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अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र नई दिल्ली में होगा स्थापित, जानें मकसद

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी. इस सिलसिले में पीएम मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. जानें क्या है पूरा मामला

फाइल फोटो.
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Published : Jul 31, 2019, 11:48 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत द्वारा मध्यस्थता के जरिये अंतरराष्ट्रीय सुलह समझौतों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.

सरकार का मनना है कि इस संधि पर हस्ताक्षर से निवेशकों का आत्म-विश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) पर अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया के पालन की भारत की प्रतिबद्धता को लेकर सकारात्मक संदेश भेजा जा सकेगा.

भारत में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को प्रोत्साहन देने के क्रम में मध्यस्थता के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित करने के लिए सरकार एक वैधानिक संस्था के रूप में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआईएसी) स्थापित करने जा रही है. इस संबंध में वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 में संशोधन कर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2018 को मध्यस्थता संधि के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि को स्वीकार किया था.

पढ़ें: जानें, दीदी ने राजठाकरे को क्यों कहा- मैं हूं, ऐसा समझ लेना

संयुक्त राष्ट्र महासभा को 7 अगस्त 2019 को सिंगापुर में होने वाले एक समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर कराने के लिए अधिकृत किया गया था और इसे 'मध्यस्थता पर सिंगापुर संधि' (संधि) के नाम से जाना जाएगा.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत द्वारा मध्यस्थता के जरिये अंतरराष्ट्रीय सुलह समझौतों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.

सरकार का मनना है कि इस संधि पर हस्ताक्षर से निवेशकों का आत्म-विश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) पर अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया के पालन की भारत की प्रतिबद्धता को लेकर सकारात्मक संदेश भेजा जा सकेगा.

भारत में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को प्रोत्साहन देने के क्रम में मध्यस्थता के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित करने के लिए सरकार एक वैधानिक संस्था के रूप में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआईएसी) स्थापित करने जा रही है. इस संबंध में वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 में संशोधन कर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2018 को मध्यस्थता संधि के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र संधि को स्वीकार किया था.

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संयुक्त राष्ट्र महासभा को 7 अगस्त 2019 को सिंगापुर में होने वाले एक समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर कराने के लिए अधिकृत किया गया था और इसे 'मध्यस्थता पर सिंगापुर संधि' (संधि) के नाम से जाना जाएगा.

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CAB-CONVENTION
Cabinet nod to signing of convention on alternative dispute resolution
         New Delhi, Jul 31 (PTI) In a bid to boost the confidence of foreign investors about India's commitment to adhere to international practice on alternative dispute resolution, the Union cabinet on Wednesday approved signing of the United Nations Convention on International Settlement Agreements (UNISA) by New Delhi.
         The convention will be signed either in Singapore on August 7 or at United Nations headquarters.
         According to an official statement, signing of the convention will boost the confidence of the investors and will provide a positive signal to foreign investors about India's commitment to adhere to international practice on alternative dispute resolution (ADR) mechanism.
         The United Nations General Assembly adopted the United Nations Convention on International Settlement Agreements Resulting from Mediation on December 20, 2018.
          The General Assembly authorised that the Convention will open for signature at a signing ceremony to be held on August 7 this year in Singapore and will be known as the "Singapore Convention on Mediation".
         The Convention provides a uniform and efficient framework for the enforcement of international settlement agreements resulting from mediation and for allowing parties to invoke such agreements, akin to the framework that the Convention on the Recognition and Enforcement of Foreign Arbitral Awards (New York, 1958) provides for arbitral awards.
          The Convention defines two additional grounds upon which a court may, on its own motion, refuse to grant relief. Those grounds relate to the fact that a dispute would not be capable of settlement by mediation or would be contrary to public policy, the statement said. PTI NAB
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