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केंद्र सरकार ने अंडर कंस्ट्रक्शन घरों पर GST घटाया, जानें डिटेल

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में GST परिषद की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. रियल एस्टेट सेक्टर में काफी राहत दी गई है. नए फैसलों के बाद आम लोगों के लिए मकान खरीदना सस्ता होगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली
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Published : Feb 25, 2019, 3:57 PM IST

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की बैठक में अंडर कंस्ट्रक्शन घरों पर GST दर कम करने का फैसला लिया गया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है.

वित्त मंत्री जेटली ने बताया कि GST परिषद ने निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर GST की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. उन्होंने कहा कि किफायती मकानों पर GST की दर को आठ प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया.

मीडिया से बातचीत करते वित्त मंत्री अरुण जेटली, देखें वीडियो

सूत्रों के मुताबिक आज GST परिषद की बैठक में रियल एस्टेट के मुद्दे पर चर्चा की गई. गौरतलब है, इससे पहले बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संक्षिप्त बैठक हुई थी. बुधवार की बैठक में GST परिषद ने 3बी रिटर्न्‍स दाखिल करने की अंतिम तिथि को दो दिनों के लिए और बढ़ा दिया था. बता दें, जीएसटीआर-3बी एक मासिक संक्षिप्त विवरण रिटर्न है.

इस बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'जीएसटी परिषद रविवार को रियल एस्टेट मुद्दे पर चर्चा करेगी और परिषद ने 3बी रिटर्न्‍स दाखिल करने की अंतिम तिथि को दो दिनों के लिए बढ़ा दिया है.'

पढ़ें:PM मोदी ने प्रयागराज कुंभ में डुबकी लगाई

वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार की संक्षिप्त बैठक में हाउसिंग और लॉटरी दोनों मुद्दों पर गतिरोध रहा. लॉटरी पर गतिरोध अभी इस स्तर तक है कि इस पर चर्चा भी नहीं हो सकी. रियल एस्टेट सेक्टर पिछले कुछ सालों से मंदी के कारण सरकार जीएसटी में राहत की उम्मीद कर रही है.

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वहीं, गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की अगुवाई वाली मंत्रियों के समूह (जीओएम) किफायती श्रेणी के घरों पर 3 फीसदी कर लगाने की सिफारिश की है, जो पहले 8 फीसदी थी.

इस बारे में आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले शीर्ष रीयल एस्टेट संगठन नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष निरंजन हीरानन्दानी ने कहा, 'उद्योग निर्माणाधीन मकानों एवं सस्ते घरों पर जीएसटी दर में कमी एवं इनपुट कर लाभ की छूट को समाप्त करने के निर्णय का स्वागत करता है. इससे मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी और मकानों की मांग बढ़ेगी.'

उन्होंने कहा कि इस ऐलान से सस्ते घरों और संभावित घर खरीदारों को सौदा करने का प्रोत्साहन मिलेगा. हीरानन्दानी ने कहा, 'सीमेंट पर जीएसटी दर में कमी नहीं की गयी है, जबकि इसकी उम्मीद की जा रही थी. इस पर अब भी कर 28 प्रतिशत के सर्वोच्च दर पर है. साथ ही इनपुट कर पर छूट के लाभ को भी समाप्त कर दिया गया है.'

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पढ़ें:पुलवामा हमला: PAK पर जमकर बरसे ओवैसी, जैश-ए-मोहम्मद को बताया शैतान

उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे में आने वाला समय डेवलपरों के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है. साथ ही अगर यह घोषणा 'तत्काल प्रभाव से लागू होती' तो वर्तमान वित्त वर्ष में ही आवासीय फ्लैटों की बिक्री में वृद्धि दर्ज की जाती, लेकिन अब यह अगले वित्त वर्ष में देखने को मिलेगा.'

आपको बता दें, नयी व्यवस्था पहली अप्रैल से लागू होगी. वहीं, रायल एस्टेट कंपनियों के एक अन्य संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष जे शाह ने कहा, 'सस्ते घरों पर जीएसटी को घटाकर एक प्रतिशत किया जाना भारतीय रीयल एस्टेट के लिए एक क्रांतिकारी फैसला है. यह फैसला मकान खरीदारों की धारणा को मजबूत करेगा.'

सीबीआरई के भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के चेयरमैन एवं सीईओ अंशुमान मैग्जीन ने कहा, 'यह मकान खरीदारों और डेवलपरों को बहुत अधिक राहत देने वाला फैसला है. निर्माणाधीन घरों पर जीएसटी दर में कमी से उद्योग को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, जिसकी उसे बहुत अधिक जरूरत है.'

