कम होते हैं.
- टाइप 2 डायबिटीज:
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है. इससे प्रभावित ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है या उन्हें पेट के मोटापे की समस्या होती है. इसमें इन्सुलिन कम मात्रा में बनता है. डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं. एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और दवाईयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है.
- गेस्टेशनल डायबिटीज (जीडीएम)
ये एक प्रकार का मधुमेह है, जिसमें उच्च रक्त में ग्लूकोज की मात्रा और अधिक हो जाती है. गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के लिए ये खतरों से जुड़ा होता है. आमतौर पर गर्भावस्था के बाद गायब हो जाता है, लेकिन प्रभावित महिलाएं और उनके बच्चे में और ज्यादा होने का खतरा बढ़ जाता है. बाद में इसके टाइप 2 मधुमेह में विकसित होने का जोखिम रहता है.
डायबिटीज में परहेज
मधुमेह एक 'पारिवारिक बीमारी' बन सकती है, जो संभावित रूप से हर घर को प्रभावित कर सकती है. ग्लूकोज, चीनी, जैम, गुड़, मिठाईयां, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्रीज और चॉकलेट जैसी चीजों से डायबिटीज के मरीजों को दूर रहना चाहिए. तला हुआ भोजन या प्रोसेस्ड फूड भी इसमें नुकसान देते हैं. अल्कोहल का सेवन या कोल्ड ड्रिंक भी डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है. मधुमेह रोगियों को धूम्रपान से दूर रहने के साथ ही सूखे मेवे, बादाम, मूंगफली, आलू और शकरकंद जैसी सब्जियां बहुत कम या बिल्कुल नहीं खानी चाहिए. ऐसे व्यक्ति को फलों में केला, शरीफा, चीकू, अन्जीर और खजूर से परहेज करना चाहिए.
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सावधानियां-
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराएं.
- किसी भी तरह के घाव को खुला न छोड़ें.
- फलों का रस लेने के बजाय, फल खाएं. जामुन ज्यादा खाएं.
- व्यायाम करें और अपना वजन नियंत्रित रखें.
- योग भी डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्छा है.
- हर रोज टहलने जरूर जाएं. जितना टहलेंगे, उतना स्वस्थ रहेंगे.
- दिन भर थोड़ा-थोड़ा खाएं, एकदम से पेट भरकर खाने से खाना पचाने में दिक्कत होती है, क्योंकि शरीर में इंसुलिन कम बनता है.
- सुबह जल्दी उठें और रात को जल्दी सोने की कोशिश करें. खानपान का विशेष ध्यान रखें.