लखनऊ : उत्तर प्रदेश में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. इससे पहले भाजपा का दामन थामने वाले 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अफसर एके शर्मा का एमएसएमई सचिव (मझोले, लघु व सूक्ष्म मंत्रालय में सचिव) के पद से दो साल पहले वीआरएस लेना चर्चा का विषय बना हुआ था.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें यूपी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि शर्मा करीब 20 सालों तक नरेंद्र मोदी के साथ काम किए हैं. विधान परिषद के सदस्य बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज पार्टी का झंडा पकड़े हैं, जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे निभाएंगे.
मेरा कोई राजनीतिक परिवार नहीं : शर्मा
अरविंद शर्मा ने कहा कि बुधवार की रात में ही मुझे पार्टी ज्वाइन करने के लिए कहा गया. खुशी है कि मुझे ये मौका मिला है. पूर्वांचल के पिछड़े गांव से निकला हूं. कड़ी मेहनत और संघर्ष से आईएएस बना. मैं किसी राजनीतिक परिवार से नहीं हूं. बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के हमें पार्टी में शामिल किया गया है. इस तरह के फैसले भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी जैसे नेता ही कर सकते हैं.
हालांकि, पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव और पूर्व नौकरशाह शर्मा ने नहीं दिया. इस मौके पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, जेपीएस राठौर, प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित समेत पार्टी के दूसरे नेता मौजूद रहे.
कौन हैं अरविंद कुमार शर्मा
ए.के. शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह पॉलिटिकल साइंस में फर्स्ट क्लास से मास्टर डिग्री प्राप्त ब्यूरोक्रेट हैं. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के तत्कालीन आजमगढ़ के काझाखुर्द गांव में 11 अप्रैल, 1962 को हुआ था, जो अब मऊ जिले के मुहम्मदाबाद गोहना तहसील में पड़ता है.
शर्मा के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं. जिनमें टाटा नैनो को गुजरात लाने, प्रदेश में निवेश और वाइब्रेंट गुजरात समिट के आयोजनों में इनकी भूमिका अहम रही है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से मास्टर ऑफ पब्लिक पॉलिसी और अमेरिका से स्ट्रक्चरिंग टैरिफ की ट्रेनिंग भी ली है.
20 साल से पीएम मोदी के हैं भरोसेमंद
जानकारी के मुताबिक, एके शर्मा पीएम मोदी के सबसे खास ब्यूरोक्रेट में से एक हैं. वह पिछले 20 सालों से नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद बने हुए हैं. जून 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया था. 2017 में पदोन्नति मिलने के साथ वह वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में एडिशनल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं.
शानदार गवर्नेंस, गंभीरता, व्यवहार कुशलता और दूरदर्शिता में उनको महारत हासिल है. उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसला लेने की क्षमता जैसे कई मुद्दों पर किए गए फेम इंडिया मैगजीन- एशिया पोस्ट के सालाना सर्वे असरदार ब्यूरोक्रेट्स 2019 में उनका प्रमुख स्थान रहा है.