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सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने कहा, 'हम जीएसटी दरों में कमी का स्वागत करते हैं. इस फैसले से रीयल एस्टेट क्षेत्र को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, जो अभी नकदी की गंभीर संकट से जूझ रहा है.

उन्होंने कहा, 'हालांकि यह निराशाजनक है कि परिषद ने डेवलपरों को इनपुट कर पर छूट नहीं देने का फैसला किया है. रीयल एस्टेट क्षेत्र बहुत दिक्कतों से गुजर रहा है और उसे वर्तमान परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से उल्लेखनीय मदद की दरकार है.'

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, 'निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर में कमी का फैसला जीएसटी परिषद के सबसे अहम निर्णयों में से एक है. इस निर्णय का लक्ष्य निश्चित रूप से मांग को प्रोत्साहित करना है. यह कदम निर्माणाधीन मकान क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देगा, जो बहुत अधिक आवश्यक है.'

पैराडाइम रीयल्टी के प्रबंध निदेशक पार्थ मेहता ने कहा कि यह फैसला केवलों मकान खरीदारों को ध्यान में रखकर लिया गया है. इससे मकान निर्माताओं का बोझ और बढ़ जाएगा क्योंकि उन्होंने विभिन्न मौकों पर जीएसटी का भुगतान करना होता है.

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पढ़ें:पुलवामा हमले पर बोले ट्रंप- कुछ बड़ा करने जा रहा इंडिया

वहीं नारेडको के पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष राजन बांदेलकर और नाहर समूह की वाइस चेयरमैन और नारेडको (महाराष्ट्र) की उपाध्यक्ष मंजू याग्निक ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े जीएसटी परिषद का फैसला सकारात्मक है. इससे मकान खरीदारों की धारणा को बल मिलेगा. उन्होंने हालांकि इनपुट कर पर छूट को समाप्त किये जाने पर निराशा प्रकट की.

सूत्रों के मुताबिक इससे पहले गत 21 फरवरी को सरकार ने निर्माणाधीन मकानों पर GST की दर को बिना इनपुट कर क्रेडिट (ITC) के अधिकतम पांच प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव किया था. डेवलपर्स ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इससे मांग में सुधार होने की बात कही थी. क्रेडाई बंगाल के अध्यक्ष नंदू बेलानी ने कहा, ‘हम बिना ITC के पांच प्रतिशत GST की उम्मीद कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हालांकि, लघु अवधि में इससे बिल्डरों को नुकसान होगा. हमें उम्मीद है कि इससे निर्माणाधीन मकानों की मांग बढ़ेगी और दीर्घावधि में इसके प्रभाव को कम किया जा सकेगा.’

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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की बैठक में अंडर कंस्ट्रक्शन घरों पर GST दर कम करने का फैसला लिया गया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है.

वित्त मंत्री जेटली ने बताया कि GST परिषद ने निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर GST की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. उन्होंने कहा कि किफायती मकानों पर GST की दर को आठ प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया.

मीडिया से बातचीत करते वित्त मंत्री अरुण जेटली, देखें वीडियो

सूत्रों के मुताबिक आज GST परिषद की बैठक में रियल एस्टेट के मुद्दे पर चर्चा की गई. गौरतलब है, इससे पहले बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संक्षिप्त बैठक हुई थी. बुधवार की बैठक में GST परिषद ने 3बी रिटर्न्‍स दाखिल करने की अंतिम तिथि को दो दिनों के लिए और बढ़ा दिया था. बता दें, जीएसटीआर-3बी एक मासिक संक्षिप्त विवरण रिटर्न है.

इस बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'जीएसटी परिषद रविवार को रियल एस्टेट मुद्दे पर चर्चा करेगी और परिषद ने 3बी रिटर्न्‍स दाखिल करने की अंतिम तिथि को दो दिनों के लिए बढ़ा दिया है.'

पढ़ें:PM मोदी ने प्रयागराज कुंभ में डुबकी लगाई

वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार की संक्षिप्त बैठक में हाउसिंग और लॉटरी दोनों मुद्दों पर गतिरोध रहा. लॉटरी पर गतिरोध अभी इस स्तर तक है कि इस पर चर्चा भी नहीं हो सकी. रियल एस्टेट सेक्टर पिछले कुछ सालों से मंदी के कारण सरकार जीएसटी में राहत की उम्मीद कर रही है.

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वहीं, गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की अगुवाई वाली मंत्रियों के समूह (जीओएम) किफायती श्रेणी के घरों पर 3 फीसदी कर लगाने की सिफारिश की है, जो पहले 8 फीसदी थी.

इस बारे में आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले शीर्ष रीयल एस्टेट संगठन नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष निरंजन हीरानन्दानी ने कहा, 'उद्योग निर्माणाधीन मकानों एवं सस्ते घरों पर जीएसटी दर में कमी एवं इनपुट कर लाभ की छूट को समाप्त करने के निर्णय का स्वागत करता है. इससे मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी और मकानों की मांग बढ़ेगी.'

उन्होंने कहा कि इस ऐलान से सस्ते घरों और संभावित घर खरीदारों को सौदा करने का प्रोत्साहन मिलेगा. हीरानन्दानी ने कहा, 'सीमेंट पर जीएसटी दर में कमी नहीं की गयी है, जबकि इसकी उम्मीद की जा रही थी. इस पर अब भी कर 28 प्रतिशत के सर्वोच्च दर पर है. साथ ही इनपुट कर पर छूट के लाभ को भी समाप्त कर दिया गया है.'

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पढ़ें:पुलवामा हमला: PAK पर जमकर बरसे ओवैसी, जैश-ए-मोहम्मद को बताया शैतान

उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे में आने वाला समय डेवलपरों के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है. साथ ही अगर यह घोषणा 'तत्काल प्रभाव से लागू होती' तो वर्तमान वित्त वर्ष में ही आवासीय फ्लैटों की बिक्री में वृद्धि दर्ज की जाती, लेकिन अब यह अगले वित्त वर्ष में देखने को मिलेगा.'

आपको बता दें, नयी व्यवस्था पहली अप्रैल से लागू होगी. वहीं, रायल एस्टेट कंपनियों के एक अन्य संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष जे शाह ने कहा, 'सस्ते घरों पर जीएसटी को घटाकर एक प्रतिशत किया जाना भारतीय रीयल एस्टेट के लिए एक क्रांतिकारी फैसला है. यह फैसला मकान खरीदारों की धारणा को मजबूत करेगा.'

सीबीआरई के भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के चेयरमैन एवं सीईओ अंशुमान मैग्जीन ने कहा, 'यह मकान खरीदारों और डेवलपरों को बहुत अधिक राहत देने वाला फैसला है. निर्माणाधीन घरों पर जीएसटी दर में कमी से उद्योग को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, जिसकी उसे बहुत अधिक जरूरत है.'

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सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने कहा, 'हम जीएसटी दरों में कमी का स्वागत करते हैं. इस फैसले से रीयल एस्टेट क्षेत्र को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, जो अभी नकदी की गंभीर संकट से जूझ रहा है.

उन्होंने कहा, 'हालांकि यह निराशाजनक है कि परिषद ने डेवलपरों को इनपुट कर पर छूट नहीं देने का फैसला किया है. रीयल एस्टेट क्षेत्र बहुत दिक्कतों से गुजर रहा है और उसे वर्तमान परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से उल्लेखनीय मदद की दरकार है.'

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, 'निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर में कमी का फैसला जीएसटी परिषद के सबसे अहम निर्णयों में से एक है. इस निर्णय का लक्ष्य निश्चित रूप से मांग को प्रोत्साहित करना है. यह कदम निर्माणाधीन मकान क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देगा, जो बहुत अधिक आवश्यक है.'

पैराडाइम रीयल्टी के प्रबंध निदेशक पार्थ मेहता ने कहा कि यह फैसला केवलों मकान खरीदारों को ध्यान में रखकर लिया गया है. इससे मकान निर्माताओं का बोझ और बढ़ जाएगा क्योंकि उन्होंने विभिन्न मौकों पर जीएसटी का भुगतान करना होता है.

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पढ़ें:पुलवामा हमले पर बोले ट्रंप- कुछ बड़ा करने जा रहा इंडिया

वहीं नारेडको के पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष राजन बांदेलकर और नाहर समूह की वाइस चेयरमैन और नारेडको (महाराष्ट्र) की उपाध्यक्ष मंजू याग्निक ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े जीएसटी परिषद का फैसला सकारात्मक है. इससे मकान खरीदारों की धारणा को बल मिलेगा. उन्होंने हालांकि इनपुट कर पर छूट को समाप्त किये जाने पर निराशा प्रकट की.

सूत्रों के मुताबिक इससे पहले गत 21 फरवरी को सरकार ने निर्माणाधीन मकानों पर GST की दर को बिना इनपुट कर क्रेडिट (ITC) के अधिकतम पांच प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव किया था. डेवलपर्स ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इससे मांग में सुधार होने की बात कही थी. क्रेडाई बंगाल के अध्यक्ष नंदू बेलानी ने कहा, ‘हम बिना ITC के पांच प्रतिशत GST की उम्मीद कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हालांकि, लघु अवधि में इससे बिल्डरों को नुकसान होगा. हमें उम्मीद है कि इससे निर्माणाधीन मकानों की मांग बढ़ेगी और दीर्घावधि में इसके प्रभाव को कम किया जा सकेगा.’

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gst council meet


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